ये है दिल्ली मेरी जान
लिमटी खरे
बाबा की हुंकार से सहमे माननीय
इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू योग गुरू बाबा रामदेव ने विदेशों में जमा काले धन के बारे में दो सालों से अभियान छेड़ रखा है। बाबा की बातों को पहले देश के माननीय जनसेवकों ने बेहद हल्के में लिया। मामला धीरे धीरे सुलगता गया और अब जब मामला चरम पर है तब बाबा रामदेव ने केंद्र सरकार पर तीखे प्रहार करना आरंभ कर दिया है। बाबा की एक एक सभा में पचासियों हजार लोगों की भीड़ जुड़ना आम बात है। बाबा की बातें लोगों के दिलो दिमाग पर घर कर रही हैं। बाबा का कहना है कि मिस्त्र में हिंसक क्रांति हो सकती है तो गांधी के देश में अहिंसक क्रांति की जाएगी। सरकार के खिलाफ जनता जनार्दन को खड़ा किया जाएगा। बाबा रामदेव के इन तल्ख तेवरों से केंद्र सरकार सहित विपक्ष में बैठे माननीय जनसेवकों को मानो सांप सूंघ गया है। हसन अली पर पचास हजार करोड़ का कर बकाया होने पर उसे गिरफ्तार न करने के पीछे बाबा का तर्क है कि देश के बेईमान, गद्दार, भ्रष्ट, देशद्रोही लोगों का पैसा हसन के पास है इसलिए उसे पकड़ा नहीं जा सका है। उधर आड़वाणी का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री को 2008 में ही अनेक नाम दे दिए थे, जिनका काला धन विदेशों में जमा था। लगने लगा है कि बाबा रामदेव के इस अभिनव जनजागरण अभियान को जनता का अभूतपूर्व, अकल्पीनय समर्थन मिलने ही वाला है। अब देश के माननीयों को सावधान हो जाना चाहिए, क्योंकि समय आ चुका है, जनता जाग चुकी है, जनता पर करारोपण कर अर्जित राजस्व में आग लगाने वालों को देशनिकाला दे ही दिया जाना चाहिए।
गरीब गुरबों की सोचो मेरे आका
भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह ने मंहगाई के लिए जनता को ही जिम्मेवार ठहरा दिया है। उधर देश के वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी भी वजीरे आजम की भाषा बोल रहे हैं। प्रणव दा का कहना है कि उनके पास कोई अलादीन का चिराग नहीं है, उन्होंने मंहगाई पर काबू करने के अनेक उपाय किए, पर असफल रहे। प्रणव दा ने यह नहीं बताया कि उनके प्रयास क्या रहे? देश की सबसे बड़ी पंचायत में बैठने वाले पंच अर्थात सांसद क्या जाने कि गरीब गुरबों पर क्या बीत रही है, कैसे एक गरीब अपना और परिवार का पेट पाल रहा है। सांसदों को मिलने वाली मोटी पगार और सारी सुविधाएं माले मुफ्त पाने वाला क्या जाने जमीनी हकीकत। अगर धोके से वह सांसद केंटीन में चला जाए तो उसे वहां महज बीस रूपए में ही भरपेट खाना मिल जाता है, तो वह सोचेगा ही न कि देश में कितना सस्ता है, खाना फिर भी जनता नाहक ही मंहगाई का रोना रो रही है। अरे मान्यवर पार्लयामेंट की केंटीन में मिलने वाला खाना सब्सीडाईज्ड होता है, जिसका बाकी भोगमान जनता के पैसे से अर्जित राजस्व से ही भुगता जाता है। आप तो रेल में निशुल्क यात्रा कर लेते हैं, गरीब को जब कड़े कड़े नोट देने पड़ते हैं यात्रा के लिए तब उसे आती है याद नानी। मंहगाई कम नहीं कर सकते तो कम से कम इस तरह के बयान देकर जनता के जनोदश का अपमान तो न ही किया जाए।
नियम तोड़ने में अव्वल हैं शीला
दिल्ली की कुर्सी पर तीसरी बार काबिज होने वाली कांग्रेस की मुख्यमंत्री श्रीमति शीला दीक्षित को नियम कायदों की परवाह बचपन से ही नहीं रही है। इतना ही नहीं उनका रूतबा इतना जबर्दस्त है कि दिल्ली सरकार के विभाग भी उन पर जुर्माना ठोंकने का दुस्साहस नहीं कर पा रहे हैं। दिल्ली में आनालाईन ड्राईविंग लाईसेंस बनवाने की प्रक्रिया का श्रीगणेश करते समय शीला दीक्षित ने एक राज उजागर किया कि उन्होंने नियम कायदों को धता बताते हुए महज बारह साल की उमर में ही अपना ड्राईविंग लाईसेंस बनवा लिया था। अब अंदाजा लगाईए कि शीला दीक्षित बचपन से ही कितनी हुनरमंद रही हैं। यह तो हुई उनकी राम कहानी। इसके बाद परिवहन विभाग का चमत्कार देखिए शीला दीक्षित का लाईसेंस साल दर