मीडिया में चर्चा
है जनसंपर्क के तीन एसएमएस की!
(नन्द किशोर)
भोपाल (साई)। एक
अखबार मालिक को विज्ञापन ना मिलने के पीछे मध्य प्रदेश के सहकारिता मंत्री गौरी
शंकर बिसेन का हाथ है? क्या यह सच है? हालात तो इसी ओर इशारा कर रहे हैं। सहकारिता
मंत्री गौरी शंकर बिसेन से मिलने और उन्हें राजी करने के लिए जनसंपर्क महकमे के एक
आला अधिकारी द्वारा एक अखबार के संपादक मालिक को तीन तीन एसएमएस भेजे गए हैं।
जनसंपर्क विभाग के
बाणगंगा स्थित मुख्यालय से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो
मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग के एक आला अधिकारी ने उक्त समाचार पत्र के
मालिक संपादक को सीधे फोन करके नहीं वरन् अपने मोबाईल से एसएमएस कर यह मशविरा दिया
गया है कि वे गौरी शंकर बिसेन से संपर्क करें।
बताया जाता है कि
मध्य प्रदेश से प्रकाशित एक समाचार पत्र को विज्ञापन नहीं दिए जा रहे हैं। इस पर
अखबार के संपादक मालिक द्वारा इस संबंध में जनसंपर्क संचालनालय के आला अधिकारियों
से गुहार लगाई। पहले हीला हवाला करने के उपरांत जब मालिक को हकीकत का भान हुआ तो
उसकी तह में एमपी के सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन निकले।
जनसंपर्क विभाग के
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि विभाग में इन दिनों उक्त आला
अधिकारी के तीन एसएमएस चर्चाओं में हैं। पहले एसएमएस में जनसंपर्क विभाग के एक आला
अधिकारी द्वारा कहा गया है कि प्लीज रिक्वेस्ट होनरेबल मिनिस्टर बिसेन। दूसरे
एसएमएस में कहा गया है कि प्लीज टॉक टू श्री गौरी शंकर बिसेन जी। एवं अंतिम एसएमएस
में सलाह दी गई है कि प्लीज टॉक टू द मिनिस्टर, आई केन नाट इग्नोर
हिम।
इस तरह के एसएमएस 94251...... नंबर पर
किए गए हैं, जिनका
रिकार्ड आसानी से निकलवाया जा सकता है। ये तीन एसएमएस आखिर किस कारण किए गए? ऑनरेबल मिनिस्टर
गौरी शंकर बिसेन की चिरौरी करने जनसंपर्क के एक आला अधिकारी ने अखबार के संपादक को
क्यों मशविरा दिया?
क्या जनसंपर्क विभाग का काम लक्ष्मीकांत शर्मा के स्थान पर
गौरी शंकर बिसेन के पास है? इस बारे में उत्तर या तो लक्ष्मी कांत शर्मा, या गौरी शंकर बिसेन
अथवा जनसंपर्क विभाग के उक्त आला अधिकारी या संपादक ही दे सकते हैं, पर इन दिनों मीडिया
बिरादरी में तीन एसएमएस की चर्चाएं जोरों पर हैं।
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