कचहरी में
स्टाम्प की मारामारी
(सचिन धीमान)
मुजफ्फरनगर
(साई)। कचहरी में बैठे स्टाम्प विक्रेताओं
को दस व बीस रूपये के स्टाम्प पिछले कुछ दिनों से जिला कोषागार से नहीं मिल रहे
हैं। कोषाधिकारियों की हठधर्मिता के चलते शपथपत्र बनवाने वाले छात्र छात्राओं को
कोषागार में घंटों लाइन में लगकर दस रूपये का स्टाम्प लेना पड़ रहा है। दस रूपये का स्टाम्प लेने के लिए पहले जिला
कोषाधिकारी के नाम प्रार्थनापत्र लिखना पड़ता है उसके बाद वह कोषागार में जमा होता
है फिर लाइन में लगकर घंटों बाद स्टाम्प मिलता है।
कालेजों में एडमिषन
व छात्रवृत्ति के आवेदन के लिए हजारों छात्र कचहरी में रोज शपथपत्र बनवाने के लिए
आते हैं। ऐसे में कोषागार अधिकारियों के तुगलकी फरमान ने उनकी मुष्किलें और बढ़ा दी
हैं क्योंकि कोषागार अधिकारी ने कचहरी में बैठे स्टाम्प विक्रेताओं को दस व बीस
रूपये के स्टाम्प देने पर पाबंदी लगा दी है। ऐसे में स्टाम्प विक्रेता भी हाथ पर
हाथ धरे बैठे हैं। स्टाम्प लेने के लिए अब आपको कोषागार में प्रार्थनापत्र देने के
बाद घंटों लाइन में लगना होगा तभी आपको दस रूपये का स्टाम्प नसीब होगा। एक शपथपत्र
बनवाने के लिए छात्र छात्राएं कई घंटे कचहरी में धक्के खा रहे हैं लेकिन कोषागार
अधिकारी आंखें मंूदे बैठे हैं। जिलाधिकारी सुरेन्द्र सिंह व एडीएम वित्त राजेष
कुमार श्रीवास्तव भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। वहीं स्टाम्प विक्रेताओं
का कहना है कि कोषागार अधिकारियों की तानाषाह पूर्ण नीति के तहत उन्हें दस एवं बीस
रूपये के स्टाम्प नहीं दिये जा रहे हैं जिससे शपथपत्र बनवाने वाले छात्र छात्राओं
व अन्य नागरिकों को घंटों कोषागार में लाइन में लगना पड़ रहा है।
वहीं नोटरी
अधिवक्ता विजय त्यागी ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इस समस्या का हल
आसानी से हो सकता है। यदि कोषागार में दस रूपये के स्टाम्प की समस्या है तो दस
रूपये का कोर्ट फीस का टिकट लगाकर शपथपत्र तसदीक किया जा सकता है। त्यागी का तर्क
है कि दस रूपये स्टाम्प हो या कोर्ट फीस का दस रूपये का टिकट सरकार को तो दस रूपये
मिल ही रहे हैं। स्टाम्प एक्ट में भी इसका प्रोविजन है। इस मामले में डीएम
सुरेन्द्र सिंह एक आदेष जारी कर सकते हैं जिससे शपथपत्र बनवाने वाले लोगों को
आसानी हो सकती है और स्टाम्प विक्रेताओं के ब्लैक पर भी अंकुष लगाया जा सकता है।
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