दादा का स्थान
लेंगे अहमद पटेल
(शरद खरे)
नई दिल्ली (साई)।
कांग्रेस में संकट मोचक की भूमिका अदा करने वाले प्रणव मुखर्जी अब चंद दिनों तक ही
सक्रिय राजनीति कर पाएंगे, क्योंकि अगले कुछ दिनों में दादा देश के महामहिम राष्ट्रपति
के लिए नामांकन दाखिल कर देंगे। अगर वे राष्ट्रपति चुन लिए जाते हैं तो फिर
कांग्रेस को टाटा बाय बाय कहना उनकी मजबूरी होगी, और नहीं चुने जाते
तो अपनी ढलती उमर को देखकर वे राजनीति से सन्यास भी ले सकते हैं।
अब कांग्रेस के
अंदरखाने में कौन बनेगा करोड़पति में पांच करोड़ रूपए का अंतिम सवाल कंप्यूटर
स्क्रीन पर आ चुका है कि अब तक कांग्रेस के संकटमोचक बने प्रणव मुखर्जी के जाने के
बाद आने वाली रिक्तता को कौन भरेगा? कांग्रेस का अगला संकटमोचक कौन बनेगा? कौन बनेगा दादा का
उत्तराधिकारी?
इस सवाल के जवाब
में कांग्रेस के बड़े नेताओं द्वारा संभावित नामों की श्रेणी में राजा दिग्विजय
सिंह, अहमद पटेल, सुरेश पचौरी, राजीव शुक्ला, गुलाम नबी आजाद, सुशील कुमार ंिशदे
आदि का नाम बताया जा रहा है। इनमें से राजा दिग्विजय सिंह के बड़बोले पन के चलते
उनका नाम खारिज हो गया बताया जाता है।
रही बात राजीव
शुक्ला की तो वे अभी जूनियर की श्रेणी में आते हैं। सुरेश पचौरी की उम्मीदवारी
प्रबल है, किन्तु
उनके विरोधियों की संख्या देखकर एसा प्रतीत नहीं होता कि इतनी महत्वपूर्ण जवाबदारी
उनके कांधों पर डाली जाएगी। गुलाम नबी आजाद और सुशील कुमार शिंदे भी इस तस्वीर में
फिट नहीं बैठ पा रहे हैं।
अब नाम बचता है
सोनिया गांधी के राजनैतिक मशविरा देने वाले सलाहकार अहमद पटेल का। अहमद पटेल को
वैसे भी राहुल का अघोषित सलाहकार बना दिया गया है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस
के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ में खासी दखल रखने वाले अहमद पटेल को
ना केवल प्रणव मुखर्जी के लिए रायसीना हिल्स के मार्ग प्रशस्त करने का काम सौंपा
गया है, वरन्
उन्हें उपराष्ट्रपति के लिए भी एकराय बनाने की जिम्मेवारी सौंपी गई है।
10, जनपथ के सूत्रों का कहना है कि अहमद पटेल ने
नितीश कुमार पर भी डोरे डाले हुए हैं। पटेल ने जनता दल यूनाईटेड और भारतीय जनता
पार्टी के बीच चल रही दोस्ती में भी दरार डाल दी है। गौरतलब है कि बिहार गए हर एक
केंद्रीय मंत्री ने पटना से उस समय ही रवानगी डाली है जब वे मुख्यमंत्री नितीश
कुमार के साथ बैठकर चाय पी चुके।
इसके अलावा
कांग्रेस ने नितीश कुमार को आर्थिक मदद भी की है। कांग्रेस ने बिहार की सड़कों के
लिए चार सौ करोड़ रूपए का पैकेज भी मंजूर किया है। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस
अपने संप्रग कुनबे में जदयू के लिए कुर्सी आरक्षित करने की इच्छुक नहीं है पर वह
चाहती है कि राजग के परिदृश्य से जदयू को गायब करवा दिया जाए।
दस जनपथ के
भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि इन सारे समीकरणों के चलते यही माना जा रहा है कि आने
वाले समय में जैसे ही प्रणव मुखर्जी देश के राष्ट्रपति बनकर रायसीना हिल्स चले
जाएंगे वैसे ही अहमद पटेल का कद अपने आप बढ़ जाएगा, और उन्हें केंद्र
में जवाबदारी सौंपने पर भी मंत्रता चल रही है।
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