टाईगर रिजर्व में
पर्यटन पर 16 को हो
सकता है विचार
(आकाश कुमार)
नई दिल्ली (साई)।
सुप्रीम कोर्ट ने बाघों के संरक्षण के लिए नए दिशा-निर्देशों की अधिसूचना जारी
करने के लिए केंद्र को एक हफ्ते की मोहलत दी है। शीर्ष अदालत ने 24 जुलाई के अपने
आदेश में बदलाव कर टाइगर रिजर्व में सीमित पर्यटन गतिविधियों की इजाजत देने का
संकेत भी दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वह पर्यटन के खिलाफ नहीं है। पर्यटन
गतिविधियों पर रोक का अंतरिम आदेश इसे नियंत्रित करने के लिए है।
न्यायमूर्ति एके
पटनायक और स्वतंत्र कुमार की पीठ ने कहा कि जिन राज्यों को नए दिशा-निर्देशों पर
एतराज हो, वह उसे
कोर्ट में चुनौती देने के लिए स्वतंत्र हैं। मामले की अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को होगी।
पीठ ने यह भी कहा कि न तो हम किसी दिशा-निर्देश को वैध ठहरा सकते हैं और न ही
संविधान विरुद्ध घोषित कर सकते हैं। केंद्र की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल
इंदिरा जयसिंह ने भरोसा दिलाया कि नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी द्वारा तैयार नए
दिशा-निर्देश 24 घंटे में
अधिसूचित होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने
गत 24 जुलाई को
टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में सभी तरह की पर्यटन गतिविधियों पर रोक लगा दी थी। 29 अगस्त को यह रोक 27 सितंबर तक बढ़ा दी
गई थी। अवधि बढ़ाते हुए कोर्ट ने यह संकेत भी दिया था कि वह नियंत्रित पर्यटन
गतिविधियों के खिलाफ नहीं है, बशर्ते केंद्र सरकार विलुप्त हो रहे बाघों
के संरक्षण के संबंध में समुचित उपायों वाले नए दिशा-निर्देश जारी करें।
इस पर केंद्र सरकार
ने 26 सितंबर को
बाघ संरक्षण के संबंध में राज्यों के लिए नए दिशा-निर्देश का मसौदा कोर्ट के समक्ष
पेश किया था। इसमें केंद्र ने कहा था कि टाइगर रिजर्व में पर्यटन के लिए कोई नया
बुनियादी ढांचा नहीं बनाया जाना चाहिए। बाघों के आवास के कोर एरिया के अधिकतम 20 फीसद क्षेत्र में
नियंत्रित व सीमित पर्यटकों की आवाजाही हो सकती है। यह भी कहा गया कि बाघ ही नहीं, सभी प्रकार के
वन्यजीवों से पर्यटकों की दूरी कम से कम 20 मीटर बनी रहे और जानवरों को ललचाने या कुछ
खिलाने पर पूरी तरह पाबंदी रहे।
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