मुस्लिम ही अपने
समाज का श्रेय हरवंश सिंह व कमलनाथ को देना चाहते है
(एम.रियाज)
सिवनी (साई)।
हज मामले में अब अल्पसंख्यक समुदाय में कांग्रेस के महाकौशल के दो क्षत्रपों कमल
नाथ और हरवंश सिंह के प्रति नाराजगी जमकर भरती जा रही है। कांग्रेस के केंद्रीय
मंत्री कमल नाथ और एमपी विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर दोनों ही महाकौशल
के क्षत्रप हैं एवं अल्पसंख्यकों को राहत दिलाने के बजाए वे उन्हें उलझाते ही जा
रहे थे।
गौरतलब है कि कमल
नाथ का संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा है जहां से वे 1980 से लगातार चुनाव
जीतते आ रहे हैं। कमल नाथ ने छिंदवाड़ा के नागरिकों की हर जरूरत का ख्याल रखा है, इसी के तहत हज जाने
वाले मुस्लिम भाईयों के लिए एंबारकेशन प्वाईंट को उन्होंने भोपाल से बदलवाकर
छिंदवाड़ा करवा दिया था।
महाकौशल में आने
वाले बालाघाट, सिवनी, मण्डला जिलों से हज
जाने के इच्छुक लोगों ने हरवंश सिंह की अगुआई में कमल नाथ से भेंट कर उनसे गुजारिश
की थी कि इन जिलों का एंबारकेशन प्वाईंट भोपाल के स्थान पर छिंदवाड़ा करवा दिया
जाए। चर्चा है कि कमल नाथ ने इन नेताओं को दो टूक शब्दों में यह कह दिया था कि
आखिर उनके सांसद इस मामले में क्या कर रहे हैं? कमल नाथ का इशारा
बालाघाट के भाजपा सांसद के.डी.देशमुख और मण्डला के कांग्रेस के सांसद बसोरी सिंह
मसराम की ओर था।
सिवनी में कमल नाथ
और हरवंश सिंह के प्रति इस मामले में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
उल्लेखनीय है कि फिजां में पहले यह बात तैर चुकी है कि कमल नाथ के संसदीय क्षेत्र
छिंदवाड़ा को आरक्षित होने से बचाने के लिए हरवंश सिंह द्वारा सिवनी लोकसभा सीट की
बली चढ़ाई गई है। इसके उपरांत हरवंश सिंह और कमल नाथ की जुगल जोड़ी पर स्वर्णिम
चतुर्भुज सड़क परियोजना के अंग उत्तर दक्षिण गलियारे में सिवनी जिले में षणयंत्र
करने के आरोप आम होते रहे हैं।
चर्चा है कि
अल्पसंख्यक मुस्लिम नेता स्वयं के समाज की ही सामाजिक संस्था का सम्मान करने के
बजाये एंबारकेशन पाइंट चेंज होने श्रेय विस उपाध्यक्ष श्री हरवंश सिंह और
केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ को देना चाह रहे हैं जबकि वे अच्छी तरह जानते हैं कि विस
उपाध्यक्ष ने अपने माध्यम से याचिकाकर्ताओं पर इतना दबाव बनाया था कि जब अंत में
उनसे सहन नहीं हुआ तो वे अंडरग्राउंड हो गये थे और सारे तथ्य उजागर हो जाने के बाद
भी लोगों को गुमराह किये जाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है।
विदित हो कि
एंबारकेशन पाइंट परिवर्तन करने की लड़ाई वर्ष 2010 से सिवनी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, मंडला के मुस्लिम
एक साथ लड़ रही हैं किन्तु इस वर्ष जब अकेले छिंदवाड़ा का एंबारकेशन पाइंट चेंज
हो गया और शेष तीनों जिलों का नहीं हुआ तो
सिवनी के मुस्लिमों ने हर स्तर पर जोर लगाया किन्तु जब उनके राजनैतिक आका भी कुछ
नहीं कर सके तो मुस्लिम सामाजिक संस्था अल-फलाह तंजीम की ओर से जबलपुर हाई कोर्ट
में एक याचिका दायर की गयी जिसका लाभ न केवल सिवनी बल्कि बालाघाट और मंडला जिले के
