चालू योजना का आज फिर शुभारंभ हुआ सीएम के हाथों
(नन्द किशोर)
भोपाल (साई)। निजी स्तर पर चाहे किसी भी कंपनी की ब्रांडेड दवाएं लिखी जाएं पर सरकारी अस्पताल में तो जेनरिक दवाएं ही लिखना जरूरी हो गयाहै। मुख्यमंत्री द्वारा आज जबलपुर में जिस योजना का श्रीगणेश किया जा रहा है उस योजना को 7 नवंबर को दमोह में पहले ही आरंभ किया जा चुका है। जहां राज्य सरकार द्वारा निशुल्क दवा वितरण की योजना का आरंभ किया गया है वहीं दूसरी ओर पेंशनर्स राज्य भर में दवाओं के लिए महीनों से तरस रहे हैं।
सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर मरीजों को जेनरिक दवा ही लिख सकेंगे। ब्रांडेड कंपनी की दवाएं लिखने वाले डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन निरस्त किया जाएगा। यह निर्देश लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव प्रवीर कृष्ण ने दिए।
राज्य सचिवालय वल्लभ भवन के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि हेल्थ के चीफ सेकरेटरी ने यह भी निर्देश दिए कि अस्पतालों से अब किसी भी कीमत पर वीआईपी और प्रशासनिक अधिकारियों को स्थानीय स्तर पर खरीदकर दवाएं मुहैया नहीं कराई जाएंगी।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार सरदार वल्लभ भाई पटेल निरूशुल्क दवा वितरण योजना का शुभारंभ करने जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह आज जबलपुर से इसका शुभारंभ किया। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रवीर कृष्ण ने बताया कि डॉक्टर मरीज के पर्चे पर जेनरिक दवा ही लिख रहे हैं या नहीं, इसकी जिम्मेदारी भी कलेक्टरों को सौंपी गई है। अस्पतालों में मरीजों की दवा पर्ची दो प्रतियों में बनेगी।
दवा पर्ची की एक प्रति मरीज अथवा उसके परिजन दवा वितरण केंद्र पर फार्मासिस्ट को देंगे, जो स्टोर के रिकार्ड में रखी जाएगी। साथ ही दूसरी पर्ची मरीज घर ले जा सकेंगे। उल्लेखनीय है अभी अस्पतालों में मरीज को एक ही दवा पर्ची दी जाती है, जो फार्मासिस्ट के रिकार्ड में जमा हो जाती है। इसके चलते मरीज को फार्मासिस्ट ने डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवा दी है अथवा उसके स्थान पर दूसरी? इसकी आशंका बनी रहती है।
उधर, राज्य सरकार की निशुल्क दवा वितरण योजना पर नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने सवालिया निशान लगाया है। उन्होंने प्रेस को जारी की विज्ञप्ति में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पूछा है कि क्या अभी अस्पतालों में मरीजों को निशुल्क दवाएं नहीं मिल रहीं ? उन्होंने मुख्यमंत्री चौहान पर केंद्र की योजना को राज्य में लागू कर मुफ्त में श्रेय लेने का आरोप लगाया है।
1250 स्थित जयप्रकाश चिकित्सालय के सेवानिवृत सिविल सर्जन डॉ. योगेश बलुआपुरी ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जेनरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं से सस्ती होती है। ब्रांडेड और जेनरिक दवा का केमिकल कंपोजीशन एक ही होता है, फर्क सिर्फ कीमत का होता है। दवा कंपनी ब्रांड की कीमत मरीज से वसूलती हैं।
अस्पतालों के दवा स्टोर्स में कभी भी 50 से ज्यादा दवाएं उपलब्ध नहीं रहतीं। इस स्थिति में डॉक्टर को स्टोर में उपलब्ध दवाएं ही मरीज को लिखने के लिए बाध्य करना गलत है।
सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शनिवार को जबलपुर में जिस सरदार पटेल निशुल्क दवा वितरण योजना की शुरुआत करेंगे, 7 नवंबर को दमोह जिला अस्पताल में उसकी शुरुआत हो चुकी है। योजना की शुरुआत जेल एवं परिवहन राज्य मंत्री नारायण सिंह, कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया और जल संसाधन मंत्री जयंत मलैया ने कर दी है।
इसके साथ ही साथ समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के सिवनी ब्यूरो से शिवेश नामदेव ने बताया कि प्रियदर्शनी जिला चिकित्सालय सिवनी में कई माहों से पेंशनर्स को दवाएं ही नहीं मिल पा रही हैं। इसका कारण यह है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा मनमर्जी की दवाएं पेंशनर्स की मद में आए आवंटन से खरीद ली गई हैं।
एक चिकित्सक ने नाम उजागर ना किए जाने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि कमीशन के चक्कर में पेंशनर्स के खाते में आए आवंटन से एसी दवाएं खरीदी गईं हैं जो पेंशनर्स के लिए अनुपयोगी हैं। ब्लड प्रेशर की एक ही दवा खरीदी गई है जो कि कम ही मरीजों के काम आती है।
इतना ही नहीं सामान्य आवंटन में मल्टी विटामिन जैसी दवाएं थोक में पड़ी होने के बाद भी पेंशनर्स के आवंटन से इसे खरीदा गया है। मजे की बात तो यह है कि पैंशनर्स को एसीडिटी की कोई भी दवा नहीं दी जा रही है। जिला चिकित्सालय सिवनी के स्टाक में एसीडिटी की कोई भी दवा नहीं है।
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