शनिवार, 29 जून 2013

66 साल से बिजली को तरस रहे सिवनी के वाशिंदे!

66 साल से बिजली को तरस रहे सिवनी के वाशिंदे!

शिवराज की अटक ज्योति अभियान की जमीनी हकीकत

(इंजीनियर उदित कपूर)

सिवनी (साई)। इस गांव के किसी भी घर में लाइट नहीं है..., ना ही पंखा है और ना ही कूलर, फ्रिज, यहां किसी के भी घर में टीवी तक नहीं है लेकिन एक चीज़ जो हर घर में मौजूद है, वो है चिमनी यानी कि दीया। जी हां यह हकीकत है, सिवनी जिले में ऐसा ही नजारा है ग्रामीण अंचलों का
फोटो में नज़र आ रहे घुप्प अंधेरे की ये तस्वीरें हैं मध्य प्रदेश के सिवनी ज़िले के कुछ गांवों की, जहां आज़ादी के 66 बरस बीत जाने के बाद भी आज तक बिजली नहीं पहुंच पाई है। अंधेरे के पीछे छीपा ये सच मध्य प्रदेश सरकार के उस वादे के बिलकुल उलट है जिसमें अटल ज्योति अभियान के तहत सबके घर सदैव बिजली का दावा किया जा रहा है। सिवनी में 22 जून को प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान ने अटल ज्योति योजना का आगाज कर दिया है, लेकिन यहां के 14 गांवों की ये अंधकारमय तस्वीर मध्य प्रदेश सरकार के दावों को पूरी तरह नकारती नज़र आती है।
ग्राम टकटुआ के ग्रामीण राजेंद्र सिंह ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि बिजली के नहीं होने से बच्चों को पढ़ने में बहुत परेशानी हो रही है, कीड़े-करकट का डर लगा रहता है, चिराग की रौशनी में पढ़ने आंखों पर ज़ोर लगाना पड़ता है, गर्मी अलग लगती है, इसलिए बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं
आलम यह है कि लाइट नहीं होने की वजह से गांव वालों के लिए रौशनी का एक मात्र सहारा चिमनी ही है, लेकिन हर रोज़ चिमनी जलाना भी इनके लिए आसान नहीं है।
वहीं ग्राम कोपीझोला के ग्रामीण दीपक विश्वकर्मा ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि लाइट ना रहने से हम लोगों को दिन में भी चिमनी जलाकर रहना पड़ता है, चिमनी में डलने वाले मिट्टी तेल के लिए 20 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है, सोसायटी यहां से 20 किलोमीटर है, जाने के बाद भी कभी मिला नहीं मिला। वैसे बिजली का ना होना यहां के लोगों के लिए तो जैसे अभिशाप बन गया है, गांवों में कुएं भी है और पानी भी है लेकिन मोटर ना चल पाने की वजह से पानी खेतों तक नहीं पहुंच पाता। इसलिए सालभर में एक ही फसल हो पाती है।
ग्राम टकटुआ के ही किसान अशोक कुमार राहंगडाले का कहना है कि साल में एक ही फसल लेते हैं धान की, दूसरी फसल और ले लेते लेकिन बिजली नहीं है, कुएं तो हैं लेकिन पानी का साधन नहीं है, इसलिए दूसरी फसल नहीं ले सकते हैं। देखा जाए तो बिजली ना होने की वजह से ये गांव के लोग बाकी दुनिया से खुद को कटा महसूस करते हैं।
वहीं के एक अन्य ग्रामीण दुर्गा प्रसाद ठाकरे ने साई न्यूज को बताया कि बिजली ना होने की वजह से टीवी नहीं चल पाता है, जिससे हमें बाकी दुनिया में क्या हो रहा है और शासन की योजनाओं का भी पता नहीं चल पाता है। कांग्रेस का शासन रहा हो या भाजपा का या फिर लगातार लंबे समय तक यहां के विधायक हरवंश सिंह ठाकुर रहे हों पर बिजली का ये इंतज़ार इतना लंबा हो गया है कि अब तक गांव के बुज़ुर्ग भी बस एक ही बात कहतें हैं हमें बिजली दिला दो
सिवनी ज़िले की केवलारी विधानसभा के 9 गांवों सुआ, टकटुआ, चिरईडोंगरी, कोपीझोला, पीपरदौन, पाढंरापानी, मशानबर्रा, दामीझोला बंजर, डूंडलखेड़ा और बरघाट विधानसभा के 5 गांवों गुरजई, हाथीगढ़, खिड़की, पंड्रापानी और बावनथड़ी में आज तक कभी बिजली पहुंची ही नहीं, इंसान चांद पर पहुंच गया लेकिन यहां के वाशिंदों के लिए तो उनके गांव में बिजली आना आज भी एक सपने जैसा ही है। कई नेता आए, वायदा किया और चले गए, लेकिन इन गांवों की हालत बीते 66 बरस से जस की तस बनी हुई है तभी तो 4-5 गांवों के लोगों ने इस बार चुनाव के बहिष्कार का ऐलान का कर दिया है।
एक ग्रामीण अमरनाथ ने साई न्यूज से चर्चा में कहा कि हमारे यहां 66 साल से बिजली अभी तक नहीं आई है, इसलिए हम 5-6 गांव के लोगों वे मिलकर निर्णय लिया है  कि जब तक हमारे गांवों में बिजली नहीं आएगी, कोई वोट नहीं डालेगा, इसका फ़ैसला हमारा हो चुका है।
मजे की बात तो यह है कि इस बारे में जब मध्य प्रदेश पूर्वी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सुपरिन्टेन्डेंट इंजीनियर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है अगर स्वीकृति मिली तो गांवों तक बिजली पहुंच जाएगी

