सर्वशक्तिमान डॉ.सतीश दत्त गर्ग!
(लिमटी खरे)
जिला आयुष अधिकारी के पद पर पदस्थ
डॉ.सतीश दत्त गर्ग की हिम्मत की दाद देनी होगी। वे आदिवासी बाहुल्य लखनादौन तहसील
के आदेगांव में पदस्थ रहे हैं। अपनी पदस्थापना के दौरान उन्होंने वहां जो गुल खिलाए
हैं, अगर उनकी ईमानदारी से जांच हो जाए तो उनका निलंबन सुनिश्चित ही है।
बावजूद इसके उन्हें निलंबित, पदावनत करने के बजाए जिला आयुष अधिकारी
का प्रभार सौंपा जाना आश्चर्यजनक है।
डॉ.सतीश दत्त गर्ग जब कटनी में पदस्थ थे
तब वहां अनेक शिकायतें उनके खिलाफ आईं। कटनी में डॉ.सतीश दत्त गर्ग पर आरोप है कि
उन्होंनंे अधीनस्थ स्टाफ को जमकर परेशान किया है। इसकी शिकायत जब वहां के लोकल
एमएलए संजय पाठक के संज्ञान मे लाई गई तो संजय पाठक ने उन्हें मिले जनादेश का पूरा
पूरा सम्मान करते हुए मामले को विधानसभा में उठा दिया। संजय पाठक की चिंघाड़ पर
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इसमें पहल करना पड़ा। शिवराज सिंह चौहान ने सदन
में कहा था कि इस मामले की जांच जबलपुर संभागायुक्त कर रहे हैं।
वहीं, स्थानांतरण नीति 2012 - 2013 का पालन
किए बिना अनियमितताएं कर तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के मनमाने
स्थानांतरण करने के लिए कटनी के तत्कालीन जिला आयुष अधिकारी डॉ.सतीश दत्त गर्ग को
संभागायुक्त डॉ.दीपक खाण्डेकर ने नोटिस जारी किया था। मुख्यमंत्री चौहान ने यह भी
बताया था कि इस संबंध में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता सोमवती जायस्वाल एवं गीता
जायस्वाल के साथ ही साथ दवासाज शिवगोपाल व मुकेश कुमार बर्मन के तबादले निरस्त और
संशोधित किए गए।
अगर मुख्यमंत्री ने सदन में यह जानकारी
दी है तो इसका मतलब साफ है कि डॉ.सतीश दत्त गर्ग ने कर्तव्यों के निर्वहन में
कोताही बरती है। अगर डॉ.सतीश दत्त गर्ग द्वारा किए गए स्थानांतरण निरस्त या
संशोधित किए गए हैं तो डॉ.गर्ग ने अनियमितता की है। और ऐसा है तो उन्हें तत्काल
प्रभाव से निलंबित किया जाना चाहिए था।
जिला आयुष अधिकारी कार्यालय कटनी में
तैनाती के दौरान डॉ.सतीश दत्त गर्ग को आयुष अधिकारी कटनी का प्रभार 7 नवंबर को
दिया गया था, किन्तु इन्होंने गंभीर वित्तीय अनियमितता करते हुए सितम्बर एवं अक्टूबर
माह का भी एनपीए एरियर का आहरण कर लिया।
इसके उपरांत डॉ.सतीश दत्त गर्ग जब
आदेगांव में पदस्थ रहे तब आदेगांव निवासी राकेश जैन ने इस संबंध में मुख्यमंत्री
आनलाईन पर शिकायत भी की थी। इसकी जांच में डॉ.गर्ग को उक्त आलोच्य अवधि में
अनुपस्थित होना पाया गया था। इतना ही नहीं आदेगांव औषधालय में दो हाजिरी पत्रक भी
जप्त किए गए जिसमें एक में इन्होंने चिकित्सकीय अवकाश तो दूसरे में कर्तव्यों पर
उपस्थिति दर्शाई थी।
डॉ.गर्ग के खिलाफ विभागीय कर्मचारियों
