रविवार, 26 फ़रवरी 2012

बुखार में कारगर है सप्तपर्णी


हर्बल खजाना ----------------- 31

बुखार में कारगर है सप्तपर्णी



(डॉ दीपक आचार्य)

अहमदाबाद (साई)। सप्तपर्णी एक पेड है जिसकी पत्तियाँ चक्राकार समूह में सात - सात के क्रम में लगी होती है और इसी कारण इसे सप्तपर्णी कहा जाता है। इसके सुंदर फ़ूलों और उनकी मादक गंध की वजह से इसे उद्यानों में भी लगाया जाता है। इसका वानस्पतिक नाम एल्सटोनिया स्कोलारिस है।
पातालकोट के आदिवासियों का मानना है कि प्रसव के बाद माता को यदि छाल का रस पिलाया जाता है तो दुग्ध की मात्रा बढ जाती है। इसकी छाल का काढा पिलाने से बदन दर्द और बुखार में आराम मिलता है। डाँग- गुजरात के आदिवासियों के अनुसार जुकाम और बुखार होने पर सप्तपर्णी की छाल, गिलोय का तना और नीम की आंतरिक छाल की समान मात्रा को कुचलकर काढा बनाया जाए और रोगी को दिया जाए तो अतिशीघ्र आराम मिलता है।
आधुनिक विज्ञान भी इसकी छाल से प्राप्त डीटेइन और डीटेमिन जैसे रसायनों को क्विनाईन से बेहतर मानता है। पेड से प्राप्त होने वाले दूधनुमा द्रव को घावों, अल्सर आदि पर लगाने से आराम मिल जाता है। छाल का काढा पिलाने से दस्त रुक जाते है। दाद, खाज और खुजली में भी आराम देने के लिए सप्तपर्णी की छाल के रस का उपयोग किया जाता है।


(साई फीचर्स)

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