लाजपत ने लूट लिया
जनसंपर्क ------------------ 21
आखिर पत्रकार
आंदोलन की राह पर क्यों?
(डेविड विनय)
भोपाल (साई)। मध्य
प्रदेश सरकार की छवि को अघोषित तौर पर और जनकल्याणकारी योजनाओं को घोषित तौर पर
जनता के समक्ष लाने के लिए पाबंद मध्य प्रदेश के जनसंपर्क विभाग द्वारा कथित तौर
पर पत्रकारों से भेदभाव करने पर पत्रकारों को मजबूरी में आंदोलन की राह पकड़नी पड़
रही है। जनसंपर्क के इस सगे सौतेले व्यवहार से क्षुब्ध पत्रकारों ने 10 दिसंबर को राजधानी
भोपाल में एक रैली निकालकने का आव्हान किया है।
इस रैली या
जनसंपर्क मंत्री की प्रतीकात्मक शवयात्रा निकालने के संबंध में पत्रकारों ने बताया
कि दरअसल, जनसंपर्क
विभाग को कुछ मठाधीशों के हवाले कर दिया गया है। कहने को जनसंपर्क मंत्रालय का
प्रभार लक्ष्मी कांत शर्मा के पास है पर जब बारी पत्रकारों या समाचार पत्रों के
हितों की आती है तो जनसंपर्क विभाग में पदस्थ अफसर या कर्मचारी किसी अन्य मंत्री
की देहरी चूमने की बात करने लगते हैं।
एक पीडित पत्रकार
ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा कि उसके संस्थान को मध्य प्रदेश सरकार के
विज्ञापन पैनल में शामिल करने के लिए जनसंपर्क विभाग के एक आला अधिकारी द्वारा
सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन की चिरौरी करने के लिए तीन एसएमएस भेजे गए। इन
एसएमएस को आज संचार क्रांति के युग में रिकार्ड से निकलवाया जा सकता है। अब इन
परिस्थितियों में पत्रकार या समाचार पत्र अपने दायित्वों का निर्वहन करे या फिर
भाजपा के मंत्री की चिरौरी करते घूमे।
प्राप्त जानकारी के
अनुसार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास पत्रकारों की
समस्याओं की जानकारी पहुंच ही नहीं पा रही है। संगठन में भी बैठे कुछ दलालों
द्वारा जो तस्वीर पेश की जा रही है उससे पत्रकारों की स्थिति वाकई काफी दयनीय हो
चुकी है। कहा जा रहा है कि बालाघाट के एक पत्रकार द्वारा मध्य प्रदेश सरकार से सूचना
के अधिकार के तहत इस बात की जानकारी चाही गई कि मध्य प्रदेश के कितने पत्रकारों को
दिल्ली प्रवास के दौरान क्या क्या सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं और इस पर कितना व्यय
किया गया?
इसकी जानकारी आज तक
मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग द्वारा उपलब्ध नहीं कराई गई। कहा जा रहा है कि दिल्ली
में ही रहने वाले पत्रकरों के नाम पर जनसंपर्क विभाग द्वारा पूर्व में बिल बाउचर
लगाकर भाजपा के सांसद विधायकों की सेवा में सरकारी मदद का दुरूपयोग किया जाता रहा
है। इसी तरह मध्य प्रदेश में अधिमान्य पत्रकारों में भी सगे सौतेले का व्यवहार
किया जाता है। मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क के आधिकारिक वेब पोर्टल एमपीइन्फो
डॉट ओ आर जी से भी पत्रकारों की सूची हटा दी गई है ताकि किसी भी पत्रकार की
अधिमान्यता की काबिलियत पर प्रश्न चिन्ह ना लगाया जा सके?
प्राप्त जानकारी के
अनुसार 10 दिसंबर को
पत्रकारों ने काला दिवस मनाने का निर्णय लिया है। इस हेतु पत्रकार बचाओ आंदोलन की
कोर कमेटी का गठन किया गया है जिसमें वरिष्ठ पत्रकार दिनेश चंद वर्मा, अवधेश भार्गव, विनय डेविड, जय श्रीवास्तव, आदित्य उपाध्याय, तेजभान पाल, वंशीधर दूत, रामकिशोर पाल को
शामिल किया गया है। इसी तरह पत्रकार बचाओ आंदोलन के संयोजकों में अमर नौरिया, कुंदन अरोरा, ओम सरावगी, मेजर राकेश शर्मा, उदय पटेल, अहसान अंसारी, राजेश रजग, जेएचपंवार, नरेंद्र भार्गव
संजीव आदि का समावेश किया गया है।
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