गुटखा खाना व खिलाना एक अप्रैल से
प्रतिबंधित
(सचिन धीमान)
मुजफ्फरनगर (साई)। उत्तर प्रदेश में
आगामी एक अप्रैल से गुटखे पर लगने जा रहे प्रतिबंध के आदेशों के बाद जिला प्रशासन
हरकत में आना शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि जिला प्रशासन एक अप्रैल से पूर्व
ही गुटखे के प्रतिबंध के सरकारी आदेशों को सख्ती से लागू करायेगा। गुटखे के
प्रतिबंध को लेकर इसके खाने के शौकीन जहां परेशान नजर आने लगे हैं वहीं गली
मौहल्लों में खुली पान पनवाड़ियों की दुकानंे की रंगत भी फीकी है क्योंकि अब पान और
सिगरेट से कहीं ज्यादा गुटखा खाने व खिलाने वालांे की संख्या तेज हो गयी है हर गली
चौराहे में आवश्यक गृह उपयोगी सामान मिले या न मिलने लेकिन गुटखा जरूर मिल जाता
है। गुटखे की रोकथाम और इसे सख्ती से लागू कराने के लिए जिला प्रशासन ने पूरा
ब्ल्यू प्रिंट तैयार कर लिया है।
जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह के निर्देशन
में सिटी मजिस्टेªेट व अन्य अधिकारी सभी तहसीलों के एसडीएम इस आदेश का अनुपालन करायेंगे।
उत्तर प्रदेश की सपा सरकार ने पिछले वर्ष ही यह घोषणा कर दी थी कि एक अप्रैल 2013 से उत्तर प्रदेश में गुटखे को पूर्ण
रूप से प्रतिबंधित कर दिया जायेगा। सपा सरकार ने छह सात माह की मौहलत गुटखा
इंडस्ट्रीज को इसलिए दी थी कि गुटखा बनाने में लाखों मजदूर और काम करने वाले लोग
अचानक ही बेरोजगार हो जायेंगे उन्हे कम से कम अपन रोजगार बदलने का समय दिया जाये
और गुटखा इंडस्ट्रीज को भी सही तरीके से इसे बंद करने का पूरा मौका दिया जाये।
मुजफ्फरनगर जनपद में गुटखा खाने व
खिलाने वालो पर अब जिला प्रशासन का डंडा बहुत ही तेजी से पैना हो रहा है। माना जा
रहा है कि शहर और गली मौहल्लों में पनवाडियों की दुकानों पर अगले कुछ दिनों में
आफत आ सकती है। पान मंडी में इसकी थोक की दुकानें भी चपेट में आने जा रही है
उन्हंे एक अप्रैल से पहले ही अपना तमाम स्टाक खत्म कर दुकानों व गोदामों को गुटखा
विहीन करना होगा। उत्तर प्रदेश सरकार से पहले न्यायालय भी इस पर प्रतिबंध करने के
बारे में कह चुका है। उत्तर प्रदेश में यह सबसे बाद में ही प्रतिबंधित हुआ है।
गुटखा इतना खतरनाक है कि इसे खाने वाला व्यक्ति इसके जहरीलेपन का अंदाजा नहीं लगा
सकता। मुंह के कैंसर से लेकर फेफडों व मृत्यु के दरबार में पहुंचाने वाली सभी
बीमारियां इस छोटे से गुटखे से हो जाती है। एक से दो रूपये के बीच बिकने वाला यह
जहरीला गुटखा आज बाजार में कई रोचक नामों से प्रसिद्ध है। गुटखे और खैनी को लेकर
कई बार बहसे भी हुई है। इससे पहले कैंसर का बिच्छू वाला निशान इस पर बनाकर चेतावनी
भी दी गयी थी। जिला प्रशासन ने अब स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि जो भी गुटखा
बेचेगा वह सख्त कार्रवाई की चपेट में आयेगा भले ही उसे जेल क्यों न भेजना पडे़।
माना जा रहा है कि इस प्रतिबंध के बाद गुटखा कुछ दिनों तक ब्लैक में भी बेचा
जायेगा और इसे खाने वालो को कुछ ज्यादा पैसे देकर इसे ब्लैक में लेना होगा।
पान-पनवाड़ियों की दुकाने निशाने पर
मुजफ्फरनगर। जनपद में जिला प्रशासन की
सख्ती के बाद पान पनवाड़ियों की दुकानंे निशाने पर आ जायेगी। अनेक लोगों ने होली से
पूर्व ही गुटखों की और खैनियों की कई कई पेटियां अपने घरों में स्टाक कर ली है।
फिलहाल पान मंडी से भी बड़ी संख्या में गुटखा खाने खिलाने वालांे ने गुटखे ओर
खैनियों की पेटियों को अपने घरों व गोदामों में छिपाकर रख लिया है। जिला प्रशासन
के लिए इस बात की आवश्यकता है कि गुटखे को जब्त करने के लिए वह घरों व पनवाड़ियों
की दुकानों तक भी जाये। सबसे ज्यादा दिक्कत शहर की बजाए छोटे कस्बों व गांवों में
आयेगी क्योंकि जिला प्रशासन के पास इतना स्टाफ नहीं है कि वह गांव-गांव जाकर गुटखे
का स्टाक खत्म करा दे। इससे पहले भी अन्य मामलों में चाहे वह प्रतिबंधित दवाई का
मामला हो या खासी के सिरप का मामला हो स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन इन पर सही
तरीके से लगाम भी नहीं लगा पाया है। गुटखा तो उनके सामने बहुत छोटी चीज है।
0 एक अप्रैल से गुटखे पर प्रतिबंध: एडीएम
अपर जिलाधिकारी प्रशासन मनोज कुमार सिंह
एवं सिटी मजिस्ट्रेट इंद्रमणि त्रिपाठी ने पत्रकार वार्ता में तम्बाकू तथा निकोटिन
से युक्त पान मसााला और गुटखा की बिक्री निर्माण वितरण तथा भंडारण पर उत्तर प्रदेश
राज्य में प्रतिबंध के सम्बन्ध में विस्तार से बताते हुए कहा कि खाद सुरक्षा
आयुक्त एवं औषधि प्रशासन विभाग उत्तर प्रदेश के आदेशानुसार उत्तर प्रदेश में
तम्बाकू तथा निकोटिन से युक्त पान मसाला और गुटखे की बिक्री निर्माण वितरण व
भंडारण पर एक अप्रैल 2013 से प्रतिबंध लगाया गया है। खाद सुरक्षा और मानक
(विक्रय प्रतिषेध और निर्बधन) विनियम, 2011 के विनियम 2.3.4 में वर्णित प्रावधानों के अंतर्गत
उत्पाद में ऐसा कोई पदार्थ नहीं होगा जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, किसी खाद उत्पाद में संघटकों के रूप में
तम्बाकू और निकोटीन का उपयोग नहीं किया जायेगा। इसके उल्लंघन पर छह माह तक की सजा, तीन लाख रूपये तक का जुर्माना व अन्य
दंडों होगा। इसके परिणामस्वरूप कोई क्षति पहुंचने पर कारावास व अन्य दंड होंगे।
जिसके परिणाम स्वरूप अगर मृत्यु होती है तो कारावास की अवधि सात वर्ष से कम की
नहीं होगी किंतु आजीवन कारावास तक ही हो सकेगी और जुर्माना भी दस लाख रूपये से कम
नहीं होगा।
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