सोमवार, 6 अगस्त 2012

तीर्थयात्रियों की परीक्षा ले रहे भगवान


तीर्थयात्रियों की परीक्षा ले रहे भगवान

(दिशा कुमारी)

देहरादून (साई)। उत्तराखण्ड में हो रही बारिश के चलते अब तीर्थाटन को गए श्रृद्धालुओं के मंुह से बरबस ही निकल रहा है कि हे भगवान अब तो परीक्षा लेना बंद कर दो। उत्तराखंड में बारिश ने तीर्थयात्रियों को मुसीबतों में डाल दिया है। चारों धामों को जोड़ने वाली सड़कें जगह-जगह भूस्खलन, बाढ़ और पुलों के बहने से बाधित हो गई है।
पिछले तीन दिनों से बंद सड़कों पर शनिवार की हुई बारिश ने आवागमन पूरी तरह ठप कर दिया है। भूस्खलन के कारण जानमाल की भारी क्षति हुई है। मूसलाधार बारिश के बाद विभिन्न घटनाओं में 10 लोगों की मौत हो गई जबकि 38 अन्य लापता हो गए। अकेले उत्तरकाशी जिला मुख्यालय के पास गंगोरी और जोशियाणा में सात लोगों की मौत हो गई।
उत्तरकाशी में असी गंगा पर निमार्णाधीन जलपरियोजना पर काम कर रहे 19 मजदूर अब तक लापता हैं। गंगा में शनिवार को आई बाढ़ के पानी में इन मजदूरों के बह जाने की आशंका जताई जा रही है। उत्तरकाशी नगर में ही भागीरथी के तट पर उजेली से लेकर जोशीयाणा तक 200 से अधिक घर नदी में पानी बढ़ने से जलमग्न हो गए हैं। प्राकृतिक आपदा का सर्वाधिक असर गढ़वाल क्षेत्र में हुआ है। मौसम विभाग के भारी वर्षा की चेतावनी देने के बाद राज्य सरकार ने हाई अलर्ट घोषित कर दिया है और सेना से मदद मांगी गई है।
बारिश से उत्तरकाशी-गंगोत्री हाइवे बुरी तरह टूट गया है। इस हाइवे के दो बड़े पुल गंगोरी एवं स्वीरीगाढ़ बाढ़ से बह गए हैं। इस कारण गंगोत्री जा रहे और वहां से दर्शन कर वापस लौट रहे यात्री जगह-जगह फंसे हुए हैं। उत्तरकाशी और हरिद्वार के बीच भी कई जगहों पर सड़क मलबे के कारण बंद है।
यमुनोत्री मार्ग पर हनुमान चट्टी एवं जानकी चट्टी के बीच भी भारी तबाही हुई है। सड़क को जोड़ने वाली पुल के बहने से यह रास्ता भी अब लंबे समय के लिए बंद हो गया है। हरिद्वार, बदरीनाथ और केदारनाथ एनएच दूसरे दिन भी सड़क पर जगह-जगह मलबा आ जाने के कारण बंद है। भारी बारिश के कारण चमोली जिले में पिछले 40 घंटे से बिजली की सप्लाई बंद है। इससे बदरीनाथ समेत कई जगहों पर ब्लैकआउट की स्थिति बनी हुई है। इस वजह से चार धाम यात्रा पर ब्रेक लग गया है।
जोशीमठ से बदरीनाथ के बीच लामबगड़ भूस्खलन के साथ कंचनजंगा में सड़क खतरनाक होती जा रही है। लगातार पत्थर गिरने से खुली सड़क में भी वाहन ले जाना खतरनाक साबित हो रहा है। केदारनाथ मार्ग भी रूद्रप्रयाग से गौरीकुंड के बीच गुप्तकाशी से आगे लगातार भूस्खलन के कारण जाम हो गया है।
सीमा सड़क संगठन के जवान और अधिकारी जान जोखिम में डालकर सड़क खोलने में लगे हुए हैं। सीमा सड़क संगठन के ओसी मेजर श्रीवास्तव ने बताया कि हमारी कोशिश कम से कम समय में मलबे को हटाकर सड़क को यातायात योग्य बनाने का है। खतरनाक जोन में अधिकारी खुद मौके पर तैनात हैं, जिससे जवानों को हौसला बढ़ा रहे और बिना किसी नुकसान के सड़क खुल जाए।
वहीं , समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को मिली जानकारी के अनुसार लगातार बंद हो रही सड़कों के कारण बदरीनाथ और हेमकुंड की यात्रा से लौट रहे तीर्थयात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जानकारी न मिल पाने के कारण यात्री भूस्खलन वाले इलाके में भूखे प्यासे भटकने को मजबूर हैं। पिछले दो दिनों से यह स्थिति कई स्थानों पर देखी गई।
परेशान तीर्थयात्री खतरनाक जगहों पर भटक रहे हैं। जोशीमठ और चमोली के बीच बदरीनाथ राजमार्ग पर ऐसे हालात आम दिखे। हेमकुंड से दर्शन कर वापस घर लौट रहे अमृतसर के जगजीत सिंह ने बताया कि समस्या पैदल आर - पार करने की नहीं है , असल दिक्कत सही जानकारी का न मिल पाना है। जोशीमठ से लेकर पातालगंगा तक कोई कुछ बताने वाला नहीं मिला।
हेमकुंड के दर्शन के लिए 21 किलोमीटर की पैदल यात्रा इतनी दुर्गम नहीं महसूस हुई , जितनी पातालगंगा में भूस्खलन को पार करना। जोशीमठ से चमोली के बीच की 40 किलोमीटर की सड़क दूरी पार करने में दो दिन लग गए है। उनके कई साथी जोशीमठ में गुरुद्वारे में ठहरे हुए हैं।

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