बुधवार, 10 अक्टूबर 2012

सेनापति के खिलाफ सेना में विद्रोह


सेनापति के खिलाफ सेना में विद्रोह

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। मध्य प्रदेश कांग्रेस के सेनापति पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति लाल भूरिया का शनि भारी होने लगा है। एक तरफ उन पर कलेक्टर के साथ दबंगई करने का आरोप है तो दूसरी तरफ उनके ही कार्यकर्ता, विधायकों ने दिल्ली में उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया हैै। विधायकों की मांग है कि कांतिलाल भूरिया को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए। कांग्रेस के नेशनल ऑफिस के सूत्रों का कहना है कि कांतिलाल भूरिया मध्य प्रदेश में कांग्रेस के सेनापति हैं और सेना के लोगों ने ही उनके खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया है।
2003 में दिसंबर में सत्ता से उतरने के उपरांत प्रदेश के कांग्रेस के अध्यक्षों पर यह आरोप लगता आया है कि वे भारतीय जनता पार्टी पे रोलपर काम कर रहे हैं। भाजपा सरकार के खिलाफ अच्छे अच्छे मौके कांग्रेस संगठन ने गंवा दिए या फिर हीला हवाला करके उनकी हवा ही निकाल दी। चर्चा तो यहां तक है कि शिवराज सरकार प्रतिमाह कांग्रेस के नेताओं को मोटी पगार भी दे रही है।
इन चर्चाओं में कितनी सच्चाई है यह बात तो शिवराज सिंह चौहान जाने और कांग्रेस के नेता किन्तु जिस तरह से कांग्रेस ने भाजपा की दमनकारी और जनविरोधी नीतियों के मामले में अपनी धार बोथरी कर रखी है उससे इन चर्चाओं को बल ही मिलता है, कि कांग्रेस दिल से भाजपा का विरोध नहीं करना चाहती है।
भारतीय वन सेवा के मध्य प्रदेश काडर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि पता नहीं कांग्रेस के नेता किस तरह की राजनीति करते हैं। उन्होंने कहा कि 2003 में महाकौशल के एक जिले में उनकी पदस्थापना के दौरान कांग्रेस के एक आला नेता ने उनसे कहा था कि उनकी विधानसभा को छोड़कर शेष विधानसभाओं में कांग्रेस के प्रत्याशियों को हरवाने में मदद करो।
बहरहाल, कांग्रेस आलाकमान के साथ ही साथ कांग्रेस के भविष्य के वजीरे आजम राहुल गांधी की गुटबाजी से दूर रहने की नसीहत पर धूल डालते हुए लगभग डेढ़ दर्जन विधायकों ने दिल्ली में आमद दे दी है। इनका एजेंडा कांतिलाल भूरिया को पदच्युत कर उनके स्थान पर युवा तुर्क ज्योतिरादित्य सिंधिया को एमपी की कमान सौंपने का है।
कांग्रेस के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि अश्विन जोशी, सुरेश चौधरी, विक्रम सिंह नातीराजा, सत्यनारायण पटेल, प्रद्युमन सिंह तोमर, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, कल्पना परुलेकर, गोविंद सिंह राजपूत, ब्रजराज सिंह चौहान, निषित पटेल, लाखन सिंह यादव, विजेन्द्र सिंह मालाहेड़ा, तुलसी सिलावट, उमंग सिंगार, डॉ प्रभुराम चौधरी और इमरती देवी इस वक्त दिल्ली में हैं और कांग्रेस के आला नेताओं को सिद्ध करने में लगे हैं। इसके अलावा जल्द ही प्रभुदयाल गहलोत, रामनिवास रावत, जेवियर मेंढ़ा और एनपी प्रजापति के भी दिल्ली पहुंचने की खबरें हैं। इतना ही नहीं भूरिया के खिलाफ लामबंद हो चुके डेढ़ दर्जन वरिष्ठ नेता भी महेश जोशी शुक्रवार को दिल्ली पहुंच सकते हैं।
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इन विधायकों ने कांग्रेस के महासचिव जनार्दन द्विवेदी, एमपी कोटे से मंत्री कमल नाथ से भेंट की है। इसके अलावा इन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी, महासचिव राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, कांग्रेस के ताकतवर नेता अहमद पटेल, एमपी के प्रभारी महासचिव बी.के.हरिप्रसाद आदि से भेंट का समय भी चाहा है। बताया जाता है कि इन विधायकों ने पूर्व में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण यादव, सांसद सज्जन सिंह वर्मा एवं उदय प्रताप सिंह से इस संबंध में चर्चा की थी। इन तीनों सांसदों ने इस संबंध में अपनी सैद्धांतिक सहमति प्रदान कर दी थी।
कहा जा रहा है कि कांति लाल भूरिया को पदच्युत करने के लिए अब ठाकुरों की लाबी भी सक्रिय हो गई है। मध्य प्रदेश के ठाकुर क्षत्रप भूरिया के खिलाफ मामले जुटाने में जुट गए हैं। एक समय में मध्य प्रदेश की राजनीति की धुरी बनने वाले ठाकुर क्षत्रप जो स्व.अर्जुन सिंह, कमल नाथ और दिग्विजय सिंह की आंखों के तारे रहे हैं अब मुख्य धारा में लौटने बेचेन बताए जा रहे हैं। भूरिया की जड़ों में उक्त ठाकुर नेता द्वारा मठ्ठा डालने की बातें भी सियासी फिजां में तैर रही हैं।
कांतिलाल भूरिया के कार्यकाल में मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में आदिवासी बाहुल्य विधानसभा लखनादौन का तहसील मुख्यालय लखन कुंवर की नगरी लखनादौन जो सदा से ही कांग्रेस का गढ़ रही है, में नगर पंचायत के चुनावों में जिस नाटकीय तरीके से अध्यक्ष पद के कांग्रेस के प्रत्याशी ने नाम वापसी के अंतिम दिन अपना नामांकन वापस लिया और उसके बाद सिवनी विधानसभा में पिछली बार एक निर्दलीय प्रत्याशी जिसने कांग्रेस की जमानत जप्त करवा दी थी को लाभ पहुंचाने चुनाव तक कोई फैसला नहीं लिया गया का मामला जमकर उछल रहा है। भूरिया पर आरोप लग रहे हैैं कि उक्त शराब व्यवसाई रहे धनकुबेर से भूरिया पूरी तरह सैट हो गए और उन्होंने लखनादौन की ओर रूख भी नहीं किया। वैसे लखनादौन क्षेत्र केंद्रीय मंत्री कमल नाथ और मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह के प्रभाव वाला क्षेत्र है।

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