शूल ही शूल बिखरे
नजर आ रहे रजनीश की राह में!
महामंत्री द्वय के
बीच कार्यकर्ता पशोपेश में, शक्ति सिंह से जुड़ रहे हरवंश से नाराज लोग
(महेश रावलानी/पीयूष भार्गव)
सिवनी (साई)।
केवलारी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के कार्यकर्ता पशोपेश में हैं कि वे हरवंश
सिंह के सुपुत्र रजनीश सिंह ठाकुर का साथ दें, या फिर युवा तुर्क
शक्ति सिंह के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलें। इसका कारण यह है कि दोनों ही
कांग्रेस के स्थानीय क्षत्रप आज भी जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री हैं, और महामंत्री होने
के नाते कार्यकर्ताओं के लिए दोनों ही नेता बराबरी का दर्जा रख रहे हैं।
अब जबकि कांग्रेस
की ओर से केवलारी विधानसभा क्षेत्र से किसी को भी अधिकृत प्रत्याशी घोषित नहीं
किया गया है, इन
परिस्थितियों में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का धु्रवीकरण बहुत तेजी से हो रहा है।
कार्यकर्ता असमंजस में हैं, कि कांग्रेस की टिकिट आखिर किसे मिलेगी। कुछ
लोग मीडिया के जरिए यह प्रचारित करने से नहीं चूक रहे हैं, कि हरवंश ंिसह के
पुत्र रजनीश सिंह को ही कांग्रेस द्वारा आधिकारिक उम्मीदवार बनाया जाना तय है।
वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ इंका नेता बसंत तिवारी, जिला पंचायत उपाध्यक्ष अनिल चौरसिया, कांग्रेस के दिलीप
दुबे, अल्प
संख्यक कोटे से शमी अंसारी के अलावा सबसे ताकतवर प्रत्याशी के बतौर कुंवर शक्ति
सिंह का नाम सामने आ रहा है। सारे के सारे संभावित प्रत्याशी युद्ध स्तर पर
क्षेत्र को नापने में लगे हुए हैं।
अलग थलग पड़ रहे
रजनीश
हरवंश सिंह ठाकुर
के शासन काल में जिन कार्यकर्ताओं या नेताओं के आत्म सम्मान को कुचला गया है, उन कार्यकर्ताओं और
नेताओं के मन में आज भी कसक बनी ही हुई है। वह तो हरवंश सिंह का आभा मण्डल और
कार्यकर्ता को साईज में लाने का माद्दा था कि उनके जीवित रहते, कार्यकर्ता अपमानित
होने के बाद भी अपनी जुबान नहीं खोलता था। पर अब हरवंश सिंह के अवसान के उपरांत
मामले ने यू टर्न ले लिया है। अब हरवंश सिंह से प्रताड़ित कार्यकर्ताओं के सुर मुखर
होते जा रहे हैं।
13 जून को सिवनी में हुई सभा में भले ही
केंद्रीय नेताओं ने रजनीश सिंह को दिलासा दी हो, पर उस दिन रजनीश
सिंह के भाषण में नाटकीयता देखकर मंचासीन नेता भी कई बार कुटिल मुस्कान के साथ
रजनीश को तरेरते नजर आए। इसके उपरांत क्षेत्र में जैसे ही यह संदेश गया कि रजनीश
सिंह ठाकुर की टिकिट कांग्रेस की ओर से फायनल हो चुकी है। वैसे ही हरवंश सिंह
विरोधी तत्व सक्रिय हो गए। इन सारे लोगों ने लामबंद होकर रजनीश सिंह के विरोध का
परचम उठा लिया।
कांग्रेस के वरिष्ठ
नेता दिलीप दुबे भी शक्ति सिंह के साथ ही भ्रमण करते नजर आ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर
जिला पंचायत के उपाध्यक्ष और कान्हीवाड़ा क्षेत्र में प्रभाव रखने वाले अनिल
चौरसिया के साथ, कान्हीवाड़ा