साल नवीनीकृत भी किया जाता रहा वह भी निर्विध्न। अब जबकि शीला दीक्षित ने खुद ही अपने मुंह से नियम तोड़ने की बात कह दी है, तब भी दिल्ली का परिवहन विभाग खामोश है। होना यह चाहिए कि परिवहन विभाग को श्रीमति शीला दीक्षित के उस अवैध और बार बार नवीनीकृत लाईसेंस को रद्द कर उसे नवीनीकृत करने वाले अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच आहूत कर श्रीमति शीला दीक्षित का नया लाईसेंस बनाना चाहिए, पर क्या करें, दिल्ली परिवहन विभाग के आला अधिकारियों में इतना साहस नहीं है, आखिर बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे।
देश की अस्मत से खेलती बाबूशाही
विदेशी घुसपैठिए देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बने हुए हैं, प्रधानमंत्री भले ही सूबों के निजामों को बुलाकर भले ही अपनी चिंता जाहिर करते रहें, किन्तु देश में पैसे के पीछे भागती बाबूशाही को इसकी कतई परवाह नहीं है। देश के मूल बाशिंदों को भले ही भारत का नागरिक होने के लिए मशक्कत करनी पड़े पर ‘‘सुविधा शुल्क‘‘ के रास्ते विदेशी यह प्रमाणपत्र आसानी से हासिल कर लेते हैं। हाल ही में राजस्थान की राजधानी जयपुर में नेपाली नागरिक सुमित, सुनील थापा और कृष्ण कुमार द्वारा भारतीय मूल का प्रमाण पत्र प्राप्त होने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। कलेक्ट्रेट ने नेपाली नागरिकों को यह प्रमाणपत्र जारी कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय इससे पूरी तरह अनजान ही हैं मजे की बात तो यह है कि इस मामले में प्रमाणपत्र जारी करने के पूर्व कलेक्टर ने गृह विभाग से दिशा निर्देश चाहे थे। मार्गदर्शन तो नहीं मिला किन्तु उक्त युवक ने पैसों के बल पर एकल खिड़की के माध्यम से प्रमाणपत्र अवश्य ही प्राप्त कर लिया। यह पहला और अनोखा मामला नहीं है। देश के हर सूबे में अगर मूल निवास प्रमाण पत्र की बारीकी से जांच कराई जाए तो हैरत अंगेज परिणाम सामने आ सकते हैं।
तमिलनाडू की नब्ज टटोल रहे हैं युवराज
घपला किंग पूर्व संचार मंत्री आदिमुत्थु राजा की गिरफ्तारी के उपरांत तमिलनाडू के सियासी समीकरणों पर कांग्रेस की नजर में भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी बारीक नजर रखे हुए हैं। कांग्रेस महासचिव अपनी कोर कमेटी के साथ राजा की गिरफ्तारी के पहले और उसके बाद के राजनैतिक समीकरणों और घटनाक्रमों के साथ ही साथ सूबे में डीएमके के साथ रिश्तों की समीक्षा कर रहे हैं। डीएमके के नाराज होने पर पीएमके के साथ नई संभावनाओं को भी टटोल रहे हैं युवराज। राहुल के करीबी सूत्रों का कहना है कि राजा की गिरफ्तारी के पहले डीएमके चीफ करूणानिधी की सोनिया गांधी से भेंट और चर्चा के दौरान राहुल गांधी वहां मौजूद थे। इसके उपरांत राहुल ने पीएमके नेता अंबुमणि रामदोस से गुफ्तगूं भी की। तमिलनाडू के मसले में राहुल गांधी द्वारा तमिल मूल के जी.के.वासन और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नवी आजाद के साथ मिलकर रणनीति तैयार की जा रही है कि चुनावों में गठबंधन किसके साथ ज्यादा उपयुक्त होगा। भले ही कांग्रेस राजा मामले में यह कह रही हो कि इससे उसके और डीएमके के रिश्तों में कोई असर नहीं पड़ने वाला, पर कांग्रेस द्वारा तमिलनाडू में डीएमके के अलावा उपयुक्त दल के साथ गठबंधन की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं।
राजा की सवारी को अलविदा कहा हृदय प्रदेश ने
