विशाल कृषक एवं काव्य
संगोष्ठी
(शिवेश नामदेव)
सिवनी (साई)। आत्मा परियोजना
के अंतर्गत राज्य के अंर्तगत कृषक दल मंडला का राज्य के अंदर भ्रमण कार्यक्रम में
सिवनी जिले के बरघाट विकासखंड के ग्रामों में धान की एस.आर.आई. पद्धति से धान का
उत्पादन अधिक कैसे प्राप्त किया जा रहा है इसकी तकनीकि का पूर्ण प्रशिक्षण प्रदान
किया गया। मंडला से डॉ. आर. के. सिंह आत्मा परियोजना उपसंचालक के कुशल मार्गदर्शन
में सिवनी जिले के उपसंचालक कृषि श्री सुधीर धुर्वे के विशेष सहयोग से प्रदान किया
गया। 153 कृषकों का विशाल भ्रमण दल को सिवनी के श्री हनुमान व्यायामशाला भैरोगंज
में कृषक संगोष्ठी एवं काव्य संगोष्ठी में जिला पंचायत अध्यक्ष श्री मोहनसिंह
चंदेल, उपसंचालक कृषि श्री सुधीर
धुर्वे, सहायक संचालक पशु श्री मनीष
शेन्डे ने विशेष रूप से कृषकों को कृषि एवं पशुपालन की गहराईयों को समझाया। कवियों
ने कुछ इस तरह काव्य पाठ किया।
कौशलेश पाठक-काव्य गोष्ठी
संगोष्ठी के मुख्य संचालक ने अपने गंभीर अंदाज में कहा-
अब मेरी आंखें में आंसू नही आते है,
अब मेरे बच्चों को भूख नही लगती है।
मेरा एक बाजू दूसरे बाजू को कर रहा है,
ये मुझे आपस में कौन बांट रहा है।।
पूनाराम कुल्हाड़े ‘पूनम‘- ने बेटियों व्यथा पर काव्य
पाठ सुनाया
बिटिश की उम्र सोलह सबको ललकारती है,
आ होश में फरिश्ते, बिटिया पुकार रही है।
बिटिया की उम्र सोलह,
सबको
ललकारती है।
मिनहाज कुरैशी- ने हौसलों की
बुलंदियों पर कहा-
अपनी नाकामिनयों पे ए हम एम,
इस कदर क्यूं उदास होता है।
मुश्किलें उसके पांव पड़ती है,
हौसला जिस के पास होता है।
अरविन्द कर्बे- ने बैल एवं
ट्रेक्टर की लड़ाई का चितरण किया-
एक दिन एक खेत करे बात,
बैल व ट्रेक्टर में हो गई मुलाकात
रामभुवनसिंह ठाकुर- ने बेटी
धन पर समाज को आगाह किया-
पुत्री, धन पराया नहीं,
है अपना
ही खून।
पुत्र-पुत्री दोनों ही हैं, इक
डाल के प्रसून।।
सूफी रियाज मो. निंदा-ने
शायरी में आंसू को गढ़ा-
जुल्फ बादल, घटा, देखते-देखते,
चान्द यूं भी छुपा देखते-देखते।
अश्क टपका मिरी आंख से और फिर
खाक में मिल गया देखते-देखते
‘‘भुजंग‘‘ राधेश्याम सेन-ने पर्यावरण
संरक्षण में यह कहा-
दो-दो लगें द्वार-द्वार आंगन में चार-चार,
गली और कूचों में कतारें लगवाइयें।
गांव गलियारों और नगर चौराहों साथ,
खेतों के किनारे खलियानों को सजाइयें।
राजेश मिश्रा ‘राज‘ - जागते रहने का आव्हान किया-
जागों सानो वाले जागों सोने में रोना है,
सूरज ने आकर अम्बर से बरसाया सोना है।
देवेन्द्र शर्मा-ने
गुनाहगारों को ललकारा-
कितने सबूत दे दिये हमने गुनाह के,
तो घूमते है ठाठ से सरहद में आपके।
वे वक्त की ललकार को कब तक सहेगें हम,
क्यों ना करें फिर वारउनके वार देखके।
सिराज कुरैशी-ने गम की
महत्ता प्रतिपादित की-
अब बिछड़ने का गम नहीं होता,
दीदा ए इश्क नम नहीं होता।
इतने अपनों ने गम दिये है सिराज,
अब तो गैरों का गम नहीं होता।
अरूण चौरसिया ‘प्रवाह‘- ने बदनाम की समीक्षा की-
जो शय किसी के काम की नहीं होती,
वह कभी बदनाम नहीं होती।
चन्दा के लिए बदनाम है चकोरी,
कली के दिये बदलनाम भंवर टोली।
शीप में ही निखरता है मोती।। जो शय...
नसीम ‘असर‘- मानवता धर्म की बात रखी-
दिल में हर इक शक्स के अरमान होना चाहिए।
आदमी को कम से कम इंसान होना चाहिए।
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