सोमवार, 6 अगस्त 2012

भूषण, केजरीवाल, बेदी का त्रिफला ले डूबा अण्णा को


ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

भूषण, केजरीवाल, बेदी का त्रिफला ले डूबा अण्णा को

गांधीवादी अण्णा हजारे की एक हुंकार पर समूचा देश दौड़ पड़ा था, पिछले साल। इस साल अगस्त में अण्णा के उस आंदोलन की मौत हो चुकी है। कांग्रेस के अंदर खुशियां मनाई जा रही हैं। अण्णा का आंदोलन खुद ही टूट गया। इसके पीछे अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण और किरण बेदी का अतिउत्साह और अहम ही प्रमुख माना जा रहा है। अण्णा इस आंदोलन की धुरी अवश्य बने पर वे टीम अण्णा के हाथों की कठपुतली बनकर रह गए। अनशन के दौरान केजरीवाल की तबियत बिगड़ी, सरकार ने ध्यान नहीं दिया। केजरीवाल ने खुद को बलिदानी तक करार दे दिया। जान सभी को प्यारी होती है, केजरीवाल की हालत बिगड़ते देख अनशन की समाप्ति की स्क्रिप्ट लिखी गई। इस बार का आंदोलन पथ से भटक गया। टीम अण्णा को अनशन के बजाए दागी मंत्रियों के प्रभाव वाले जिलों और संसदीय क्षेत्र में अलख जगानी चाहिए थी। वस्तुतः एसा हुआ नहीं। अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है, अगर टीम अण्णा दागी मंत्रियों के संसदीय क्षेत्रों में धूम मचा दे तो आंदोलन फिर जिन्दा हो सकता है।

शिंदे को पीएम प्रोजेक्ट करने की तैयारी
कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के यस मेन मनमोहन सिंह के दिन पूरे होते दिख रहे हैं। कांग्रेस के दलित नेता सुशील कुमार शिंदे को अब कांग्रेस का नया चेहरा बनाने की जुगत लगाई जा रही है। मनमोहन सिंह पर घपले, घोटाले, भ्रष्टाचार के ईमानदार संरक्षक होने के आरोप लग चुके हैं। मनमोहन सिंह के कारण कांग्रेस की बुरी तरह भद्द पिट चुकी है। आधे देश को अंधेरे में डुबोकर देश का ध्यान अण्णा के आंदोलन से हटाने के लिए उन्हें गृह मंत्री बनाकर कांग्रेस ने उन्हें पारितोषक दिया है। अब चर्चा है कि शिंदे को कांग्रेस अगला पीएम प्रोजेक्ट करने की तैयारी कर रही है। आदर्श सोसायटी घोटाले के प्रकाश में शिंदे का भविष्य कुछ काला अवश्य दिख रहा है, पर कांग्रेस में छोटे मोटे घपलों को नजर अंदाज करने की परंपरा रही है। शिंदे को पीएम प्रोजेक्ट कर कांग्रेस दलितों को लुभाने के साथ ही साथ युवराज राहुल गांधी के लिए रोड़ मैप बनाने की तैयारी भी करती नजर आ रही है।

जीवनदान से मजबूत हुईं शीला
शीला दीक्षित को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से हटाकर केंद्र में मंत्री बनाने की चर्चाएं अब थम गई हैं। शीला दिल्ली की सीएम बनी रहंेगीं। शीला इस जीवनदान से काफी मजबूत हो गईं हैं। अब उनकी नजरें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर हैं। वे चाहती हैं कि उनका यस मैन ही इस कुर्सी पर काबिज हो। इसके लिए उन्होंने चेहरा भी तय कर लिया है। दिल्ली के खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री हारून युसूफ को अब दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है। शीला अपने पत्ते भी फेंटने की तैयारी में दिख रही हैं। दिल्ली के स्पीकर योगानंद की भी छुट्टी के संकेत मिले हैं। अगर यूसुफ को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाता है तो 27 साल बाद दिल्ली को मुस्लिम अध्यक्ष मिलेगा। इसके पहले ताजदार बाबर 1984 से 88 तक दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष रही हैं। शीला के इस कदम से दिल्ली में मुस्लिमों को कांग्रेस के पक्ष में करने में आसानी होगी।

लंदन में दिखा अमर जलवा
भारतीय राजनीति का बीता अध्याय बन चुके अमर सिंह का जलवा लंदन में जमकर देखने को मिला। लंदन में अमर सिंह के द्वारा दी गई पार्टी में अनेक सियासी हस्तियों ने शिरकत की। अमर सिंह की करीबी और रूपहले पर्दे की गुजरे जमाने की अभिनेत्री जयाप्रदा की मेजबानी में आयोजित इस पार्टी में इंगलेण्ड के मंत्रीमण्डल के अनेक सदस्यों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। लोग उस वक्त चौंक गए जब खुद टानी ब्लेयर इस पार्टी में ना केवल आए वरन् पार्टी की समाप्ति तक वहां मौजूद रहे। ब्रितानी मीडिया ने भी अमर सिंह की इस पार्टी को जमकर तवज्जो दी। भारत के सियासी जानकार अमर सिंह की इस पार्टी को हैरत भरी नजरों से देख रहे हैं। माना जा रहा है कि अमर सिंह के विदेशी कनेक्शन्स को देखकर भारतीय राजनेताओं में भय समा गया है कि कहीं उनके विदेशों में किए गए निवेश की जानकारी अमर सिंह सार्वजनिक ना कर दें।

