बुधवार, 10 अक्टूबर 2012

संभाग के लिये मीडिया को बनाना होगा दबाव


संभाग के लिये मीडिया को बनाना होगा दबाव

राजनेताओं को जागृत करने का सर्वोत्तम साधन हैं जनसंचार माध्यम

(आमिर खान)

सिवनी (साई)। एक ओर प्रदेश के मुखिया द्वारा जबलपुर संभाग के तीन जिलों को मिलाकर नये संभाग के गठन की घोषणा की जाती है और दूसरी ओर प्रस्तावित संभाग के नागरिकों के मतों के कर्जदार राजनेता अपने कानों में तेल डालकर सोये रहते हैं। एक विधानसभा चुनाव के पूर्व की गई घोषणा के बाद पूरे पांच साल बीत जाने के बाद दूसरे चुनाव सिर पर पंहुच गये किंतु धन्य हैं इस प्रस्तावित संभाग के राजनेता जिन्होंने धोखे से भी इन पाचं सालों में अपने नेताओं के सामने उस विषय में अपना मुंह तक नहीं खोला।
अब समूचा देश इस बात को स्वीकार करने लगा है कि देश की प्रशासनिक व्यवस्था को देश की अदालतें और जनसंचार माध्यम ही संचालित कर रहे हैं वरना राजनेताओं की फौज तो केवल संवैधानिक आवश्यकताओं की विवशता की प्रतीक मात्र बनकर रह गई हैं। आज एक बार फिर समय आ गया है कि नये संभाग के गठन के विषय को लेकर प्रस्तावित संभाग के जनसंचार माध्यम अपनी महती भूमिका का निर्वहन कर राजनेताओं को जागृत कर उन्हें नये संभाग के गठन के सारे संभावित उपायों की जाकनारी दें ताकि उसको आधार बनाकर प्रस्तावित संभाग के राजनेता नये संभाग के गठन के लिये अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकें।
इस बात को भलीभांति समझना होगा कि मुख्यालय की जिद ही नये संभाग के गठन में मुख्य रोड़ा बनी हुई है। उसके निदान के लिये प्रस्तावित संभाग विशेषकर सिवनी जिले के रिाजनेताओं को अपने जिलें के आम नागरिकों में सहमति बनाकर कोई कारगर कदम उठाना चाहिये। यदि इसमें विलंब किया गया तो उसे निश्चित रूप से इस पिछड़े क्षेत्र के साथ राजनेताओं का क्रूरतम व्यवहार ही माना जायेगा।
सिवनी जिले के राजनेताओं का यह दायित्व है कि वे अपने जिले के लोगों को इस बात के लिये तैयार करें कि वे इस सच्चाई को स्वीकार कर सकें कि प्रस्तावित संभाग के तीन जिलों में मध्य में स्थित सिवनी जिला सबसे छोटा जिला है जो किसी समय छिंदवाड़ा जिले की तहसील हुआ करती थी। वर्तमान में प्रस्तावित संभाग के तीन जिलों में स्थित 30 तहसीलों में से दो नवगठित तहसीलों को मिलाकर केवल 08 इस जिले में स्थित हैं सर्वाधिक 12 तहसीलें पड़ौसी छिंदवाड़ा जिले में स्थित हैं जिसकी जनसंख्या भ्ी इस जिले से लगभग दो गुनी है।
यह भी सर्वविदित तथ्य हैं कि सिवनी जिला मुख्यालय से छिंदवाड़ा की दूरी केवल 70 किलोमीटर है जबकि वर्तमान संभाग मुख्यालय जबलपुर की दूरी दोगुनी से भी अधिक हैं। सिवनी और छिंदवाड़ा का सड़क और रेल मार्ग से सीधा सम्पर्क हैं जिसके कारण आवागमन की कोई असुविधा नहीं है। निकटभविष्य में गेजपरिवर्तन के बाद यह सम्पर्क और भी अधिक सुगम हो जायेगा। जबलपुर के लिये जिले के कुछ भूभाग को छोड़कर अधिकांश क्षेत्र केवल सड़क मार्ग पर निर्भर है यदि रेलमार्ग भविष्य में उपलब्ध भी हो सकता है तो छिंदवाड़ा की तुलना में दुष्कर ही होगा।
इस प्रकार इस सच्चाई को स्वीकार करने में कोई समस्या नहीं होना चाहिये कि मुख्यालय के विवाद को आधार बनाकर तीन जिलों के 56 लाख लोगों को सुगम प्रशासनिक व्यवस्था से वचित रखने के बजाय अपेक्षाकृत सहज मार्ग अपना कर प्रस्तावित संभाग में शामिल जिलों में मुख्यालय बनाने की वरीयता निर्धारित की जाये और शीघ्रातिशीघ्र नये संभाग के गठन का मार्ग प्रशस्त किया जाये। इस हेतु सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका जिले की मीडिया को निभाना पड़ेगा जिसने सदैव अपने दायित्वों का कुशल निर्वहन करते हुए राजनेताओं के कान खड़े कर उन्हें सही रास्ता दिखाने का काम किया है।

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