मार्च से होगी रेल
यात्रा मंहगी!
(शरद खरे)
नई दिल्ली (साई)।
अगले साल का रेल्वे बजट आम आदमी की कमर तोड़ने के लिए पर्याप्त माना जा सकता है।
भारतीय रेल अब यात्री किराए में जमकर बढोत्तरी का मन बना रही है। रेल बजट के
तत्काल बाद मार्च माह में ही रेल किराए में बढोत्तरी के संकेत प्रधानमंत्री
कार्यालय ने दिए हैं। पीएमओ ने रेल सुधार को हरी झंडी दिखाकर रेल किराए में वृद्धि
सुनिश्चित कर दी है।
पीएमओ के सूत्रों
ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि प्रधानमंत्री ऑफिस ने रेलवे में सुधार के
लिए डेडलाइन तय कर दी है। इसमें खास करके स्वतंत्र टैरिफ नियामक के साथ कई सालों
से लटके प्रोजेक्टों को हर हाल में जमीन पर लाने की बात कही गई है। प्रधानमंत्री
ने अंतर मंत्रालयी समूह प्रमुख जो कि रेलवे बोर्ड के चेयरमैन हैं से कहा है कि वह
रेल टैरिफ अथॉरिटी के प्रस्ताव को 31 दिसंबर तक फाइनल करें। इस प्रस्ताव में
पैसेंजर किराए में बढ़ोतरी की बात कही गई है। गौतरलब है कि पिछले 9 सालों से रेल
किराए में कोई बढ़ेतरी नहीं हुई है। रेल किराए में बढ़ोतरी नहीं होने की वजह सरकार
की लोकप्रिय नीतियां बताई जाती हैं।
सूत्रों ने समाचार
एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा में आगे कहा कि पीएमओ इस प्रस्ताव को लागू करने में
तेजी लाने के लिए 15 जनवरी 2013 तक कैबिनेट नोट
जारी करने की तैयारी में है। पवन कुमार बंसल ने रेल मंत्रालय संभालते ही किराए में
बढ़ोतरी के संकेत दे दिए थे। उन्होंने इरादा जता दिया था कि स्टेट पर सब्सिडी का
बोझ हर हाल में कम किया जाएगा। प्रस्ताव में डीजल और बिजली की बढ़ी कीमतों को देखते
हुए भी रेल किराए में बढ़ोतरी की सिफारिश की गई थी।
उधर रेल मंत्री पवन
बंसल के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि रेलवे आर्थिक संकट
से जूझ रहा है। इस हालत में कहा जा रहा है कि सरकार के पास रेल किराए में बढा़ने
के आलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। गठबंधन की राजनीति में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों
के भारी दबाव की वजह से रेल किराए में 9 सालों से कोई इजाफा नहीं हुआ था। नियामक ने
कहा है कि 2002-03 के बाद
रेल किराए में कोई बढ़ोतरी नहीं होने की वजह से 24,000 करोड़ का सलाना
नुकसान हुआ है। पीएमओ ने देश भर में पेंडिंग में पड़े कई प्रोजेक्टों के काम में भी
पीपीपी(पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनर्शिप) मॉडल पर शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
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