प्लस 20 शिखर सम्मेलन आरंभ
(इंटरनेशनल ब्यूरो)
रियो डी जेनेरियो
(साई)। सतत विकास पर रियो प्लस ट्वेंटी शिखर सम्मेलन ब्राजील के रियो डी जेनेरियो
में शुरू हो गया है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने शिखर सम्मेलन का
औपचारिक उद्घाटन किया। उन्होंने चेतावनी दी कि अब वह समय नहीं रहा है जब पर्यावरण
समस्याओं की सूची बढ़ाई जाती रहे।
उन्होंने कहा कि २०
साल पहले पृथ्वी सम्मेलन में टिकाऊ विकास को वैश्विक एजेंडे में रखा गया था। हमने
इस संदर्भ में मौजूद चुनौतयों का सामना करने के लिए सही प्रयास नहीं किये हैं।
सम्मेलन की शुरूआत तीन मिनट की लघु फिल्म से की गयी जिसमें औद्योगिक क्रांति के
बाद पर्यावरण में आए अचानक बदलावों को प्रदर्शित किया गया।
सम्मेलन में
संयुक्त राष्ट्र के १९१ सदस्य भाग ले रहे हैं जिनमें ८६ राष्ट्रपति और
राष्ट्राध्यक्ष शामिल हैं। सम्मेलन को कुल १९१ वक्ता संबोधित करेंगे जिसके बाद ५३
पृष्ठों के दस्तावेज के मसौदे को मंजूरी मिल जाएगी। मसौदे में पर्यावरण के साथ-साथ
प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करने वाली नीतियों के माध्यम से अरबों लोगों को
गरीबी से ऊपर उठाने के उपाय शामिल हैं।
सम्मेलन में हरित
अर्थव्यवस्था और टिकाऊ विकास के लक्ष्यों को प्रोत्साहन देने के प्रस्तावित उपायों
पर गंभीरता से विचार विमर्श किया जाएगा जो वर्ष २०१५ में समाप्त होने वाले संयुक्त
राष्ट्र के सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों का स्थान लेंगे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
सम्मेलन के दूसरे पूर्ण सत्र को संबोधित करेंगे। इस बीच सम्मेलन में ८ बहुउद्देशीय
विकास बैंकों ने घोषणा की है कि वे अगले दशक में सतत परिवहन प्रणाली के लिए १७५
अरब डॉलर की वित्तीय सहायता देंगे।
उधर, केन्द्रीय पर्यावरण
मंत्री जयंती नटराजन ने रियो डी जनेरियो में जारी रियो प्लस ट्वेंटी शिखर सम्मेलन
के प्रस्ताव के मसौदे पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा है ंकि इसमें भारत की सभी
चिंताओं को शामिल किया गया है। मसौदे के घोषणापत्र को अंतिम रूप देने के लिए हुई
वार्ता में भाग लेने के बाद श्रीमती नटराजन ने कहा कि मेजबान देश ब्राजील ने मसौदे
को अंतिम रूप देने में बहुत पारदर्शी और समावेशी प्रक्रिया अपनाई। इस मसौदे को
चौतरफा समर्थन मिला है।
श्रीमती नटराजन ने
कहा कि इस शिखर सम्मेलन में भारत प्रमुख ताकत बनकर उभरा है। भारत के लिए सबसे
महत्वपूर्ण उपलब्धि रही पर्यावरणीय मामलों में एक समान किन्तु अलग-अलग
जिम्मेदारियों वाले सिद्धांत की मूल भावना को बहाल रखना।
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