और पवार हो गए निढाल!
राकांपा सुप्रीमो शरद पंवार ने नंबर दो बनने की जंग त्याग दी है। उनकी तलवारें रेत में कैसे गडीं, इस बात पर शोध चल रहा है। कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ के सूत्रों का कहना है कि पवार ने सोनिया से भेंट कर अपनी वरिष्ठता को दर्शाते हुए कहा कि उन्हें नंबर दो का ओहदा मिल ही जाना चाहिए। इस पर सोनिया के विश्वस्त और राजनैतिक सचिव अहमद पटेल ने छूटते ही कहा कि कल अगर नेताजी यानी मुलायम सिंह मंत्रीमण्डल ज्वाईन करते हैं तो आप यानी पवार जिस मंत्रालय में हैं उसे भी छोड़ने को कहा जा सकता है। फिर संख्या बल भी कोई चीज है। मुलायम पवार पर संख्या बल के हिसाब से भारी पड़ते हैं। फिर क्या था पंवार का सारा जोश ठंडा पड़ गया और उन्हें इस बात की ही चिंता सताने लगी कि उनकी कुर्सी भी कहीं छिन ना जाए। उधर, अहमद पटेल की हाजिर जवाबी पर सोनिया मंद मंद मुस्कुराती ही नजर आईं।

दिग्गी राजा का शनि भारी!
मध्य प्रदेश में लगातार दस साल शासन करने वाले कांग्रेस के महासचिव राजा दिग्विजय सिंह के सितारे अब उतने बुलंद नहीं दिख रहे जितने पहले हुआ करते थे। कांग्रेस मुख्यालय के सूत्रों का कहना है कि बतौर महासचिव राजा दिग्विजय सिंह का कार्यकाल अब थोड़ा ही बचा है। उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाकर मध्य प्रदेश भेजने की तैयारियों को अंजाम दिया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी ने साफ कह दिया है कि पहले कांग्रेस के सूबाई क्षत्रपों को एक करके मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनवाओ, फिर 2014 में लोकसभा चुनाव लड़कर केंद्र में आओ। राहुल गांधी के अघोषित प्रशिक्षक के बतौर खुद को प्रचारित करवाने के बाद राहुल के बारे में दिए गए बयानों से सोनिया गांधी बेहद अपसेट बताई जाती हैं। सोनिया ने राजा दिग्विजय सिंह को अपने दरबार में बुलाकर उन्हें इसके लिए खासी फटकार भी लगा दी है।

स्वस्थ्य मामा के कुपोषित भांजे
भले ही वोट की राजनीति या सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की गरज से देश के हृदय प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान अपने आपको सूबे के बच्चों का मामा बताते हों, पर उनके ही सूबे में कुपोषण की समस्या उनकी ही खिल्ली उड़ा रही है। सूबे में बच्चों के कुपोषण के आंकड़ों से अब उनकी कथनी और करनी में बहुत बड़ा फर्क साफ नजर आने लगा है। बच्चों को पोषक तत्वों से लवरेज रखने के लिए पाबंद मध्य प्रदेश का महिला और बाल विकास विभाग भी कुछ नव धनाड्यों की देहरी पर मुजरा ही करता नजर आ रहा है। कुपोषण की समस्या के चलते बच्चे कमजोर होते जा रहे हैं, पर इससे महिला और बाल विकास विभाग को कोई लेना देना नजर नहीं आ रहा है। सूबे में कुपोषित बच्चों को देखकर लोग तो हैरत में हैं पर शिवराज सिंह चौहान का दंभ टूट नहीं रहा है। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के सूत्रों नेकहा कि केंद्र को इस बात की चिंता सता रही है कि 2015 में अगर भारत गणराज्य सहस्त्राब्दि लक्ष्य पाने से वंचित रहा तो इसमें मध्य प्रदेश की महती भूमिका होगी।