हज यात्रियों को भी मिला।
ऐसा बताया जाता है
कि जब यह याचिका उच्च न्यायालय में लगी तो
याचिकाकर्ता रिजवान खान और तनवीर अहमद पर विस उपाध्यक्ष श्री सिंह ने अपने स्तर से
बहुत दबाव बनवाया जिससे वो याचिका वापस ले लें किन्तु इन याचिकाकर्ताओं ने जब अपने
कुछ सहयोगियों से सलाह ली तो उन्होंने यही कहा कि याचिका लगने के कारण ही
एंबारकेशन पाइंट चेंज रहा है याचिका अगर वापस ली गयी तो पाइंट चेंज नहीं होगा
किन्तु जब याचिकाकर्ताओं पर बहुत अधिक दबाव बनाया गया तो अंततः मजबूर होकर इन्हें
अंडरग्राउंड हो जाना पड़ा।
उक्त सभी बातों को
जानने के बाद भी विस उपाध्यक्ष की बदौलत खड़े हुए मुस्लिम नेताओं ने ही मीडिया को
सेट करना शुरू किया और विज्ञापन में आभार मानकर यह बात जनता के बीच लाने की कोशिश
की गयी कि श्री हरवंश सिंह और कमलनाथ के प्रयास से एंबारकेशन पाइंट परिवर्तित हुआ
है। विज्ञापन में जिन लोगों के नाम है उनमें कुछ हाजी भी है और ये बात कुछ मुस्लिम
लोगों को बड़ी दुखदायी लगी है कि ये हाजी हजयात्रियो के पक्ष में जिसने लड़कर फैसला
लाया है उसके ही विपक्ष में काम कर रहे हैं मात्र अपने राजनैतिक फायदे के लिये।
इसके अलावा नगर में
एक चर्चा भी छेड़ी गयी कि जब 18 तारीख को याचिका दायर की है तो इतनी जल्दी
कैसे इसके परिणाम आ सकते हैं। उच्च न्यायालय की तो बड़ी भारी वर्किंग है वहाँ एक दो
हफ्ते में तो नोटिस भी नहीं मिलता। श्री सिंह को श्रेय दिलाने वालों का ये तर्क
ऐसा था कि इसपर कुछ लोगों ने गौर किया
जबकि वास्तविकता यह है कि उच्च न्यायालय में यह व्यवस्था है कि अगर किसी
याचिका में केन्द्र व राज्य सरकार को पार्टी बनाया जाता है तो याचिका और संबंधित
दस्तावेज पहले ही केन्द्र व राज्य सरकार के सॉलीसीटर के देना होता है और उसकी
पावती पिटीशन में लगानी होती है तब जाकर पिटीशन फाइल होती है और उसकी सुनवाई होती
है।
अतः उक्त नियमों के
पालनार्थ याचिकाकर्ता के एडवोकेट द्वारा याचिका की एक कापी केन्द्र व राज्य सरकार
के वकीलो को दी गयी जिनके माध्यम से ये
बात सेन्ट्रल हज कमेटी और स्टेट हज कमेटी को भी पता चल गयी और इन्होंने 21 तारीख को इसी
संबंध में बैठक ली। इतनी जल्दबाजी दिखाने का कारण यह था कि एंबारकेशन पाइंट चेंज
की लड़ाई गत दो वर्ष से सिवनी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, मंडला ये चारों
जिले मिलकर लड़ रहे थे तो ये कैसे संभव था कि एक जिले का पाइंट चेंज किया जाये और
शेष तीन को छोड़ दिया जाये। फिर सेंट्रल हज कमेटी के अलावा स्टेट गवर्मेंट व स्टेट हज कमेटी भी फँसी
हुई थी कि उसने कैसे एक अकेले छिंदवाड़ा जिले के लिये एनओसी दे दी।
उक्त सब बाते पता
होने के बावजूद भी नगर के कुछ मुस्लिम नेता जिन्हें उनकी ही संस्था अल-फलाह तंजीम
की तारीफ करना चाहिये, का श्रेय श्री सिंह व कमलनाथ को दिलवाना चाहते हैं जिनके कारण
याचिका में अपना नाम देने वालों को अंडरग्राउंड होना पड़ा। इस संबंध में कमल नाथ से
मिलने गए नेताओं के बारे में अल्पसंख्यकों में अच्छी प्रतिक्रिया नहीं कही जा सकती
है।
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