मंगलवार, 17 जुलाई 2012

रामदेव का सियासी कीड़ा कुलबुलाया


रामदेव का सियासी कीड़ा कुलबुलाया

(विनीता विश्वकर्मा)

पुणे (साई)। इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू योग गुरू रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव के अंदर सियासी कीड़े ने अब अंगड़ाई लेना आरंभ कर दिया है। योग और स्वदेशी दवाओं की आड़ में अरबों रूपयों की मिल्कियत बनाने वाले इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू योग गुरू रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव ने कहा है कि अपने प्रदर्शन की सफलता के बाद ही तय करेंगे कि वे 2014 में चुनावी महासमर में उतरें या नहीं।
इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू योग गुरू रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव ने बयान दिया, है कि इस समय वे काले धन को देश में वापस लाने और लोकपाल कानून बनने पर जोर दे रहे हैं। समाज, तंत्र और सत्ता में बदलाव लाना जरूरी है। यह कैसे होगा, इसके बारे में फैसला उनके प्रदर्शन के दौरान लिया जाएगा। वे अभी सिर्फ संकेतों में बात करना चाहते हैं। हालांकि, भारत स्वाभिमान संगठन के लिए समर्थन जुटा तो वे खुद भी मुख्य धारा की राजनीति में आने पर विचार कर सकते हैं।
इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू योग गुरू रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव सिर्फ सरकार से लड़ाई ही नहीं, सत्ता पर चढ़ाई की तैयारी में भी हैं। जिसकी घोषणा का मंच बन सकता है 9 अगस्त को दिल्ली में होने वाला रामदेव का आंदोलन। हालांकि सरकार से खार खाए रामदेव हर कदम फूंक-फूंक कर रखना चाहते हैं। दिल्ली में स्वामी रामदेव के आंदोलन को टीम अन्ना ने भी समर्थन दिया है। और आज अन्ना-रामदेव की अगस्त क्रांति के खुलासे पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं।

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