शनिवार, 16 मार्च 2013

मानव सेवा ही परम: प्रज्ञानानंद जी महाराज


मानव सेवा ही परम: प्रज्ञानानंद जी महाराज

(एस.के.खरे)

सिवनी (साई)। पांच तत्वों से मिलकर हुए इस सृष्टि के निर्माण में जल, आकाश, जमीन, वायु और अग्नि का अपना महत्व है जब तक ये पांचों तत्व सुरक्षित हैं त ी तक यह सृष्टि विद्यमान है और उसमें जीवात्माओं का निवास है. सृष्टिकर्ता, पुष्टिकर्ता और संहारक इस सृष्टि के 03 ऐसे स्वरूप हैं जो अपना-अपना कार्य करते रहते हैं. आज वन वि ाग के अधिकारी-कर्मचारियों ने जंगल याने की जमीन की सुरक्षा के नाम पर ी मानव सेवा का जो अनूठा कार्य किया है वह अनुकरणीय है.
यह बात जिला चिकित्सालय में आज वन कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित रक्तदान शिविर में उपस्थित हुए द्विपीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के परम शिष्य एवं जयपुर आश्रम प्र ारी राष्ट्र संत स्वामी प्रज्ञानानंद द्वारा कही गयी है.
आपने कहा कि जबसे सृष्टि का निर्माण हुआ है अग्नि जलाने का कार्य करती आ रही है. वायु ी लोगों को प्राण दे रही है. पृथ्वी अन्न उपार्जन कर लोगों का उदर-पोषण कर रही है वहीं नदियाँ और सरोवर अपना धर्म नि ाते हुए लोगों को अपेक्षित जल प्रदान कर रहे हैं. इन्होंने अब तक अपने धर्म और कर्तव्य का त्याग नहीं किया है. इसके विपरीत सृष्टि का ही स्वरूप मानव आज प्रकृति के ही इन स्वरूपों के विनाश में जुट गया है. वह जंगलों को काटने, नदियों को प्रदूषित करने और वायु में प्रदूषण फैलाने का कार्य कर रहा है.
स्वामी जी ने कहा कि हम अपने धार्मिक आयोजनों में धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, विश्व का कल्याण हो, इन नारों का उद्घोष ले ही करते हों लेकिन हमारा आचरण इसके विपरीत ही होता है. वास्तव में देखा जाये तो प्रत्येक जीवात्मा में परमात्मा का निवास है. जिस दिन हम अपने परम तत्व को जान लेंगे उस दिन हम किसी के विनाश की कल्पना ही नहीं कर सकते. आज आवश्यकता अपने उसी परम तत्व को जानने की है.
वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारी जिन्होंने आज वन रक्षा के साथ ही मानव सेवा के संकल्प के साथ रक्त दान करने का यह आयोजन किया है वह निश्चित ही बधाई और आशीर्वाद के हकदार है. आज उनके द्वारा दिया गया रक्त जिस किसी ी व्यक्ति को लगेगा रक्तदाता यह जान लें कि वह व्यक्ति पूर्व जन्म का उनका अपना कोई सगा संबंधी ही है.
स्वामी जी ने कहा कि आज देश में जंगल काटे जा रहे हैं. पहाड़ खोदे जा रहे हैं. नदियों को प्रदूषित किया जा रहा है. जब हमें जंगल कटने के कारण शुद्ध वायु नहीं मिलेगी, पहाड़ों के खोदे जाने से पर्यावरण प्र ावित होगा और नदियों का प्रदूषित जल नहीं रोका गया तो फिर हमारे धर्म की जय कैसे होगी इस पर हमें चिंतन मनन की आवश्यकता है. प्रकृति को बचाकर ही हम अपने आपको स्वस्थ्य और सुरक्षित रख सकते हैं.आपने कहा कि हम सनातन धर्मावलंबी विश्व कल्याण की कामना करते हैं. विश्व का यह कल्याण प्रकृति को सुरक्षित रखकर ही किया जा सकता है और इसके लिए हमें प्रकृति के नियमों का पालन करना ी जरूरी होगा. अपने लो के लिए हम प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करें तो फिर उसे हम कैसे सुरक्षित रख सकते हैं. पेड़ों और जंगलों का काटा जाना किसी ी दृष्टि से उचित नहीं है.
आज इस वन वि ाग के अधिकारी-कर्मचारी अपना रक्त दान कर ले ही मानव सेवा के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं लेकिन उन्हें वनों, वन्य प्राणियों की सुरक्षा और संरक्षण और संवर्धन की दिशा में ी प्रयास करना होगा त ी उनका यह रक्तदान सार्थक होगा.
इस शिविर में वन वि ाग के 02 वन मंडलाधिकारियों सहित अन्य अधिनस्थ अधिकारी-कर्मचारियों जिनकी संख्या 103 थी ने अपना रक्तदान देकर इस शिविर को सार्थक बनाया.स्वामी  जी के जन्म दिवस के अवसर पर गत वर्ष से उनके शिष्यों द्वारा रक्त दान किये जाने की परम्परा प्रारं की गयी थी और गत वर्ष ही वन कर्मचारी संघ द्वारा इस बात का संकल्प लिया गया था कि स्वामी जी के 2013 में महाशिवरात्रि पर पड़ने वाले जन्मोत्सव पर वन वि ाग के अधिकारी कर्मचारी रक्त दान देकर मानव सेवा में अपना सहयोग प्रदान करेंगे.आज आयोजित इस कार्यक्रम में वन कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों के अलावा अजय मिश्रा अज्जू, प्रशांत शुक्ला का विशेष योगदान रहा.

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