कथन

14 गांवों में बिजली पहले तो सोलर पैनल के माध्यम से पहुंचाई गई थी, ये गांव वनबाधित गांव हैं, इन गांवों के विद्युतीकरण के लिए योजना भी स्वीकृत हुई थी, लेकिन फॉरेस्ट की ओर से केबल के माध्यम से विद्युतीकरण के लिए कहा गया, लेकिन डीपीआर में इसका ज़िक्र नहीं था इसलिए वो योजना पूरी नहीं पाई, अब जो शेष बचे हैं उनको दोबारा योजना में शामिल करने के लिए हमने प्रस्ताव बनाकर भेजा है, प्रस्ताव स्वीकृत हो जाएंगे तो विद्युतीकरण हो जाएगा।
एम एल चिकवा, सुपरिन्टेंडेंट इंजीनियर, मध्य प्रदेश पूर्वी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी

जनसंख्या वहां की जितनी है उस हिसाब से व्यय ज़्यादा आ रहा था, इसलिए मेरे अनुसार जो मुझे लगता है ये गांव छूट गए, विद्युत  विभाग ने इनकों अगले प्लान में लिया हुआ है लेकिन उसमें 5 साल का समय लगना संभावित है। जनप्रतिनिधियों की भी मांग है, जनता की भी मांग है, इसके बाद मैंने समीक्षा की, विद्युत विभाग से एस्टीमेट बनवाया, तो मुझे लगता है कि इसे आईएपी से लेने की डिमांड थी, तो हम इस साल चार गांवों को केवलारी विधानसभा के दो गांव और बरघाट विधानसभा के दो गांवों को  आईएपी में विद्युतीकृत कराने में ले रहे हैं, क्योंकि विद्युत विभाग की क्षमता नहीं है इससे ज़्यादा कराने की, इस साल चार गांव ले रहे हैं, अगले साल फिर चार गांव लेंगे, इस तरह दो तीन सालों में इन गांवों को विद्युतीकृत कर देंगे।

भरत यादव, कलेक्टर, सिवनी

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