भास्कर को भा गई रजनीगंधा की गंध
इन दिनों देश का एक नामी अखबार दैनिक भास्कर एक और जनहित अभियान पर निकल पड़ा है। पान मसाले पर प्रतिबंध का अभियान। लेकिन दैनिक भास्कर की इस मुहिम के में एक विरोधाभासी और हास्यास्पद तथ्य उभर कर सामने आया है। विरोधाभासी इसलिए कि एक ओर दैनिक भास्कर को मिली केन्द्रीय तंबाकू अनुसंधान संस्थान उर्फ सीटीआरआई, राजमुंदरी में बताया गया है कि पान मसाला रजनीगंधा में 2.26 प्रतिशत निकोटिन है, जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, जबकि दूसरी ओर उसी दैनिक भास्कर में रजनीगंधा ने एक विज्ञापन जारी कर खुलासा किया है कि सेंट्रल टोबेको रिसर्च इंस्टीट्यूट-इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रिकलचर, राजुमंदरी से यह प्रमाणित हो चुका है कि उनके उत्पाद में निकोटिन नहीं है। दरअसल, गुटखा निर्माता एक कंपनी द्वारा अखबार निकालने के चलते यह जंग आरंभ की गई बताई जाती है।

राहुल को प्रमोट करने कांग्रेस दो फाड़!
कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने बड़ी जिम्मेवारी उठाने के लिए हामी भर दी है। राहुल तैयार हैं राजपाट संभालने के लिए, किन्तु कांग्रेस के अंदर ही राहुल को लेकर अनेक तरह की विचारधाराएं पनप रही हैं। कांग्रेस के अंदर से आ रही ढाल तलवारों की खनक से लगने लगा है कि राहुल की ताजपोशी उतनी आसान हीं है जितनी सोनिया समझ रही हैं। कांग्रेस अब राहुल को प्रोजेक्ट करने को लेकर जमकर बंट चुकी है। एक के बाद एक नेता राहुल के खिलाफ मुंह खोल रहे हैं तो कुछ आफ द रिकार्डविषवमन करवा रहे हैं। सलमान खुर्शीद ही अकेले एसे नेता नहीं हैं जो राहुल गांधी की आलोचना कर रहे हों। पार्टी में अनेक नेता हैं जो युवराज की मुखालफत में जुटे हुए हैं। कुछ तो बाकायदा मीडिया के साथ बतियाते हुए कहते हैं यार ऑफ द रिकार्ड है, मगर युवराज से नहीं चलने वाला।

भीतराघातियों की मौज है कांग्रेस में
लगभग सवा सौ साल पुरानी और देश पर आधी सदी से ज्यादा राज करने वाली अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में वफादारों के ज्यादा मजे कांग्रेस को आंख दिखाने वालों के हैं। सालों साल कांग्रेस के लिए दरी फट्टे उठाने वालों पर बाहर से आयतित नेता राज कर रहे हैं। कांग्रेस में आयतित नेताओं के मलाईदार रसूख से कार्यकर्ताओं में असंतोष के स्वर प्रस्फुटित होते जा रहे हैं। देश के पहले नागरिक बन चुके प्रणव मुखर्जी ने राजीव गांधी का विरोध किया और समाजवादी कांग्रेस का गठन किया था। कांग्रेस ने उन्हें देश के सबसे बड़े संवैधानिक ओहदे पर बिठाया। केंद्रीय मंत्री किशोर चंद देव कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़कर दो बार लोकसभा की दलहीज पर पहुंच चुके हैं। संजय निरूपम जब शिवसेना में थे, तब वे कांग्रेस को पानी पी पी कर कोसते रहे हैं। निरूपम दो बार शिवसेना से राज्य सभा संासद रहे हैं।

मीडिया मैनेजमेंट चाह रहे दादा
राससीना हिल्स पर कब्जा जमाने के बाद अब देश के महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी अपनी आंतरिक सजावाट में लग गए हैं। दादा अपने स्टाफ में अधिकारियों को चुनने के काम में जुट गए हैं। दादा को सबसे अधिक चिंता भारत गणराज्य के प्रथम नागरिक महामहिम राष्ट्रपति के पद की गिरती साख को लेकर है। इसके लिए वे अब अपने मीडिया एडवाईजर की तलाश में बताए जा रहे हैं। महामहिम राष्ट्रपति के उच्च पदस्थ सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि महामहिम राष्ट्रपति की वर्तमान प्रेस सचिव अर्चना दत्ता अपनी आसनी को बचाने की हर संभव कोशिश में लगी हुई हैं। अर्चना दत्ता के कार्यकाल में देश के महामहिम राष्ट्रपति पद की गरिमा को तार तार होने से बचाया नहीं जा सका है।

पुच्छल तारा
आधा देश अंधेरे में डूब गया। जिम्मेदारी ग्रिड फेल होने की बताई गई। दिल्ली में सभी हलाकान रहे। इसी बात पर यमुनापार से मनीषा शर्मा ने एक ईमेल भेजा है। मनीषा लिखती हैं कि मनमोहन सिंह ने दिल्ली वासियों से कहा बस आठ घंटे के पावर कट में नो पावर नो पावर चिल्ला रहे हो। अरे मेरी हालत तो देखो आठ साल से हूं प्रधानमंत्री पर नो पावर तो मुझे कहना चाहिए।

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