साईपुरम का मंदिर
किसकी भूमि पर!
(पीयूष भार्गव)
सिवनी (साई)।
शिर्डी के साईं बाबा के पूजन को लेकर उनके भक्तों के तौर-तरीकों पर अभी बातें चल
ही रही थीं कि सिवनी के जबलपुर रोड स्थित भव्य साईं मंदिर की भूमि पर किसका अधिकार
है... इस बात को लेकर विवाद उठना शुरू हो गया है। उल्लेखनीय है कि ओम श्री साईं
मंदिर ट्रस्ट को पंजीकृत करने के लिये एक आवेदन ऊधवदास आसवानी व 10 अन्य लोगों द्वारा
पंजीयक लोक न्यास के समक्ष दिया गया है।
आवेदन में उक्त
भूमि को आवेदकों द्वारा अपने ट्रस्ट की अचल संपत्ति बताया गया है। जबकि इसके दूसरे
पक्ष शरद अग्रवाल का दावा है कि ग्राम सिमरिया प.ह.न. 90 रा.नि.मं. सिवनी
भाग-दो में स्थित उक्त भूमि जिसका खसरा नंबर 113/3 है, श्री शिरडी साईं
संस्थान सिवनी की है।
उल्लेखनीय है कि
ऊधवदास आसवानी और 10 अन्य
व्यक्तियों द्वारा साईं मंदिर भूमि को ओम श्री साईं मंदिर ट्रस्ट सिवनी की अचल
संपत्ति निरूपित करते हुए ट्रस्ट बनाये जाने हेतु एक आवेदन पंजीयक, लोक न्यास एवं
अनुविभागीय दंडाधिकारी (राजस्व) के समक्ष प्रस्तुत किया गया है जिस पर प्रमुख रूप
से शरद अग्रवाल आ. गोविंदप्रसाद अग्रवाल द्वारा आपत्ति लगायी गयी है।
शरद अग्रवाल की तरफ
से लगायी गयी आपत्ति के अनुसार जिस भूमि पर साईं मंदिर बना हुआ है 11 जून 1992 को श्री शिर्डी
साईं संस्थान सिवनी के तात्कालीन अध्यक्ष दादू राघवेन्द्रनाथ सिंह द्वारा क्रय की
गयी थी, जिसमें
आमजन के सहयोग से भव्य साईं मंदिर का निर्माण किया गया था। आपत्तिकर्ता का कहना है
कि जिस भूमि पर आमजन के सहयोग से भव्य साईं मंदिर बना है वह कागजों में आज भी श्री
शिर्डी संस्थान की है। ऐसे में ओम श्री साईं मंदिर ट्रस्ट कैसे इस भूमि को अपनी
अचल संपत्ति निरूपित कर अपने ट्रस्ट के पंजीयन हेतु आवेदन दे रहा है।
आपत्तिकर्ताओं के
अनुसार उक्त भूमि शिर्डी के साई बाबा के मंदिर निर्माण के लिये ही खरीदी गयी थी, और उसमें मंदिर ही
बना है लेकिन कोई अन्य उक्त भूमि को अपनी निरूपित कर पंजीयक लोक न्यास के समक्ष
ट्रस्ट बनाये जाने हेतु आवेदन करेगा तो उसका विरोध तो करना ही पड़ेगा। कुछ लोगों द्वारा
दस्तावेजों की कूटरचना कर भूमि को केवल अपने अधिकार में लेने की कोशिश कर ट्रस्ट
बनाये जाने की कार्यवाही कर रहे हैं ताकि बाद में इस ट्रस्ट का संचालन व मंदिर में
दान के रूप में आने वाली संपत्ति को वे मनमाने ढंग से उपयोग कर सके।
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