ज्यादा लोन को ना डालें बट्टे खाते में:
केंद्र
(शरद)
नई दिल्ली (साई)। वित्त मंत्रालय ने
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से कहा है कि वे एक सीमा तक ही ऋण राशि को बट्टे खाते
में डालें। मंत्रालय ने २०११-१२ तक समाप्त हुए छह वर्षों के दौरान ऋणों की वसूली
के ब्यौरे भी मांगे हैं। इसका उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की वित्तीय
स्थिति को सुधारना है। बैंक जिन ऋणों की वसूली नहीं कर पाते, उन्हें बट्टे खाते में डाल देते हैं।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार
एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मंत्रालय ने बैंकों से यह सुनिश्चित करने को भी कहा
है कि किसी वर्ष के दौरान वसूल की गई राशि की तुलना में बट्टेखाते में डाले गए ऋण
अधिक नहीं होने चाहिएं। वित्त मंत्रालय ने इस सिलसिले में सार्वजनिक क्षेत्र के सभी
बैंक प्रमुखों को हाल में एक पत्र लिखा है जिसमें कहा गया है कि यदि किसी वर्ष में
बैंकों द्वारा वसूल किए गए ऋण के मुकाबले बट्टे खाते में डाली गई राशि अधिक हो तो
मंत्रालय को इसके कारणों की जानकारी उपलब्ध कराई जाए। वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने
इस महीने के शुरू में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों के साथ एक समीक्षा बैठक
में वसूल न हो सकने वाले कर्जों के बढ़ते जाने पर चिंता व्यक्त की थी।
वहीं सूत्रों नें साई न्यूज को बताया कि
सरकार ने फरवरी में सेवा कर के रूप में दस हजार ४५३ करोड़ रूपए की वसूली की है।
वसूली में इस वृद्धि से पता चलता है कि सेवा कर से बचने वालों को सरकार ने जो
चेतावनी दी थी, उसके अच्छे परिणाम सामने आने लगे हैं। यह जानकारी देते हुए वित्त
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सेवा कर के रूप में जनवरी में जितनी
राशि वसूली की गई थी उसके मुकाबले फरवरी में वसूल की गई राशि ४४ प्रतिशत अधिक है।
राजस्व विभाग ने जनवरी में सेवा कर के तहत केवल सात हजार २५५ करोड़ रूपए इकट्ठे किए
थे।
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