फुर्र हो गया
सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन का मुस्लिम प्रेम?
(रहीम खान)
बालाघाट (साई)।
भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में सभी राजनीतिक दलों के आकर्षण का केन्द्र रहने वाले
मुस्लिम मतदाताओं को प्रभावित करने के लिये हमेशा कोई न कोई प्रयास राजनीति के
क्षेत्र में सक्रिय लोगों के द्वारा निरंतर किये जाते है । क्योंकि देश के भीतर
मुस्लिम आबादी वर्तमान समय में 18 करोड़ से ऊपर मानी जाती है । इसलिये इस वर्ग
के मतदाताओं को एक दम से कोई भी राजनीतिक दल उपेक्षित नहीं कर पाता । क्योंकि अनेक
ऐसे स्थान है जहां पर चुनाव में हार जीत का निर्णय मुस्लिम मतदाताओं के झुकाव पर
ही निर्भर होता है । मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार के मुखिया मुख्यत्रंी शिवराज
जी चौहान राजनीति के इस सूत्र को अच्छी तरह समझ गये है, इसलिये उन्होने
अल्पसंख्यक वर्ग के अनेक योजनाएं लागू कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के क्षेत्र में
निरंतर प्रयास जारी रखे है । आमतौर पर भाजपा और मुसलमानों के बीच राजनीति के
क्षेत्र में जो दूरियां मानी जाती थी वह धीरे धीरे समाप्त हो रही है । और मुस्लिम
क्षेत्रों में भाजपा को मिलने वाले प्रतिशत में निरंतर वृद्धि हो रही है । बालाघाट
विधानसभा क्षेत्र के विधायक एवं मध्यप्रदेश में सहकारिता एवं पी.एच.ई. विभाग के
मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने वर्ष 2011 में मुस्लिमों के पवित्र माह रमजान महिने में
केवल रोजा अफ्तार के कार्यक्रम ही आयोजन नहीं किये बल्कि परासिया, सिवनी, छिन्दवाड़ा, नरसिंहपुर, बालाघाट में ईद
मिलन समारोह के भव्य आयोजन कर मुस्लिम समाज को भाजपा से जोड़ने का सार्थक प्रयास भी
किया और इसके सकारात्मक परिणाम यह देखने मिले की बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के
लोग पार्टी के अल्प संख्यक मोर्चे मे शामिल हो भाजपा का झंडा पकडने में कोई संकोच
नहीं कर रहे है । बालाघाट जिले के सांसद के रूप में गौरीशंकर बिसेन ने नगर के बैहर
रोड़ स्थित शादी हाल के अधूर निर्माण को अपने सांसद निधि से 25 लाख से अधिक राशि
प्रदान कर उक्त भवन में महत्वपूर्ण सुविधाएं उपलब्ध कराई थी ।इसी्र प्रकार से
मुस्लीम समाज से संबंधित अनेक कार्यक्रमों में गौरीशंकर बिसेन की उपस्थिति अग्रीण
रहने लगी थी । बालाधाट जिले के मुस्लिम समाज ने स्वयं उनका एवं प्रदेश सरकार का
खुल कर आभार व्यक्ति किया और भाजपा के प्रति अपनी आस्था प्रकट करने में कोई संकोच
नहीं किया ।
किंतु इसे विडम्बना
कहा जाय कि मुस्लिम समाज के प्रति उमड़ा उनका प्रेम एक वर्ष भी बात नहीं पाये कि
हवा-हवाई हो गया । क्योंकि वर्ष 2012 के रमजान पत्रिवमाह में मंत्री बिसेन
द्वारा न तो केाई रोजा अफ्तार का आयोजन किया गया और नाही ईद मिलन समारोह के आयाजन
हुए । इतना ही नहीं पार्टी का अल्प संख्यक मोर्चा भी जिले में इस प्रकार के आयोजन
को करने के प्रति पूरी तरह उदासीन रहा । मंत्री के विधान सभा क्षेत्र में उनके घोर
राजनीतिक प्रतिद्वंदी कहे जाने वाले पूर्व सांसद कंकर मुंजारे ने मुस्लिम समाज के
रोजा अफ्तार कार्यक्रमों में बढ़ चढ़ कर भाग लिया । हालांकि मुस्लिम समाज ने मंत्री
बिसेन के इस अचानक आए उपेक्षित दृष्टिकोण को गभीरता से नहीं लिया । मुस्लिम
बुद्धिजीवि वर्गे का मानना है कि यह अपनी अपनी रूचि की बात है । कोई कार्यक्रम हो
तो अच्छा न हो तो कोई बुराई वाली नहीं बाता । परन्तु राजनीति में दंखल अंदाजी
लोगों का मामना है कि मंी बिसेन निरंतर अपनी कार्यप्रणाली के कारण लगातार विवादों
में घिर गये थे जिनसे उन्हे ंबाहर निकलने का कोर्इ्र एंसा मार्ग नहर नहीं रहा था ।
जिससे पार्टी हाई कमान यह सोचे की मंत्री बिसेनने पार्टी के वोट बैंक में वृद्धि
किया है । इसा बात को ध्यान में रखते हुए उन्होनं लगातार मुस्लिम समाज के
कार्यक्रमो का आयोजन कर हाई कमान को यह संदेश देने का प्रयास किया कि वह पार्टी के
साथ उस समाज को जोड़ने का प्रयास कर रहे है जिन्हें पार्टी का घोर विरोधी जहा जा
सकता है । जैेसे ही पार्टी के भीतर उनकी
स्थिति जो यह संकेत दे ही थी कि उनके निरंतर विवादों से त्रस्त होकर पार्टी उन्हें
मंत्री मंडल से बाहर भी कर सकती है । उसमें सुधार हुआ तो उन्हाने वह सारे प्रयास
को तिलांजली ने दी जिसका उपयोग कर वह अपने राजनीति को नई मजबूती देने का प्रयास कर
रहे थे । बहरहाल बालाघाट जिले में ही नहीं सम्पूर्ण महाकौशल क्षेत्र में यह बात
विशेष रूप से मुस्लिम समाज के भीतर चर्चा का विषय बनी हुई कि गौरीशंकर मंत्री बिसेन के मुस्लिम प्रेम की
अचानक हवा हवाई होने के पीछे क्या कारण है । आर.एस.एस. को दवाब है या फिर उन्हें
लगता है कि इस समाज के पीछे जाने से उनका या पार्टी का कोई राजनीतिक भला नहीं
हेागा । यह सब उस समय हो रहा है जब मुख्यमंत्री स्वयं मुस्लिम समाज के लोगों को
देख के भीतर उनके पावित्र स्थानों के दर्शन के लिऐ सरकारी खर्च पर भेजने की योजना
बना रहा है ।
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