अब चैन से रह
सकेंगे शिवराज!
छापों की कार्यवाही शिवराज के लिए बनी
वरदान!
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
मध्य प्रदेश में आयकर, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की
एक साथ एक सैकड़ा जगहों पर की गई छापेमारी से सनसनी फैली हुई है। ये छापे भाजपा के
करीबियों के यहां मारे गए हैं। इन छापों में छः करोड़ रूपए से ज्यादा की नकद राशि
मिलने की खबर है। इन छापों से जापान प्रवास पर गए शिवराज सिंह चौहान सबसे ज्यादा
सुकून महसूस कर रहे होंगे।
प्राप्त जानकारी के
अनुसार आयकर, सीबीआई और
ईडी की संयुक्त कार्यवाही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी और कथित
पारिवारिक मित्र दिलीप सूर्यवंशी, बीएनएस समूह के संचालक सुधीर शर्मा, भाजपा के प्रवक्ता
ब्रजेश लूनावत, मीडिया
प्रभारी डॉ.हितेष बाजपेयी के आवासों और प्रतिष्ठानों पर की गई है।
भाजपा के
प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा ने मीडिया से चर्चा में इस बात को स्वीकार किया है कि
दिलीप सूर्यवंशी, सुधीर
शर्मा और ब्रजेश लूनावत भाजपा के सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात से
इंकार नहीं है कि ये भाजपाई हैं। सबके अपने अपने व्यवसाय होते हैं और राजनीति के
साथ व्यवसाय करना गलत नहीं है।
वहीं दूसरी ओर
भाजपा के अंदर अब यह बात तेजी से चल रही है कि इस तरह की कार्यवाही अगर की जाती है
और एक दशक पूर्व गरीब एवं आज के अकूत धन संपदा के मालिकों से भाजपा सीना ठोंककर
अपना रिश्ता बताती है तो इससे कांग्रेस के उन आरोपों को बल मिलता है जिसमें भाजपा
को बनियों और पूंजीपतियों की पार्टी बताया जाता है।
भाजपाई कनेक्शन के
साथ महाकौशल के एक कांग्रेसी क्षत्रप की किचिन कैबनेट में शामिल रहे आकृति
बिल्डर्स के संचालक सिवनी निवासी हेमंत सोनी पर यह छापा डलने से आश्चर्य व्यक्त
किया जा रहा है, क्योंकि
श्री सोनी कांग्रेसी मानसिकता के बताए जाते हैं।
1995 के आसपास
सिंचाई विभाग में सिवनी जिले के केलवारी अनुविभाग के अनुविभागीय अधिकारी के पद से
त्यागपत्र देकर आकृति बिल्डर्स का काम आरंभ करने वाले श्री सोनी ने उत्तरोत्तर
प्रगति की है। बताया जाता है कि आज आकृति बिल्डर्स का सालाना कारोबार अरबों खरबों
रूपयों का है।
बहरहाल, भाजपा के नेशनल
हेडक्वार्टर में चल रही चर्चाओं के अनुसार इन छापों से भले ही भाजपा को परेशानी हो
रही हो अनेक भाजपाई नेता असहज महसूस कर रहे हों, पर इससे जापान की
यात्रा पर गए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बेहद सुकून में होंगे। इसका कारण यह
बताया जा रहा है कि जितने भी भाजपाई नेता या उनके करीबी इस छापे से प्रभावित हुए
हैं से सभी परोक्ष तौर पर शिवराज सिंह चौहान के मार्ग में शूल ही बो रहे थे।
बताया जाता है कि
इन छापों में प्रभावित भाजपा के सहयोगी नेताओं द्वारा अपने मीडिया कनेक्शन्स का
लाभ उठाकर शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ विषवमन करवाया जा रहा था। चर्चा तो यहां तक
है कि यह सब कुछ भाजपा के मध्य प्रदेश के एक वरिष्ठ नेता के इशारे पर इसलिए हो रहा
था ताकि शिवराज सिंह चौहान का तख्ता पलटकर वे खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी
पर काबिज हो सकें। भाजपाध्यक्ष प्रभात झा द्वारा मीडिया के सामने इन प्रभावितों को
भाजपाई कहना भी इसी रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है।
माना जा रहा है कि
आयकर, ईडी और
सीबीआई के छापों की कार्यवाही के उपरांत अब भाजपा के शिवराज विरोधी नेता बैकफुट पर
आ जाएंगे। कहा जा रहा है कि मध्य प्रदेश में सत्ता पर संगठन हावी होने का प्रयास
लंबे समय से कर रहा था, इस छापामार कार्यवाही से संगठन भी शांत हो सकता है।
चर्चाओं को सच
मानें तो पिछले सात आठ माह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नगरीय प्रशासन
मंत्री बाबू लाल गौर ने दिल्ली आकर कांग्रेस के अनेक नेताओं से गुफ्तगूं भी की है।
इस अवधि में दोनों ही नेताओं ने कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं को बिल्कुल नहीं कोसा
है, जिसके अनेक
तरह के मायने लगाए जा रहे हैं।
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