सराफा बाजार हुआ गुलजार!
(विपिन सिंह राजपूत)
सिवनी (साई)। कैसा आश्चर्यजनक किंतु
सुखदायक समय वर्तमान बाजार में परिलक्षित हो रहा है, परन्तु इस सभी में मध्यम वर्ग की सीमा
तक ही उथल-पुथल है। बाजार भीड़ भरे हो चले हैं, खासकर महिला ग्राहकों के घोर उतावलेपन
के कारण।
जी हां ग्राहकों की यह रेलमपेल और कहीं
नहीं बल्कि सराफा बाजारों में है। जहां एक ओर आलू, प्याज, टमाटर, जैसी रोजमर्रा की सब्जियों के दाम
लगातार उछाल पर हैं, वहीं सभी प्रकार की बाजारी वस्तुओं का राजा माने जाना वाला सोना अपनी
मॅुंहचढ़ी कीमतों को छोड़ नीचे की ओर जा रहा है।
एक तो लग्नसरा की खरीददारी उपर से सोने
का आकर्षण घटी दरों पर सोना खरीदने की सक्षम वर्ग की महिलाओं में होड़ मची है। आलम
यह है कि सराफा बाजार और दुकानों में ग्राहकों की भारी संख्या को देखते हुए पुलिस
प्रशासन ने भी अतिरिक्त पुलिस कर्मी यहां सुरक्षा की दृष्टि से तैनात कर दिए हैं।
आइए देखते हैं कि सोने की कीमतों का
नाटकीय बदलाव जो कि सिवनी सराफा बाजार के आंकड़ों पर आधारित हैं- एक समय सोने की
कीमतें रिकार्ड तोड़ ऊंचाई पर पहंचते हुए 32000 प्रति तोला तक पहंच गई थी जो
अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंदी के चलते इस समय रु.25000 प्रति तोला के स्तर के आस-पास पहुंच गई
है।
सोना आदि काल से ही आकर्षण के साथ-साथ
शक्ति का प्रतीक भी रहा है। जब मुद्रा का चलन नहीं हुआ करता था उस समय सोना ही
वस्तुओें के विनिमय का माध्यम हुआ करता था। सोने के संग्रहण को लेकर विभिन्न
राज्यों में खूनी युद्ध हुआ करते थे। कालांतर में मुद्रा का चलन आरंभ हुआ पर
बावजूद इसके सोने का आकर्षण कम नहीं हुआ बल्कि बाजारों के चलने वाला स्त्रियों का
सर्वाधिक चहेता बन यह तिजारियों में बंद हो गया।
सोने की चमक सभी को सदा से ही आकर्षित
करती है। इसी आकर्षण के कारण लोग अधिक से अधिक सोना खरीदना चाहते हैं। यह चाहत तब
और बढ़ जाती है जब कभी सोने की कीमत में अचानक थोड़ी भी गिरावट आती है। लोग इसे मौका
मान इसका लाभ उठाना चाहते हैं।
आज कल बाजार में यही स्थिति है, सोने की कीमत में कमी आई है। सोने का
आकर्षण तो आकर्षण है भले ही उसके बारे में कुछ भी क्यांे न कहा जाए जैसा आम तौर पर
लोग बाग कहा करते हैं ‘‘चैन से सोना है तो सोने को कहें नो ‘‘। अधिकतर पौराणिक ग्रंथों में भी इसी
बात को कई तरह से कहा गया है कि सोने की खरीददारी से जितनी खुशी नहीं होती उससे
अधिक चिंता बढ़ जाती है। हमेशा यह चिंता सताए रहती है कि सोना कहीं चोरी न हो जाए।
वहीं महान कवि रहीम ने लिखा है ‘‘कनक-कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय। वा
खाए बौराए नर, वा पाए बौराए ..........
शास्त्र, पुराण, ऋषि-मुनि, चाहे जो कहें पर सोना आज भी सर्वोच्च पायदान पर बैठा
हुआ है और स्त्रियों के लिए सौतिया डाह का कारक है। जो भी हो सराफा में आई सोने के
मूल्यों में गिरावट ने खरीददारों को इसकी ओर तेजी से बड़ी संख्या में आकर्षित किया
है। बाजारों की भीड़-भाड़ सोने की भारी लिवाली का संकेत दे रही है।
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