रीढ़ विहीन लोगों से
घिरीं सोनिया
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
कांग्रेस के इतिहास में पहली बार एसा हो रहा होगा जबकि कांग्रेस को समूचा देश पानी
पी पी कर कोस रहा होगा। घपले, घोटाले, भ्रष्टाचार, अनाचार सर चढ़कर बोल
रहा है, पर
कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी और युवराज राहुल गांधी मुंह सिले बैठे हैं।
घोषित तौर पर
सोनिया गांधी को सियासी सोच समझ देने के लिए पाबंद अहमद पटेल भी प्रत्यक्ष तौर पर
चुनाव जीते नहीं हैं। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, कांग्रेस के
कोषाध्यक्ष मोती लाल वोरा, महासचिव राजा दिग्विजय सिंह, केंद्रीय मंत्री
राजीव शुक्ला आदि सभी जनता को फेस कर चुनाव जीते नहीं हैं।
उत्तर प्रदेश सूबा
ही एक एसा राज्य रहा है जहां से कांग्रेस ने देश को सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री दिए
हैं। बावजूद इसके सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद उत्तर प्रदेश की हालत किसी
से छिपी नहीं है। मजे की बात तो यह है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों ही के
संसदीय क्षेत्र भी उत्तर प्रदेश में होने के बाद भी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस
आक्सीजन पर ही है।
सोनिया गांधी का
वरद हस्त मिला है कांग्रेस के महासचिव राजा दिग्विजय सिंह को। अपने दस साल के शासनकाल
में राजा दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस को संगठनात्मक तौर पर इस
स्थिति में ला दिया है कि अब देश के हृदय प्रदेश में कांग्रेस का नामलेवा भी नहीं
बचा है।
मध्य प्रदेश में तो
चर्चा होने लगी है कि प्रदेश और केंद्रीय स्तर के क्षत्रपों का यह प्रयास है कि
उनके क्षेत्रों में उनके अलावा कांग्रेस का कोई सांसद या विधायक ही ना जीत पाए।
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इस
तरह के आरोप अब कांग्रेस की बैठकों में लगने लगे हैं।
इसके उपरांत आता है
कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी को राजनैतिक समझबूझ प्रदान करने वाले
राजनैतिक सचिव अहमद पटेल का। अहमद पटेल मूलतः गुजरात सूबे से हैं। गुजरात में
कांग्रेस सालों से औंधे मुंह गिरी हुई है। कांग्रेस के अंदरखाने में यह बात तेजी
से उठ रही है कि जो अहमद पटेल अपने राज्य में कांग्रेस को नहीं जिला सके वे अहमद
पटेल भला सोनिया गांधी को क्या सलाह दे रहे होंगे कि देश में कांग्रेस को जिंदा
करो?
अहमद पटेल कांग्रेस
के सबसे ताकतवर नेता माने जाते हैं। उनकी जड़ें गुजरात राज्य में बुरी तरह खोखली
हैं। गुजरात में भी कांग्रेस का नामलेवा नहीं बचा है। सोच समझ के धनी अहमद पटेल पर
कुछ साल पहले कांग्रेस के कद्दावर नेता अर्जुन सिंह को साईड लाईन करने का आरोप लगा
था।
हाल ही में गुजरात
के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधानसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस को बड़ा
झटका दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल की करीबी
और गुजरात कांग्रेस की प्रवक्ता आसिफा खान ने अपने ‘हाथ‘ में ‘कमल‘ पकड़ लिया है।
माना जा रहा है कि
आशिफा के बीजेपी में आने मोदी की मुस्लिम विरोधी छवि को भी सुधारने का मौका
मिलेगा। प्रदेश पार्टी नेताओं का कहना है कि नरेंद्र मोदी के विकास को देखकर लोग
बीजेपी के साथ जुड़ रहे हैं। प्रदेश में लोग जाति, धर्म से ऊपर उठकर
विकास को तवज्जो दे रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस आसिफा के बीजेपी में शामिल होने को
ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही है।
आसिफा कांग्रेस की
पुरानी सदस्य हैं और वे अहमद के गृह नगर भरूच की रहने वाली हैं। पेशे से पत्रकार
रहीं आसिफा कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता थीं। उनके भाजपा का दामन थामने से
कांग्रेस को जो झटका लगना है वह तो लगेगा ही साथ ही मोदी का मुस्लिम विरोधी आरोप
काफी हद तक धुल सकता है।
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