बुधवार, 19 दिसंबर 2012

जनसंपर्क उच्चाधिकारी लाजपत आहूजा की शिकायत गड़करी से!


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 28

जनसंपर्क उच्चाधिकारी लाजपत आहूजा की शिकायत गड़करी से!

(स्वराज न्यूज डॉट काम)

भोपाल (साई)। मध्य प्रदेश जनसंपर्क संचालनालय में पदस्थ अतिरिक्त संचालक लाजपत आहूजा की शिकायत भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गड़करी से किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। एल।एन।वर्मा के नाम से की गई उक्त शिकायत की स्केन की गई प्रति मीडिया के चुनिंदा लोगों को ईमेल के माध्मय से भेजी गई है।
इस शिकायत में सच्चाई कितनी है यह बात या तो श्री आहूजा जानते होंगे या फिर शिकायतकर्ता श्री वर्मा, पर अतिरिक्त संचालक लाजपत आहूजा को सर्वशक्तिमान बनाने से अनेक मीडिया कर्मियों ने जनसंपर्क संचालनालय की ओर रूख करना छोड़ दिया है। माना जा रहा है कि अब संचालनालय में जी हजूरी करने वालों की पौ बारह हो चुकी है। इस संबंध में श्री आहूजा का पक्ष जानने का प्रयास किया गया किन्तु वे फोन पर उपलब्ध नहीं हो सके।
बहरहाल, भाजपाध्यक्ष नितिन गडकरी के नाम से प्रेषित उक्त शिकायत में जनसंपर्क के अतिरिक्त संचालक लाजपत आहूजा पर अनेक आरोप लगाए गए हैं। इस शिकायती पत्र में आरोप लगाया गया है कि भगवत शरण माथुर के नजदीकि अनिल माथुर को बेेबुनियाद आरोप लगवाकर पदच्युत करवा दिया गया।
इस पत्र में आरोप लगाया कि राष्ट्रीय विचारधारा से जुड़े पत्रकारों, संपादकों, साहित्यकारों और लेखकों आदि को श्री आहूजा के चलते ही मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग में अपमानित होने पर पार्टी विचारधारा से जुड़े होने के कारण एल।एन।वर्मा द्वारा उक्त शिकायती पत्र भाजपाध्यक्ष गड़करी को लिखा गया है।
पत्र में उल्लेख किया गया है कि चर्चित राजेश बैन, समरजीत चौहान, संदीप कपूर आदि को फिर से विज्ञापन शाखा में पदस्थ किया गया है। इसमें उल्लेख किया गया है कि विश्व संवाद केंद्र से जुड़े होने के नाते इस संबंध में जब श्री वर्मा द्वारा सारी हकीकत के बारे में भाजपाध्यक्ष प्रभात झा को आवगत कराया गया तो वे भी हतप्रभ रह गए थे।
इस संबंध में जब जनसंपर्क में पदस्थ अतिरिक्त संचालक लाजपत आहूजा का पक्ष जानने उनसे उनके कार्यालयीन दूरभाष ०७५५ - ४०९६५०२ पर सोमवार ११ जून को दोपहर साढ़े ग्यारह बजे संपर्क करने का प्रयत्न किया गया तो वहां उपस्थित भृत्य ने बताया कि अभी आहूजा साहब के कार्यालय में ना तो उनके कोई बाबू ही आए हैं और ना ही साहब!

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