महिलावादी होकर
मुनाफा पीट रहा है मेट्रो
(विस्फोट डॉट काम)
नई दिल्ली (साई)।
दिल्ली मेट्रो कामयाबी के नए आयाम लिख रहा है। इसमें एक आयाम और जुड़ गया है कि
मेट्रो ने जुर्माने से 34 लाख की कमाई की है। जिसमें अकेले महिलाओं के कोच में चढ़ने
वाले मर्दों की जेब से करीब 32 लाख रुपए मेट्रो को मिले हैं। आज से दो साल
पहले 2 अक्तूबर 2010 को मेट्रो प्रशासन
ने महिलाओं के लिए अलग कोच की व्यवस्था की थी। जिसके बाद से अब तक जो लोग महिलाओं
के कोच में चढ़े हैं उनसे मेट्रो ने करीब 32 लाख रुपए की कमाई की है।
अधिकारियों ने
बताया कि केवल अगस्त में ही एक हजार 538 लोग महिलाओं के कोच में पकड़े गए थे। जिनसे 3.8 लाख रुपए मेट्रो
की जेब में गए थे। अधिकारियों ने जानकारी दी की सभी ट्रेनों में पहला डब्बा
महिलाओं के लिए आरक्षित है। इसके लिए प्लेटफार्म पर बाकायदा निशान भी बना है।
लेकिन लोग नियम तोड़ने से बाज ही नहीं आते। उन्होंने बताया कि जब से यह नियम लागू
हुआ है तब से 12 हजार 757 लोगों ने इस नियम
को तोड़ा है। जिनसे जुर्माने के तौर पर 31.89 लाख रुपए मिले हैं। अगर मेट्रो के दूसरे
नियम तोड़ने वाले लोगों की संख्या इसमें जोड़ दे तो यह संख्या 19 हजार 325 तक पहुंच जाती है।
जिनसे करीब 34 लाख रुपए
मेट्रो ने जुर्माने के रूप में मिले।
जब इस नियम को लागू
किया गया था तो जुर्माने के तौर पर 200 रुपए लेने का प्रावधान था। लेकिन नवंबर 2010 से इसे उस समय
बढ़ाकर 250 रुपए कर
दिया जब पुलिस वालों ने देखा की कई लोग केवल महिलाओं के कोच में ही यात्रा करते
हैं। अधिकारियों ने बताया कि फ्लाइंग दस्ते रोजाना इस कोचों में अचानक जांच करते
हैं। जिससे किसी को ज्यादा परेशानी न हो। अधिकारियों ने बताया कि 200 से 500 रुपए तक के
जुर्माने अलग-अलग नियम तोड़ने पर लगाए जाते हैं। जिसमें शामिल है अधिक दूरी तक
यात्रा करना, संचार में
बाधा पहुंचाना, मेट्रो
संपत्ति को नुकसान पहुंचाना आदि।
अधिकारियों के
मुताबिक वीकडेज में रोजना मेट्रो से सफर करनेवाली महिलाओं की संख्या 4.5 लाख के आस-पास है।
जबकि वीकेंड में यह संख्या घटकर 3.25 लाख के आस-पास तक आ जाती है। मेट्रो रोजाना
करीब 2700 चक्कर
लगाती है। वीकडेज में रोज करीब 18 लाख लोग इस मेट्रो में सफर करते हैं।
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