विशेषकर महिला कर्मचारियों ने अभद्र व्यवहार की शिकायत प्रभारी मंत्री से भी की जा
चुकी है। संभागीय आयुष अधिकारी डॉ.के.के.मिश्रा के पास आज भी जांच लंबित है।
डॉ.सतीश दत्त गर्ग का प्रभाव इतना जबर्दस्त है कि उनकी जांच 30 अप्रेल को पूरी
होने के बाद भी अब तक उच्चाधिकारियों तक नहीं भेजी जा सकी है।
बताते हैं कि एक बार फिर जिला आयुष
अधिकारी का प्रभार लेने के बाद डॉ.सतीश दत्त गर्ग ने अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को
हड़काना आरंभ कर दिया है। निश्चित तौर पर जिस कर्मचारी ने डॉ.सतीश दत्त गर्ग की
शिकायत की होगी वह आज बुरी तरह डरा हुआ ही होगा, क्योंकि अब डॉ.सतीश दत्त गर्ग उसके जिला
प्रमुख बनकर आ चुके हैं।
अब तो इस तरह की खबरें आम होने लगी हैं
कि डॉ.सतीश दत्त गर्ग द्वारा अपने मातहतों को डराया धमकाया जा रहा है। इन
परिस्थितियों में भय के वातावरण में सरकारी नुमाईंदे भला कैसे काम कर पाएंगे। लखनादौन
विधायक श्रीमति शशि ठाकुर, सिवनी विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन सिंह चंदेल से
अपनी नजदीकी बताकर कर्मचारियों को भयाक्रांत करने वाले डॉ.सतीश दत्त गर्ग के हौसले
बुलंद होना इसलिए भी स्वाभाविक ही माना जा रहा है क्योंकि उच्चाधिकारियों द्वारा
प्रमाण होने पर भी उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की है।
कर्मचारियों ने लामबंद होकर इसकी शिकायत
जिला कलेक्टर, के साथ ही साथ प्रभारी मंत्री से भी की जा चुकी है। बावजूद इसके अब तक
डॉ.सतीश दत्त गर्ग के खिलाफ कोई कार्यवाही ना होना आश्चर्यजनक ही है। परिस्थितियां
इस ओर इशारा करने पर विवश हो रही हैं कि क्या जिला प्रशासन, मंत्री संत्री से बढ़कर हो चुके हैं
डॉ.सतीश दत्त गर्ग!
सिवनी में इस तरह से एक आयुष अधिकारी ने
नियम विरूद्ध काम किया और सिवनी जिले के विधायकों ने उसके खिलाफ कोई कार्यवाही भी
प्रस्तावित नहीं की है। यह तब हुआ जब श्रीमति नीता पटेरिया के पति
डॉ.एच.पी.पटेरिया जिला चिकित्सालय में और श्रीमति शशि ठाकुर के पति डॉ.ठाकुर मुख्य
चिकित्सा अधिकारी हैं जो इन बातों को बेहतर समझ सकते हैं।
हालात देखकर लगने लगा है कि सिवनी में अब निरंकुशता चरम पर पहुंच चुकी है। भारतीय
जनता पार्टी के बूते सरकारी अधिकारियों की मश्कें कसना नहीं बचा है। जरूर इसके
पीछे कुछ और कारण हैं, वरना
एक अदने से सरकारी कर्मचारी की हर स्तर पर शिकायतें होने के बाद भी वह सीना तानकर
बैठा हुआ है। तरस तो उन तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों पर आ रहा है
जिन्होंने अपने साथ हुए इस अन्याय की शिकायत की थी, और अब वे डॉ.सतीश दत्त गर्ग के कोप का भाजन होते दिख
रहे हैं। संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव से इस संबंध में उचित और कठोर कार्यवाही
की अपेक्षा है।
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