व्यथा कथा एक सांसद
की
(निरंजन सिंह परिहार)
एक हैं सज्ज्नसिंह
वर्मा। कांग्रेस पार्टी से एमपी के एमपी हैं। शिड्युल कास्ट से आते हैं। एमए तक
पढ़े हैं और पेशे से बिल्डर होने के साथ किसान हैं। किसान पहले थे। पर, सांसद बनने के बाद
में जब पैसा आ गया तो बिल्डर भी बन गए। कोई तीस साल पहले सन 1983 में पहली बार
चुनाव लड़कर नगरपालिका में पहुंचे थे। 1984 से लेकर कुल चार बार विधायक रहे, और इस बीच नगर
विकास विभाग के केबीनेट मंत्री भी रहे। पार्टी में भी कई पदों पर रहे। एक बार जब
विधायक नहीं थे, तो मध्य
प्रदेश लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष भी रहे। कैबिनेट मंत्री का दर्जा था। अब देवास
से सांसद हैं। लोकसभा में भारी बहुमत से जीतकर पहुंचे हैं। मंजे हुए नेता हैं। देश
विदेश भी घूमे हैं। दुनिया देखी है और आगे पीछे की समझ है। लेकिन बोलते हैं, तो कुछ छुपा नहीं
पाते। बहुत चालू या चालाक नेताओं जैसे नहीं हैं।
सो, पिछले दिनों खूब
बोले। कह रहे थे, देश की
राजनीति में कांग्रेस चौतरफा घिर गई है। पार्टी के बड़े नेताओं की कार्यप्रणाली ठीक
नहीं हैं। वे एसी गाड़ियों से बाहर पैर नहीं रखते। बड़े नेताओं ने ही पार्टी को कई
कई गुटों में बांट दिया है। सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। दिल्ली में बैठे
कांग्रेस के बड़े नेताओं की दुकान चकाचक चल रही है। कोई मंत्री बने बैठा है, तो कोई सांसद।
कांग्रेस के बड़े नेता खाली लफ्फाजी करते हैं। मिशन-2013 शुरू किया है।
कहते हैं कि हम जीतेंगे। लेकिन इन नेताओं को जमीनी हकीकत का पता नहीं है। जब
इन्हें प्रदेश की खाक छानने के लिए कहा जाता है, गांव गांव जाने को
कहा जाता है, तो वे एसी
से बाहर कदम नहीं रखते। इन नेताओं की दुकान जल्द ही बंद होने वाली है।
बस 2013 का इंतजार कीजिए।
कांग्रेस कठिन दौर से गुजर रही है। इसके बावजूद हमारी पार्टी के बड़े नेता मुगालते
में है। बीजेपी की स्थिति भी अच्छी नहीं है। उसके भी सब नेता बोगस हैं,। लेकिन उन्हें
आरएसएस का सपोर्ट है। आरएसएस के कार्यकर्ता गांव-देहात में चने खाकर भी मिशन 2013 के लिए जुट सकते
हैं। जबकि कांग्रेस के नेता एसी से बाहर
नहीं निकलते हैं...। यह दिल की बात थी। आपको भी लग ही रहा होगा, कि सांसद महोदय ने
जो कहा सही कहा। गलत कुछ भी नहीं कहा। कहा तो ऐसा ही अपने राहुल गांधी ने भी था।
सोनिया गांधी और माननीय प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह की उपस्थिति में कहा। वे कह सकते
हैं। बड़े आदमी हैं। पर, कांग्रेस में बाकी लोगों को इस सबकी इजाजत नहीं है। राहुल
गांधी या सोनिया गांधी कहे, तो वह हालात पर बयान होता है। पर, कोई दूसरा कहे, तो लोग उसको दूसरे
तरीके से लेते हैं।
पार्टी के बड़े नेता
ही सज्जन सिंह वर्मा जैसे नेताओं की बातों को उनका सज्जनता पूर्वक दिया गया बयान
नहीं बलिक् व्यथा दृ कथा बताने से नहीं चूकते। कहते हैं यह भड़ास है, फ्रस्ट्रेशन है।
वर्मा के साथ भी ऐसा ही हो रहा है। इस बहुत ही सहज, सरल और सामयिक
टिप्पणी को लेकर भाई लोग उन पर पिल पड़े हैं। कह रहे है कि ऐसा कहा तो क्यों कहा।
कांग्रेस नेताओं से उनकी बात का जवाब देते नहीं बन रहा है। पर, सवाल सभी करने लगे
हैं कि कहा तो क्यों कहा। पर, सज्जन सिंह वर्मा ने कह दिया तो कह दिया। आप
ही बताइए, गलत क्या
कहा। कांग्रेस की हालत तो ऐसी ही है। जैसा देखा वैसा कहा। राहुल गांधी ने भी पिछले
दिनों ऐसा ही कुछ कहा था। जो देखा, वही कहा। लेकिन राहुल कहे तो राजा की बात,
और वही बात आप और हम कहें, तो कैसे कह दिया का
सवाल। यह तो गलत है ना भाई। है कि नहीं ? (साभार: विस्फोट डॉट काम)
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