डेंगू के डंक से
कांपी मुंबई
(निधि गुप्ता)
मुंबई (साई)। देश
की आर्थिक राजधानी मुंबई में अब डेंगू का असर तेजी से दिखने लगा है। डेंगू के
प्रकोप से तीन लोगों ने अपनी जान गंवाई है तो वहीं दूसरी ओर पांच सैकड़ा से अधिक
लोग इसकी चपेट में कराह रहे हैं। बीएमसी ने प्राइवेट अस्पतालो से डेंगू के मरीजों
की सूचना देने का फरमान जारी किया है। साथ ही डेंगू से निपटने के लिए हेल्पलाइन
नंबर भी जारी किया है। इसके अलावा शहरभर में पोस्टरों के जरिए लोगो को दिशा
निर्देश भी दिए जा रहे हैं।
बताया जाता है कि
मलेशिया में डेंगू के बढ़ते मामलों के बीच देश के दो इलाकों में ऐसे मच्छरों को
छोड़ने की योजना बनाई जा रही है जिनके आनुवांशिक गुणों में इस तरह बदलाव किया गया
है कि वे इस बीमारी से निपटने में मददगार साबित होंगे। इन नर मच्छरों को अगले
महीने छोड़ने की योजना है जो मादा मच्छरों से प्रजनन करेंगे। अधिकारियों का कहना है
कि इस प्रजनन के परिणास्वरूप पैदा होने वाले लार्वा ऐसे होंगे जो ज्यादा दिन जीवित
नहीं रह सकते।
उनका मानना है कि
इससे डेंगू से कारगर तरीके से निपटने में मदद मिलेगी। इस रोग का कारण विषाणु
मच्छरों द्वारा मानव शरीर में पहुचना हैं। डेंगू एक बीमारी हैं जो एडीज इजिप्टी
मच्छरों के काटने से होता हैं। इस रोग में तेज बुखार के साथ शरीर के उभरे चकत्तों
से खून रिसता हैं।
डेंगु एक विषाणु
जनित रोग है। इस रोग में तेज बुखार जड़ों में दर्द तथा माथा में दर्द होता है।
कभी-कभी रोगी के शरीर में आन्तरिक रक्तस्त्राव भी होता है।यह चार प्रकार के
विषाणुओं के कारण होता है तथा इस रोग का वाहक एडिस मच्छर की दो प्रजातियां हैं।
साधारणतः गर्मी के मौसम में यह रोग महामारी का रुप ले लेता है जब मच्छरों की
जनसंख्या अपने चरम सीमा पर होती है।
डेंगू का संक्रमण
सीधे व्यक्तियों से व्यक्तियों में प्रसरित नहीं होता है तथा यह भी आवश्यक नहीं कि
मच्छरों द्वारा काटे गये सभी व्यक्तियों को यह रोग हो। डेंगु एशिया, अफ्रिका, दक्षिण तथा मध्य
अमेरिका के कई उष्ण तथा उपोष्ण क्षेत्रों में होता है। डेंगु के चारों विषाणुओं
में से किसी भी एक से संक्रमित व्यक्ति में बाकी तीनों विषाणुओं के प्रति प्रतिरोध
क्षमता विकसित हो जाती है। पुरे जीवन में यह रोग दुबारा किसी को भी नहीं होता है।
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