ग्रामीण इलाके में
जाने से परहेज कर रहे जनसेवक
(अभय नायक)
रायपुर (साई)।
छत्तीसगढ़ में सलवा जुडूम के बाद से आया तूफान लगातार तेज होता चला गया। इस तूफान
पर नियंत्रण के लिये केन्द्रीय बलों का सहारा भी लिया गया। पूरी ताकत झोंक दी गई, लेकिन हालात सुधरने
की जगह बिगड़ने लगे। बुरी तरह से बिगड़ चुके हालात अब नियंत्रण से बाहर होने लगे
हैं।
आलम यह है कि सलवा
जुडूम से जुड़े लोगों पर रोज हमले हो रहे हैं उनकी हत्याएं हो रही हैं। वहीं दूसरी
ओर सरकारें इनकी सुरक्षा कर पाने में पूरी तरह नाकामयाब साबित हुई है, जनसेवकों के
ग्रामीण इलाकों में जाने पर जैसे प्रतिबंध लगा हुआ है। ऐसे में सारकेगुड़ा में
मुठभेड़ के नाम पर मारे जाने वाले लोगों और उनके परिवारों की हालत देख कर ये लगता
है कि दस साल पुराना बस्तर अब से लाख गुना बेहतर था।
अब तो आरोप लगने
लगे हैं कि करोड़ों रूपए जिस समस्या से उबरने के लिये पानी की तरह बहाये गये उन
रूपयों से बस्तर संभाग का एक-एक गांव चमन बन सकता था। फिलहाल सारकेगुड़ा मुठभेड का
सच अधिकारिक तौर पर अभी आना बाकी है,पर मुठभेड़ में जिन नक्सलियों के मारे जाने
की बात सरकार कह रही है उन्हीं में से एक का नाम काका नागेश है।
बताया जाता है कि
काका नागेश का दूसरा नाम राहुल भी है। यह छात्र बासागुड़ा बालक आश्रम का दसवीं
कक्षा का विद्यार्थी था। बहुत ही प्रतिभावान विद्यार्थी के रूप में इसकी गिनती
होती थी। इसका सहपाठी रामबिलास भी इस घटना में सीआरपीएफ की गोलियों का शिकार हो
गया।
उधर, बासागुड़ा बालक
आश्रम के अधीक्षक राजेन्द्र नेताम ने अफसोस के साथ कहा कि अगर घटना दो दिनों बाद
होती तो ये बच्चे बच गये होते क्योंकि एक जुलाई से ये दोनों बच्चे आश्रम आ गये
होते। उन्होंने बताया कि लगातार नवमीं तक काका नागेश का रिजल्ट सर्वश्रेष्ठ रहा।
काका नागेश को
पढाने वाले शिक्षकों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि ये दोनों छात्र हमेशा
साथ रहते थे। आश्रम में मौजूद अन्य बच्चों ने भी इन दोनों छात्रों की तारीफ की और
अफसोस जताया। इधर कलेक्टर रजत कुमार ने कहा है कि उनको अभी तक इसके विद्यार्थी
होने का कोई प्रमाण नहीं मिला है।
बताया जाता है कि
इसी आश्रम की बाऊड्री वाल से लगा बासागुड़ा थाना है। इस थाने के रिकॉर्ड में यही
काका नागेश बेहद खतरनाक नक्सली है। इसके खिलाफ दो गंभीर मामले हैं। पुलिस रिकॉर्ड
में काका नागेश उर्फ काका राहुल के खिलाफ स्थाई वारंट जारी किया गया है। फिलहाल
मुठभेड़ के बाद पुलिस ने जो जानकारी सरकार को दी सरकार उस जानकारी पर पूरा भरोसा
दिखाते हुए इस बात अडिग है कि काका नागेश वाकई नक्सली था।
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