चमत्कारिक ही माना
जा रहा है मनीष तिवारी का अभ्युदय!
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
केंद्र सरकार के इस बार के फेरदबल से अनेक नेताओं की लाटरी लगी तो अनेक को हाथ ही
मलते रहना पड़ा। सुबोध कांत सहाय, अंबिका सोनी जैसे नेताओं को घर बैठना पड़ा तो
मनीष तिवारी धूमकेतू के मानिंद सियासी आकाश पर छा गए। सियासी हल्कों में मनीष
तिवारी के अभ्युदय को लेकर अब पतासाजी आरंभ हो गई है।
कांग्रेस के सत्ता
और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया
को बताया कि नए सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री मनीष तिवारी का उदय, दरअसल, अंबिका सोनी और
राजीव शुक्ला की नाकामी का ही नतीजा है। राजीव शुक्ला पेशे से पत्रकार हैं एवं
अंबिका के पास सूचना प्रसारण मंत्रालय था। दोनों ही के रहते हुए भी मीडिया विशेषकर
सोशल मीडिया पर पत्रकारों द्वारा केंद्र सरकार विशेषकर कांग्रेस की छवि पर बट्टा
लगाने का काम तेजी से किया जा रहा था।
सूत्रों ने आगे कहा
कि मनीष तिवारी पांच सालों से कांग्रेस के प्रवक्ता बने हुए हैं। बतौर प्रवक्ता
मनीष तिवारी ने कांग्रेस के लिए सदा ही ढाल का काम किया है। मनीष तिवारी पर
कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी जमकर मेहरबान हैं। मनीष तिवारी की
मीडिया के सामने हाजिर जवाबी की कायल हैं सोनिया गांधी। यही कारण है कि अंबिका
सोनी को हाशिए में ढकेलकर युवा मनीष तिवारी को सूचना और प्रसारण मंत्रालय की कमान
सौंपी गई है।
उधर प्रधानमंत्री
कार्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सोनिया गांधी के
निर्देश पर प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह भी मनीष तिवारी को खासा भाव दे रहे हैं।
मनीष तिवारी के राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार होने के बाद भी उन्हें कैबनेट की
बैठक में जाने की अनुमति प्रदान की गई है। इतना ही नहीं मीडिया के मामलों में बने
मंत्री समूह जिसमें कपिल सिब्बल, पलनिअप्पम चिदम्बरम, गुलाम नवी आजाद, अश्विनी कुमार जैसे
घाघ नेता हैं उसमें तिवारी को शामिल किया गया है।
कांग्रेस की मीडिया
समिति में भी अंबिका सोनी और दिग्विजय सिंह के साथ मनीष तिवारी को स्थान दिया गया
है। मनीष तिवारी के उत्थान के पीछे उनकी सीधी और सकारात्मक सोच ही मानी जा रही है।
तिवारी के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि तिवारी काम में
ही विश्वास रखते हैं। वैसे तिवारी के अभ्युदय से जनार्दन द्विवेदी, राजीव शुक्ला, पवन बंसल, अश्विनी कुमार जैसे
नेताओं के पेट में दर्द उठने लगा है।
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