केंद्र हो या राज्य हर जगह मंत्रियों की पहचान बन चुकी लाल हरी बत्ती लगी एम्बेसेडर कार को देश के हृदय प्रदेश ने अपने कान्वाय से हटाने का मन बना लिया है। कल तक सफेद लकझक एम्बेसेडर कार पर कलगी की जगह जगमगाती लाल बत्ती देखकर ही आम जनता समझ जाती थी कि मंत्री जी आन पधारे हैं। इतना ही नहीं संभागायुक्त, पुलिस महानिरीक्षक, उप पुलिस महानिरीक्षक, जिला कलेक्टर, जिला पुलिस अधीक्षक भी इस कार पर शान से बैठकर विचरण किया करते थे। मध्य प्रदेश के अनेक जिलों मंे जिला कलेक्टर्स की पहली पसंद बन चुकी है टाटा सफारी। कलेक्टर मंहगी सफारी में और मंत्री बाबा आदम के जमाने की एम्बेसेडर में। मंत्रियों की खास फरमाईश पर मध्य प्रदेश के किसान पुत्र मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने जनता के करों से एकत्र राशि में से ही राज्य सरकार के वाहन बेड़े मंे 24 टाटा सफारी खरीद लीं हैं, जो स्टेट गैराज की शोभा बढ़ाती नजर आ रही हैं। जनता का पैसा जनता के लिए जनता द्वारा का सिद्धांत भी अब पुराना जो पड़ चुका है।
किसके हाथ होगी सैंसर की कैंची!
सैंसर बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सेंसर बोर्ड) को अब नए मुखिया की तलाश है। निर्वतमान अध्यक्ष शर्मिला टैगोर का कार्यकाल जनवरी में समाप्त हो चुका है। दो कार्यकाल पूरा कर चुकीं शर्मिला के उत्तराधिकारी की खोज महीनों से की जा रही है किन्तु सूचना एवं पर्यावरण मंत्रालय को उपयुक्त शक्सियत मिल ही नहीं सकी है। आई एण्ड बी मिनिस्ट्री के सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय ने इस मामले मंे गुलजार, मनोज कुमार, शबाना आजमी, मृणाल सेन, वहीदा रहमान, तनूजा, सायरा बानो आदि से संपर्क किया था। गुलजार ने अपनी व्यस्तता के चलते साफ इंकार कर दिया है। बाकी ने ढलती उमर को ढाल बनाते हुए सम्मानजनक तरीके से अपनी ना कह दी है। सूचना प्रसारण मंत्रालय पशोपेश में है कि अब क्या किया जाए? क्योंकि सेंसर बोर्ड की कमान जिसके हाथों सौंपी जाए वह कम से कम फिल्मों में सक्रिय न हो। लिहाजा शर्मिला टैगौर को ही तीसरी बार मनाने की जुगत लगाई जा रही है।
सोनिया को आईना दिखाया वैंकटस्वामी ने
आंध्र प्रदेश के उमर दराज 82 वर्षीय वरिष्ठ नेता जी.वैंकटस्वामी ने कांग्रेस की राजमाता को आखिरकार आईना दिखा ही दिया। 12 साल से लगातार कांग्रेस पर राज करने वाली सोनिया गांधी से उन्होंने कुर्सी छोड़कर किसी नए व्यक्ति को मौका देने को कहा है। वैंकटस्वामी ने कांग्रेस को रसातल में ले जाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी को ही पूरी तरह जिम्मेवार ठहराया है। इतना ही नहीं उन्होंने सोनिया गांधी के विदेशी मूल के होने का मुद्दा भी उठा सबको चौंका दिया है। वैसे भी आंध्र प्रदेश में र्पू मुख्यमंत्री वाईएसआर रेड्डी के पुत्र और कांग्रेस से नाता तोड़ चुके जगन मोहन रेड्डी के कारण आंध्र में कांग्रेस संकट में ही है। वैंकटस्वामी के बयान के बाद कांग्रेस के अंदरखाने में बासी कढी मंे उबाल आने लगा है। लोगों का कहना है कि स्वामी ने सही कहा है कि नए चेहरे को तवज्जो देना चाहिए। इसका तात्पर्य इस बात से भी लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में सोनिया अपनी राजनैतिक विरासत को अपने पुत्र राहुल गांधी के बजाए किसी नए चेहरे को सौंपे।
मुश्किल में ग्रामीण
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय द्वारा 19 जनवरी को एक तुगलकी फरमान जारी कर दिल्ली राज्य के ग्रामीणों के साथ ही साथ नगर निगम के अधिकारियों को असमंजस में डाल दिया है। मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर दिल्ली के गांवों में किसी भी प्रकार के भवन निर्माण के लिए नक्शा पास करवाना अनिवार्य कर दिया है। नक्शे को दिल्ली नगर निगम द्वारा पास किया जाना प्र्रस्तावित किया गया है। ग्रामीणों और निगम के सामने सबसे बड़ी दुश्वारी यह है कि गांवों के ले आउट प्लान के बिना आखिर नक्शा कैसे पास हो पाएगा। गौरतलब होगा कि दिल्ली में लगभग सात सौ गांव हैं, जिनकी आबादी तीस लाख के करीब है। वैसे भी दिल्ली की 567 अनाधिकृत कालोनियों में से महज चार दर्जन के ही लेआउट प्लान तैयार हो सके हैं। अब समस्या यह है कि गांव सहित इन सभी के लेआउट प्लान तैयार करने में सालों लग जाएंगे, तब यहां होने वाले निर्माण को अपने आप ही अवैध करार दे दिया जाएगा।
आदर्श घोटाले की आंच में शिंदे!
