खतरे के साए में है
चव्हाण की कुर्सी
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
महाराष्ट्र सूबे के निजाम पृथ्वीराज चव्हाण की उल्टी गिनती आरंभ हो चुकी है। किसी
भी समय उनकी बिदाई की डुगडुगी बज सकती है। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी
उन्हें पदच्युत करने के लिए माकूल वक्त के इंतजार में हैं। उधर, चव्हाण अपने पुराने
संपर्कों के माध्यम से सोनिया, राहुल और अहमद पटेल को सिद्ध करने की जुगत
में लगे हुए हैं।
महाराष्ट्र सूबे
में इन दिनों शरद पंवार के नेतृत्व वाली राकांपा चव्हाण के खिलाफ लामबंद हो चुकी
है। इसके साथ ही साथ कांग्रेस के सूबाई नेता भी चव्हाण को डाईजेस्ट करने में काफी
तकलीफ महसूस कर रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री रह चुके चव्हाण
के सर पर प्रधानमंत्री का हाथ होने के चलते उन्हें बार बार अभयदान मिलता रहा है।
कांग्रेस के सत्ता
और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ के सूत्रों का कहना है कि अपनी कुर्सी
बचाने के चक्कर में चव्हाण इन दिनों सोनिया, राहुल और अहमद पटेल के दरबार में बार बार
मत्था टेक रहे हैं। उधर, एनसीपी और कांग्रेस के विधायकों का आरोप है कि चव्हाण की
सुस्त चाल के चलते सीएम आफिस में नस्तियों का अंबार लग गया है।
चव्हाण के करीबी
सूत्रों का कहना है कि भ्रष्टाचार के आरोपों से बचने के लिए चव्हाण द्वारा
नस्तियों का निष्पादन भी नहीं किया जा रहा है। सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया
के साथ चर्चा के दौरान कहा कि पृथ्वीराज चव्हाण और अन्य मुख्यमंत्रियों के
कार्यकाल की तुलना अब आरंभ होने लगी है।
ज्ञातव्य है कि
मुख्यमंत्री रहते हुए विलास राव देशमुख ने 18 अक्टूबर 1999 से 16 जनवरी 2003 के मध्य अपने
कार्यकाल में चौदह हजार आठ सौ नस्तियों पर अपनी सही की। दूसरे कार्यकाल में देशमुख
ने नवंबर 2004 से दिसंबर
2008 के बीच 41 हजार 6 सौ 45 फाईलें निपटाईं।
वहीं, सुशील कुमार शिंदे
ने 18 जनवरी 2003 से 30 अक्टूबर 2004 के मध्य सात हजार
नौ सौ 27 नस्तियों
को पार लगाया। मुख्यमंत्री की शपथ लेने के उपरांत पृथ्वीराज चव्हाण ने दिसंबर 2008 से नवंबर 2010 के बीच 15 हजार 101 नस्तियों पर
हस्ताक्षर किए। इसके बाद उनकी कलम खामोश हो गई।
इधर, 10, जनपथ के सूत्रों का
कहना है कि महाराष्ट्र सूबे के विधायक चव्हाण के खिलाफ लामबंद हो चुके हैं। चव्हाण
को हटाने हस्ताक्षर अभियान चल चुका है। सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को
बताया कि सोनिया गांधी तक पहुंचे पत्र में 42 विधायकों के हस्ताक्षर हैं।
बताया जाता है कि
चव्हाण के खिलाफ चल रहे अभियान को सीएम पद के सबसे प्रबल दावेदार मुकुल वासनिक का
वरद हस्त प्राप्त है। इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष माणिक राव ठाकरे भी
इस मुहिम में सहभागी बताए जा रहे हैं। प्रदेश के प्रभारी महासचिव भी इस बारे में
भली भांति जान रहे हैं, कि इन चव्हाण के खिलाफ चमकते इन लट्टुओं को करंट किस बैटरी से
मिल रहा है।
सूत्रों की मानें
तो महाराष्ट्र के निजाम पृथ्वीराज चव्हाण ने सोनिया गांधी के राजनैतिक सचिव अहमद
पटेल को साध लिया है। संभवतः यही कारण है कि उन्हें कुछ समय के लिए अभयदान मिल गया
है। इसी बीच पवार को यह कहते सुना गया है कि चव्हाण को तो जाना ही होगा। यह तय
माना जा रहा है कि अगला विधानसभा चुनाव चव्हाण की अगुआई में तो नहीं ही लड़ने वाली
है कांग्रेस।
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