रविवार, 5 अगस्त 2012

उत्तराखण्ड में बादल फटने से तबाही


उत्तराखण्ड में बादल फटने से तबाही

(अर्जुन कुमार)

देहरादून (साई)। उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले में कल अचानक आई बाढ़ में मरने वालों की संख्या ३१ हो गई है। यह संख्या बढ़ने की आशंका है, क्योंकि कई इलाकों तक पहुंचना अब भी मुश्किल है और जिला मुख्यालय से दूरसंचार संपर्क टूट गया है। उत्तरकाशी जिले के ऊपरी पहाड़ी इलाके में बादल फटने के बाद जल विकास निगम लिमिटेड की अस्सी गंगा पनबिजली परियोजना के १९ मजदूरों के लापता होने की खबर है।
मौके से लौटकर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संवाददाता ने बताया कि भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और सेना के दस्ते राहत और बचाव कार्य में जुटे हैं। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने बताया कि दूर-दराज के गांवों में राहत पहुंचाने के लिए प्रशासन हरसंभव उपाय कर रहा है। उन्होंने बताया कि प्रमुख नदियों के तट पर बसे गांवों में चेतावनी जारी कर दी गई है, क्योंकि नदियों में पानी बढ़ रहा है। हमारे संवाददाता ने ख़बर दी है कि बाढ़ के कारण अनेक मकान ढह गए हैं। कई तीर्थ यात्री रास्ते में फंसे हैं।
प्रभावित क्षेत्रों में बचा हुआ राहत कार्य जोरों पर है। प्रदेश के काबिना मंत्री प्रीतम सिंह पंवार उत्तरकाशी जिला मुख्यालय में स्वयं राहत कार्य का निरीक्षण कर रहे हैं। जिलाधिकारी को निर्देशित किया गया है कि वे दूरस्थ क्षेत्रों में बसे ग्रामीणों की सूचना उपलब्ध कराये तथा उनके लिए खाद्यान्न की व्यवस्था करायें।
उधर, जनपथ मुख्यालय के संपर्क अति वृष्टि प्रभावित क्षेत्र अस्सी गंगा एवं उपला सकवार आदि इलाकों से कट चुका है जिसके चलते वहां हुई जानमाल की हानि का सही आकलन नहीं लग पा रहा है। दूसरी तरफ स्थानीय स्तर पर तैनात राज्य कर्मचारी भी किसी प्रकार की सूचना मुख्यालय तक पहुंचाने में असमर्थ हैं क्योंकि अति वृष्टि के चलते दूरसंचार विद्युत, पेयजल, राजमार्ग आदि सभी प्रभावित हैं। इधर प्रशासन से खबर मिली है कि भागीरथी नदी के जलस्तर में कल के मुकाबले कम आई है।
भागीरथी और गंगा उफान पर हैं। रुद्रप्रयाग, चमोली और अल्मोड़ा जिले भारी बारिश से प्रभावित हैं। स्थिति में सुधार होने तक, राज्य की सभी बड़ी पनबिजली परियोजनाओं को बंद कर दिया गया है। उत्तरकाशी में अगले पांच दिन के लिए स्कूल बंद कर दिए गए हैं। राज्य सरकार ने गंगा के तटवर्ती इलाकों में रेड अलर्ट जारी किया है। खराब मौसम के कारण चार धाम यात्रा स्थगित कर दी गई है।
नेपाल और उत्तराखंड के ऊंचे इलाकों से पानी के भारी बहाव के कारण उत्तर प्रदेश में कई नदियां ऊफान पर हैं। पलिया कलां में शारदा, फर्रूखाबाद में रामगंगा और गंगा तथा कृष्णानगर में बूढ़ी राप्ती नदियों में पानी बढ़ रहा है। बाराबंकी, गोण्डा और बस्ती में गंगा ख़तरे के निशान को पार कर गई है। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के गोरखपुर संवाददाता ने ख़बर दी है कि आज सवेरे राज्य के कई पूर्वी जिलों में तीन सेंटीमीटर तक वर्षा हुई।
नेपाल के गिरिजापुरी और बनबसा बैराजों से थोडे-थोडे अंतराल पर छोडे जा रहे पानी की वजह से घाघरा और शारदा नदियों में उफान आ गया है। घाघरा, बाराबंकी में खतरे के निशान से ५५ सेंटीमीटर उपर पहुंच गई है। कुशीनगर में बूढी रापती उफान पर है। वहां नदी अपने तटबंधों पर दबाव बना रही है। बस्ती के विक्रमजोध धुसवा तटबंध पर घाघरा का दबाव बढ गया है।
इस बीच प्रदेश के राहत आयुक्त एल वेंकटेश्वरूलू ने देवी पाटन मंदिर के चार जिलो में बाढ की स्थिति का जायजा लिया है। जहां घाघरा नदी की बाढ का प्रकोप जारी है। प्रभावित इलाकों में बाढ चौकियों को सक्रिय कर दिया गया है। राज्य के सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव ने तटवर्ती इलाकों में चौबीसों घंटे सर्तकता बरतने और पीड़ित लोगों को तुरंत राहत पहुंचाने के आदेश दिए हैं।
उत्तर प्रदेश में नेपाल और उत्तराखंड के ऊंचे इलाकों से पानी के भारी बहाव के कारण तराई के कुछ जिलों और पूर्वी जिलों में बाढ़ की स्थिति बिगड़ गई है। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संवाददाता ने बताया है कि अधिकांश नदियां ऊफान पर हैं और कुछ स्थानों पर नदियों का जल स्तर खतरे के निशान से ऊपर है।
पीलीभीत में शारदा नदी उफान पर है। यह स्थिति नेपाल की ढांचुला में बादल फटने की घटना के कारण नदी में आये पानी से पैदा हुई है। वहां एक दर्जन से ज्यादा गांव बाढ़ के पानी से घिर गए हैं। जबकि कई सड़के बाढ़ के पानी में डूबी हुई हैं। घाघरा नदी, गोंडा, बस्ती और बाराबंकी में खतरे के निशान से ऊपर चली गई है। इन जिलों के पचास से अधिक गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ चौकियां स्थपित कर दीं हैं, जबकि तटबंधों की मरम्मत और उनकी निगरानी का काम भी तेज$ कर दिया गया है।

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