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को अपनी आगोश में ले चुके मुंबई के आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले की आंच अब केंद्रीय उर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे को अपनी जद में लेती दिख रही है। मुंबई उच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो को निर्देशित किया है कि इस घोटाले में सुशील कुमार शिंदे की भूमिका को भी जांच के दायरे में लाया जाए। कोर्ट का मानना है कि शिंदे ने भी मुख्यमंत्री रहते हुए फर्जी दस्तावेजों के जरिए इस इमारत की नींव बुलंद की थी। याचिकाकर्ता वाई.पी.सिंह का कहना है कि इस मामले की प्राथमिकी में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री विलास राव देशमुख, पूर्व मुख्य सचिव डी.शंकरन सहित अनेक लोगों के नाम जोड़े जाने चाहिए। कारगिल के शहीदों की विधवाओं के नाम पर बनी इस सोसायटी में सेना से हटकर अन्य लोगों के नाम शामिल करने के उपरांत इसके निर्माण के मार्ग प्रशस्त हो सके थे। छः मंजिला प्रस्तावित यह इमारत बाद में 31 मंजिल तक पहुंच गई थी। अदालत के ताजा आदेश के बाद राजनेताओं और नौकरशाहों मंे हडकम्प मचना स्वाभावकि ही है।
मुर्गा छोड़ो, मर्द बनो!
आदमियों को अगर अपने बाल और पोरूषत्व को कायम रखना है तो उन्हें फार्म वाले चिकन के मांस को तजना आवश्यक है। यह हमारा नहीं वोलीविया के महामहिम राष्ट्रपति ईवो मोरेल्स का कहना है। एक पर्यावरण सम्मेलन में मोरेल्स ने उक्ताशय की बात कही है। उनका कहना है कि मुर्गी पालन के काम में लगे लोगों द्वारा चिकन में मादा हार्मोंस वाले इंजेक्शन का प्रयोग अधिक किया जाता है, जिससे इसका सेवन करने वाले पुरूषों के पुरूषत्व में दिक्कत आती है। इतना ही नहीं फार्म के चिकन का लंबे समय तक सेवन करने वाले गंजे भी हो सकते हैं। पहले ही बर्ड फ्लू की दहशत के चलते मुर्गी फार्म वाले हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं, फिर अगर मोरेल्स ने इस तरह की अपील कर दी तो बस निकल पड़ी मुर्गी फार्म वालों की।
पुच्छल तारा
देश में एक समय था जब भ्रष्टाचार करना सामाजिक बुराई माना जाता था, लोग भ्रष्टाचार करने से डरा करते थे। अब तो नौकरशाहों और जनसेवकों का प्रिय शगल बन चुका है भ्रष्टाचार। टीकमगढ़ मध्य प्रदेश से अनुराग वर्मा ने एक ईमेल के माध्यम से इसे रेखांकित किया है। अनुराग लिखते हैं कि जेल में दो नए कैदी बतिया रहे थे।
पहला -‘‘तुम यहां क्यों आए?‘‘
दूसरा -‘‘किसी से मारपीट हो गई थी, बस। और तुम यहां कैसे आए?‘‘
पहला -‘‘मैने लोगों को जमकर धोखा दिया। करोड़ों की हेराफेरी की। नियम कायदों को जेब में रखा।. . . .।‘‘
दूसरा -‘‘ओह, माफ कीजिएगा, क्या आप नेता हैं?।‘‘
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