असम के इस्लामीकरण
की खतरनाक चेतावनी
(नवनीत / विस्फोट डॉट काम)
नई दिल्ली (साई)।
भारत के उत्तर-पूर्व का राज्य असम अपने यहां हो रहे हिंसा के वजह से सुर्खियों में
है। असम में जो आग जल रही है वह महाविनाश के पहले की चेतावनी की तरह है कि अगर अभी
भी हम नहीं सभलें तो एक दिन यह समस्या असम को ले डूबेगी। असम के निचले जिले
कोकराझाड़ से जो हिंसा शुरु हुई थी वह फैलकर पास के चिरांग और धुबड़ी जिले में पहुंच
गई। असम सरकार की माने तो यह जातीय हिंसा मुस्लिम और बोडो जनजाति के बीच चल रही
है। लेकिन असलियत में यह संघर्ष असमी मुस्लिम के साथ नहीं अपितु बोडो जनजाति और
असम में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों के बीच चल रही है।
ये बांग्लादेशी
घुसपैठिये एक व्यापक साजिश के तहत धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से भारत के विभिन्न
हिस्सों विशेषकर उत्तर-पूर्व में अपनी तादात बढाते जा रहे है। हमारे देश का यह
दुर्भाग्य है कि राजनीतिक गलियारे में इन्हें वोट बैंक के रुप देखा जाता है। इसके
बारे केन्द्र सरकार व राज्य सरकार दोनों ही भलिभाति अवगत है लेकिन वोट बैंक व
तुष्टीकरण के राजनीति के कारण वह हमेशा से इस पर परदा डालते आ रहे है लेकिन हालीया
संर्घष ने असम में चल रही व्यपाक साजिश का चहेरा सभी के सामने रख दिया है।
दरअसल, बांग्लादेशी
घुसपैठिए बड़े पैमाने पर असम, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, नागालैंड, दिल्ली और जम्मू
कश्मीर तक लगातार फैलते जा रहे हैं। जिनके कारण जनसंख्या असंतुलन बढ़ा है। सबसे
गंभीर स्थिति यह है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों का इस्तेमाल आतंक की बेल के रूप में
हो रहा है, पाकिस्तानी
खुफिया एजेंसी आइएसआइ और कट्टरपंथियों के निर्देश पर बड़े पैमाने पर हुई
बांग्लादेशी घुसपैठ का लक्ष्य ग्रेटर बांग्लादेश का निर्माण करना है साथ भारत के
अन्य हिस्सों में आतंकी घटनाओ को अंजाम देने के लिए भी इनका प्रयोग किया जा रहा है
जिसके लिए भारत के सामाजिक ढांचे का नुकसान व आर्थिक संसाधनों का इस्तेमाल हो रहा
है। दैनिक जागरण में छपे खबर के अनुसार सीमा सुरक्षा बल के पूर्व डीआइजी बरोदा शरण
शर्मा इन घुसपैठियों को आने वाले समय की बड़ी समस्या मानते हैं। शर्मा सेवाकाल में
लंबे समय तक बांग्लादेश सीमा पर तैनात रह चुके हैं।
हिन्दुस्तान सरकार
के बोर्डर मैनेजमेण्ट टास्क फोर्स की वर्ष कि 2000 रिपोर्ट के अनुसार
1।5 करोड़ बांग्लादेशी
घुसपैठ कर चुके हैं और लगभग तीन लाख प्रतिवर्ष घुसपैठ कर रहे हैं। रिपोर्ट के
अनुसार हिन्दुस्तान में बांग्लादेशी मुसलमानों घुसपैठीयों की संख्या इस प्रकार है
रू पश्चिम बंगाल 54 लाख, असम 40 लाख, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि में
5-5 लाख से
ज्यादा दिल्ली में 3 लाख हैं; मगर वर्त्तमान आकलनों
के अनुसार हिन्दुस्तान में करीब 3 करोड़ बांग्लादेशी मुसलमानों घुसपैठिए हैं
जिसमें से 50 लाख असम
में हो सकते है।
असम में जिन तीन
जिलों में यह संघर्ष चल रहा है तो अगर उन जिलो के जनगणना विशलेषण पर एक नंजर डाले
तो स्थिती अपने आप ही साफ हो जाती है। सबसे पहले कोकड़ाझाड जिले पर नंजर डाले 2001-2011 में यहां जनसंख्या
मे वृद्धि दर 5।19ः रही और 2001 के जनगणना के
अनुसार इस जिले में मुस्लिमों की संख्या
बढकर लगभग 20ः हो गई
है। अगर हम असम मुस्लिम जनंसख्या में वृद्धि दर को देखे तो बंग्लादेश से सटे जिलो
में यह सबसे अधिक है जिसके पिछे बंग्लादेशी घुसपैठ मुख्य कारण है। धुबड़ी जिला भी
बंग्लादेश के सीमा से सटा हुआ है। 1971 में यहां मुस्लिम जनसंख्या 64।46ः थी जो 1991 में बढकर 70।45ः हो गई, 2001 के जनगणना के
अनुसार बढकर लगभग 75ः हो गई।
कमोबेश यही हाल 2004 में बने
चिरांग जिले का भी है। जनसंख्या के बढोतरी
का अनुपात देखकर यह साफ प्रतीत होता है कि यह जनसंख्या में सहज हुई वृद्दी नहीं है
अपितु यह बंग्लादेश से आये घुसपैठियों का
नतींजा है।
असम इन देश द्रोही तत्वो के लिए के लिए सबसे महत्वपूर्ण है क्योकिं अगर किसी
प्रकार से असम पर ये अपना प्रभुत्व स्थापित कर लेते है बाकि उत्तर-पर्व के राज्यों
को भारत से अलग किया जा सकता है, असम ही जो उत्तर-पर्व को शेष भारत से जोड़ता है। यहां
जरुत है कि हम इस मुद्दो को वोट बैंक के लिए घर्म का चादर न उढाये। यहां विरोध
मुस्लमानो से नहीं है लेकिन वोट बैंक की राजनीती के चलते जब भी इस ओर कोई आवाज
उठायी जाती है इसे सांप्रदायिकता के रंग में रंग दिया जाता है। बांग्लादेशी घुसपैठ
मुस्लमानों के लिए ज्यादा नुकसान देह है इनसे जो जनसंख्या में भारी असंतुलन हो रहा
है उससे बेरोजगारी की समस्या उत्पन हो रही
है इसके अलावा जो सुविधायें हमारी सरकार
हमारे अपल्संख्यों को देती है वह उसमें में भी वह धीरे- धीरे हिस्सेदार बनते जा
रहे है।
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