रविवार, 26 फ़रवरी 2012

पीएमओ में इकबाल बुलंद है पुलक चटर्जी का


बजट तक शायद चलें मनमोहन. . . 93

पीएमओ में इकबाल बुलंद है पुलक चटर्जी का

बढ़ता ही जा रहा है पुलक का प्रभुत्व

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) सहित देश के मीडिया में सबसे कम समय में धूमकेतू की तरह अगर कोई चमका है तो वह शख्सियत है प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पुलक चटर्जी। कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के सबसे विश्वस्त और करीबी पुलक चटर्जी का इकबाल पीएमओ में काफी हद तक बुलंद है।
पीएमओ के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि पुलक चटर्जी का जादू पीएमओ में सर चढ़कर बोल रहा है। आलम यह है कि अब पीएमओ के आगंतुक वज़ीरे आज़म डॉ.मनमोहन सिंह से ज्यादा दिलचस्पी पुलक चटर्जी से मिलने में ले रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि गैर राजनैतिक सोच के धनी प्रधानमंत्री के दरबार की अपेक्षा पुलक चटर्जी के दरबारियों की तादाद सौ गुना अधिक है।
सूत्रों की मानें तो पिछले दिनों वाशिंगटन से आए विश्व बैंक के एक प्रतिनिधिमण्डल को जब प्रधानमंत्री से मिलने का समय मिला तो लोग उस वक्त हैरत में पड़ गए जब उन्हें पता चला कि प्रतिनिधि मण्डल, प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के बजाए उनके प्रधान सचिव पुलक चटर्जी से मिलने के लिए ज्यादा व्यग्र दिखा। लोगों को लगने लगा है कि अब पुलक चटर्जी का प्रभुत्व चरम पर पहुंच चुका है।
सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री के मीडिया एडवाईजर रहे हरीश खरे को पुलक चटर्जी की आमद के साथ ही चटर्जी की नाराजगी का शिकार होकर अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा था। उनके स्थान पर पुलक चटर्जी को यस बॉसकहने से गुरेज नहीं करने वाले पंकज पचौरी को पीएमओ में बतौर पीएम के मीडिया एडवाईजर नौकरी पर रख लिया गया। पुलक चटर्जी को पहले पहल तो पचौरी रास नहीं आए, फिर अचानक ही पचौरी भी मीर बनते दिख रहे हैं।
पीएमओ के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि पंकज पचौरी ने पीएमओ की आबो हवा को पहचानकर अब पीएम के मीडिया मैनेजमेंट से ज्यादा ध्यान पुलक चटर्जी के मीडिया मैनेजमेंट की ओर देना आरंभ कर दिया है। पचौरी के प्रभाव वाले मीडिया ने पुलक चटर्जी का समा बांध दिया है। इन सारी कतरनों आदी को रोजना ही चटर्जी के सामने पेश कर पचौरी अपने नंबर बढ़वाने में कामयाब होते दिख रहे हैं। पीएमओ में पुलक चटर्जी के बढ़ते प्रभुत्व को देखकर उनके सहयोगियों में चटर्जी के प्रति ईष्या के भाव आना स्वाभाविक ही है।

(क्रमशः जारी)

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