मंगलवार, 17 जुलाई 2012

हरवंश पर भाजपा की चुप्पी संदिग्ध


हरवंश पर भाजपा की चुप्पी संदिग्ध

(शमीम खान)

सिवनी (साई)। साधारण ठेकेदार और स्कूली शिक्षक से हजारों करोड़ो रूपयों का कारोबार करने वाले दिलीप सूर्यवंशी और सुधीर शर्मा के धनबलि और बाहुबलि बनने की घटना से ज्यादा रोचक है एक साधारण कृषक के परिवार में जन्मे हरवंश सिंह के द्वारा विराट संपत्ति और धनसंपदा जुटाने की सच्चाई से। हालांकि अपने कुशल मैनेजमेंट के दम पर फिलहाल हरवंश सिंह ने आकृति समूह के कथित संचालक हेमंत सोनी का नाम मीडिया से हटवा लिया है परंतु संघ और भाजपा से जुड़े ईमानदार नेता हरवंश सिंह को घेरने की तैयारी में जुट गये हैं। संदेहास्प्रद रूप से इस मामले में डा. ढालसिंह बिसेन, नरेश दिवाकर से लेकर हरवंश सिंह को पानी पी- पी कर कोसने वाली नीता पटेरिया के होठ सिल गये हैं।
छिंदवाड़ा जिले के बिंदरई गांव से विस्थापित होकर सिवनी जिले के बर्रा गांव में स्थापित होने वाले हरवंश सिंह और उनके परिवार के पास शुरूआती दौर में भले ही एक भी एकड़ जमीन नहीं थी परंतु यदि सूत्रों की माने तो आज हरवंश सिंह के पास सिर्फ सिवनी जिले में पंद्रह सौ एकड़ (डेढ़ हजार एकड़) से ज्यादा जमीन है। आज भी हरवंश सिंह और उनके परिवार के द्वारा जिले में बेशकीमती जमीन खरीदने का सिलसिला जारी है। सूत्रों की माने तो अभी कुछ महीने पहले ही हरवंश सिंह ने अपने पुत्रों के नाम बेशकीमती जमीन खरीदा है। इसी खरीदी में कॉमेडी यह है कि यह जमीन हरवंश सिंह ने बैंक से लोन लेकर खरीदा है।
नब्बे के दशक में हाथकरघा संघ का उपाध्यक्ष बनकर भोपाल में सत्ता के ठेकेदारों के संपर्क में आने के बाद हरवंश सिंह को बड़ा आदमी बनने का वर्षों पुराना सपना साकार होते दिखने लगा। इस दौर में हरवंश सिंह ने जमीन पर निवेश करना प्रारंभ कर दिया। हरवंश सिंह के खेत करोड़ो रूपये मूल्य की सोयाबीन की फसल दर्शाने लगे। हरवंश सिंह और उनके परिवार के द्वारा सोयाबीन समेत अन्य फसलों को बेचकर होने वाली आय की जांच की जाये तो अत्यंत दिलचस्प आंकड़े सामने आ सकते हैं।
1992-93 में केवलारी विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद हरवंश सिंह की समृद्धि को पंख लग गये थे। प्रदेश की राजनीति से बलशाली नेता अर्जुन सिंह की विदाई हो रही थी। समय को भांपकर हरवंश सिंह ने कमलनाथ के बंगले के चक्कर लगाना शुरू कर दिया था। दिग्विजय सिंह मंत्री मंडल के ताकतवर मंत्री के रूप में पहचान बनाने वाले हरवंश सिंह ने कथित तौर पर कमलनाथ के केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री रहते कई अहम पर्यावरणीय अनुमति दिलाने के मामले में प्रमुख भूमिका निभाया, जिसके परिणाम स्वरूप हरवंश सिंह दुगुनी तेजी से समृद्ध और धनी होने लगे।
बीसवीं सदी के अंतिम दशक में हरवंश सिंह ने विभिन्न व्यवसाय में निवेश करना प्रारंभ कर दिया था। 1993 से 1998 को पहली पंचवर्षीय में हरवंश सिंह ने प्रमुख रूप से जमीन खरीदने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाया था। छपारा ब्लाक में भीमगढ़ सड़क से सटी मधुवन फार्म हाऊस को देश- प्रदेश का हर व्यक्ति देखना चाहेगा। लगभग दो सौ एकड़ में फैले इस फार्म हाऊस के मालिक ठाकुर हरवंश सिंह और उनका परिवार है। छपारा के पास फोरलेन बायपास से उक्त फार्म हाऊस में बनाये गये वेयर हाऊस स्पष्ट तौर पर देखे जा सकते हैं। इन वेयर हाऊस में नरसिंहपुर और करेली के शुगर मील से लायी गयी शक्कर और अन्य कृषि उत्पाद रखे जाते हैं।
जमीन के मामले में साधारण जानकारी रखने वाला व्यक्ति भी भीमगढ़ बांध से लगी मधुबन फार्म हाऊस की दो सौ एकड़ जमीन की कीमत का अंदाजा आसानी से लगा सकता है। यदि उक्त जमीन की न्यूनतम कीमत पांच लाख रूपये प्रति एकड़ की दर से आंकलित की जाये तो मधुबन फार्म हाऊस की वर्तमान न्यूनतम कीमत दस करोड़ रूपये होगी।
सूत्रों की माने तो मधुबन फार्म हाऊस की दो सौ एकड़ जमीन से कहीं ज्यादा जमीन हरवंश सिंह और उनके परिवार ने धनौरा और उसके आसपास के क्षेत्रों में खरीदा है, जिसकी चर्चा हम अगली बार करेंगे साथ ही यह भी जानने का प्रयास करेंगे कि मात्र दस वर्ष की छोटी अवधि में कोई किसान कैसे एक हजार एकड़ से ज्यादा जमीन खरीद सकता है।

1 टिप्पणी:

संगीता पुरी ने कहा…

सब अपने अपने जुगाड में ..

देश को संभाले तो संभाले कौन ?
समग्र गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष