सोमवार, 6 अगस्त 2012

किसे कहते हैं बादल फटना!


किसे कहते हैं बादल फटना!

(ऋषिना खरे)

नई दिल्ली (साई)। उत्तराखंड में बादल फटना एकबार फिर तबाही की वजह बन गया है। सैकड़ों लोग इससे प्रभावित हुए हैं और बड़े पैमाने पर संपत्ति का नुकसान हुआ है। ऐसी घटनाएं ज्यादातर पहाड़ी इलाकों में होती हैं और इसकी वजह है मौसम संबंधी परिस्थितियां। आइये जानते हैं बादल फटने से जुड़ी कुछ बातें:-

0 क्या है बादल फटना?

बादल फटने की घटना स्थानीय स्तर पर मौसम में होने वाला बदलाव है। इसका मतलब एक छोटे से इलाके में कुछ मिनटों के भीतर भारी बरसात होना है, जिसके चलते बाढ़ आना, जमीन खिसकना, घरों का ढहना और बड़े पैमाने पर मौतें होती हैं। मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा पहाड़ी क्षेत्रों में बादल ज्यादा फटते हैं।

0 क्या कहते हैं मौसम वैज्ञानिक?

मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, प्रति घंटा 100 मिलीमीटर (3.94 इंच) के बराबर या उससे ज्यादा बारिश बादल फटना है। इस दौरान जो बादल बनता है वह जमीन से 15 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकता है। बादल फटने के दौरान कुछ मिनटों में 20 मिलीमीटर से ज्यादा बरसात हो सकती है।

0 कैसे होती है यह घटना?

कई शोधकर्ताओं का कहना है कि बादल फटने की घटना किसी सीमित इलाके में जबर्दस्त चक्रवात का नतीजा होती है। इस चक्रवात की वजह से संवहन धाराएं (वैसी हवाएं जिनकी रफ्तार काफी तेज या कम होती है) बनती हैं। ये धाराएं नमी से भरी हवाआंे को तेजी से ऊपर उठाती हैं जिससे घने बादल (ऐसे बादलों में करंट होता है और बिजली बनती है) बनते हैं और ये बादल पानी को काफी तेज रफ्तार से बरसाते हैं।

0 पहाड़ी क्षेत्रों में क्यों ज्यादा फटते हैं बादल?

खड़ी पहाड़ियां ऐसे बादलों को बनने में मदद करती हैं। ढलान से नीचे आने वाला पानी मलबा, पत्थर और पेड़ों को काफी तेजी से मैदान की ओर लाता है जिससे तबाही मच जाती है।

0 क्या इसकी भविष्यवाणी की जा सकती है?

ऐसी कोई संतोषजनक तकनीक नहीं है जिससे बादल फटने की भविष्यवाणी की जा सके। इसके लिए बेहद अच्छे रेडार नेटवर्क की जरूरत होगी। लेकिन यह काफी खर्चीला होगा। ऐसे इलाके जहां भारी बरसात होने की आशंका हो उनकी पहचान की जा सकती है। ऐसे इलाकों और मौसम संबंधी परिस्थितियों का पता लगाकर काफी हद तक तबाही से मचा जा सकता है।

0 इसके पहले कब - कब फटे बादल

- उत्तराखंड के उत्तरकाशी में तीन अगस्त , यानी शुक्रवार रात को बादल फटने से तबाही मच गई। बड़े पैमाने पर जमीन खिसकने और बाढ़ आने से 34 लोग मारे गए। हालात इस कदर खराब हैं कि उत्तरकाशी और चमोली में 250 परिवारों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाना पड़ा है।

- 15 सितंबर 2011 को एनसीआर के पालम इलाके में बादल फटा , जिसके चलते इंदिरा गांधी इंटरनैशनल एयरपोर्ट का टर्मिनल -3 के अराइवल पर पानी भर गया।

- 20 जुलाई 2011 को ऊपरी मनाली में बादल फटने से दो लोग की जान चली गई और 22 लोग लापता हो गए।

- 9 जून 2011 को जम्मू के नजदीक बादल फटने से चार लोग मारे गए और कई घायल हो गए।

- 6 अगस्त 2010 को लद्दाख में बादल फटने और भारी बरसात ने काफी तबाही मचाई। लद्दाख के बड़े हिस्से में बाढ़ आने से 71 कस्बे और गांव तबाह हो गए। तकरीबन 255 लोग मारे गए।

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