में कांग्रेस महामंत्री कुंवर शक्ति सिंह एक कार्यक्रम में एक साथ शिरकत करने वाले
हैं।
प्रीता, मुकेश का जाना
रजनीश को झटका
हरवंश सिंह अपने
समय में सारे समीकरणों को अपने हिसाब से साधकर जिले में कांग्रेस की कठपुतलियों की
डोर अपने हाथ में रखा करते थे। उनके अवसान के बाद ये डोर यत्र तत्र बिखरी पड़ी दिख
रही है। गत दिवस कांग्रेस की नेत्री और जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष प्रीता
तामसिंह ठाकुर ने कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। यह झटका कांग्रेस के
संभावित उम्मीदवार रजनीश सिंह ठाकुर के लिए असहनीय हो सकता है। वहीं दूसरी ओर
धनौरा क्षेत्र से मुकेश जैन का कांग्रेस के प्रति मोहभंग होना भी, रजनीश सिंह ठाकुर
के लिए बहुत शुभ संकेत नहीं माना जा रहा है। मुकेश जैन ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी
का दामन थामा है।
छोटा है रजनीश का
कद
हरवंश सिंह का कद
अपने आप में महत्वपूर्ण था। वे हर परिस्थिति से निपटने की क्षमता रखते थे। हरवंश
सिंह पर भाजपा की तत्कालीन सांसद और वर्तमान विधायक श्रीमति नीता पटेरिया द्वारा
आमानाला काण्ड में जानलेवा हमले का आरोप लगाकर एफआईआर करवाई थी, पर हरवंश सिंह ने
अपनी बाजीगरी से वह मामला भी शांत ही करवा दिया था। इधर, एक दुर्गाउत्सव
पंडाल में रजनीश सिंह के द्वारा 2100 रूपए दिए जाने की बात उछली, फिर केवलारी
एसडीओपी द्वारा उनके काफिले को रोक दिया गया। ये सारी बातें जब क्षेत्र में
पहुंचीं तो लोगों को लगने लगा, कि रजनीश सिंह का कद अभी बहुत छोटा है, और रजनीश सिंह शायद
ही केवलारी के लोगों के लिए विकास की बातें उपर तक पहुंचा सकें।
भारी पड़ रहे हैं
शक्ति
उधर, दूसरी ओर क्षेत्र
में चल रही चर्चाओं के अनुसार, कांग्रेस के दूसरे महामंत्री और केवलारी से
कांग्रेस की टिकिट के प्रबल दावेदार शक्ति सिंह, रजनीश सिंह ठाकुर
के उपर भारी पड़ते दिख रहे हैं। रजनीश सिंह के साथ भले ही कांग्रेस के बड़े क्षत्रप
खड़े हों पर क्षेत्र में चल रही चर्चाओं के अनुसार वोट तो क्षेत्र की जनता को ही
देना है। क्षेत्र में खेलों विशेषकर पारंपरिक कुश्ती को जिंदा कर शक्ति सिंह ने
युवाओं का दिल जीता है। इसके साथ ही साथ शक्ति सिंह के साथ सबसे बड़ा प्लस
र्प्वाइंंट यह है कि वे जिला पंचायत उपाध्यक्ष रहे हैं, और उपाध्यक्ष रहते
हुए उनका कार्यक्षेत्र संपूर्ण जिला रहा है।
वहीं, दूसरी ओर शक्ति
सिंह शिक्षा समिति के अध्यक्ष भी रहे हैं। शिक्षा समिति के अध्यक्ष रहते शिक्षकों
की भर्ती प्रक्रिया में उन्होंने पारदर्शिता अपनाई, जिसका लाभ उन्हें
मिल सकता है। शक्ति सिंह के साथ वर्तमान जिला पंचायत के उपाध्यक्ष अनिल चौरसिया भी
कंधे से कंधा मिलाए खड़े दिख रहे हैं। अनिल चौरसिया ने हरवंश सिंह के खिलाफ चुनाव
लड़ा था और लगभग साढ़े छः हजार मत हासिल किए थे, इस लिहाज से शक्ति
सिंह की दावेदारी कांग्रेस के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है।
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