राजनीति का नया
ट्रेंड
दिमाग के साथ ताकत
का मेल!
(सुरेंद्र सेठी)
नीमच (साई)। देश के
भ्रड्ढतंत्र के खिलाफ संघर्ष कर रहे अरविन्द केजरीवाल अब राजनीति के अखाड़े में भी
कुद पड़े है। दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए उनका राजनीतिक दल वहां मजबूती
से काम करता ओर दोनों राजनीतिक दलों कांग्रेस / भाजपा को परेशान करता नजर आ रहा
है। परिणाम क्या आयेगा। ये बाद की बात है पर, फिलहाल तो अरविन्द केजरीवाल अपने दिमागी
कौशल का मसल पॉवर के साथ खुल्ले मेल का नया टेंड दिखाते भी नजर
आ रहे है। उनका यह नजरिया लोगो को ओर खासकर युवाओं को लुभाता नजर आ रहा है।
केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शद ने ठेठ फर्रूखाबादी लहजे में चुनौती दी तो केजरीवाल
भी उस चुनौती का उसी शैली में एक अनुठे ढंग से जवाब देते नजर आ रहे है। केन्द्रीय
मंत्री सलमान खुर्शद का घरेलु जिला है उत्तरप्रदेश क ा फर्रूखाबाद। उन पर केजरीवाल
ने विकलांगों का पैसा खाने का आरोप लगाया तो वे भड़क गये ओर कहने लगे, केजरीवाल
फर्रूखाबाद आ तो जाये वापस जा न सकेंगे। कोई दुसरा नेता होता तो डर जाता केन्द्रीय
मंत्री की ताकत से। पर, केजरीवाल ने उनको चुनौती देेने का जो रास्ता चुना है वो देश
में एक मिसाल है। उनका ये रास्ता अनुठा है। वे वहां जायंेगे पर अपने लठेत समर्थकों
के घेरे में। उन्हें अगले महीने फर्रूखाबाद जाकर केन्द्रीय मंत्री के खिलाफ कुछ ओर
नये खुलासे करने है। उनका सुरक्षा दस्ता किसान यूनियन तैयार कर रहा है। यूनियन ने
मोर्चे के लिए अपने लठेतों को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है। 14 सो लाठीबध किसानों
का दस्ता तैयार किया गया है। पचरोली गांव में इन लठेतों को रोज सूबह दो घंटे लाठी
चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन लठेतों का एक दस्ता केजरीवाल के फर्रूखाबाद
की सीमा में दाखिल होते ही उन्हें अपने संरक्षण में ले लेगा। दूसरा दस्ता सभा स्थल
के पास तैनात रहेगा तो बाकी दस्ते सभा स्थल के चारों ओर सुरक्षा घेरा बनायेंगे।
राजनीति मंे चुनौतियों का उसी शैली में जवाब देने का ये प्रयोग केजरीवाल शुरू तो
कर रहे है पर, ये कहां तक
जायेगा तब शायद उनका ये प्रयोग देशभर में ब्रांड केजरीवाल के नाम से जाना जाएगा।
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