ये है दिल्ली मेरी जान
(लिमटी खरे)
राजा ने दिया आशीवाद, ``खुश रहें, टुल्ली होकर पड़े रहें``
(लिमटी खरे)
राजा ने दिया आशीवाद, ``खुश रहें, टुल्ली होकर पड़े रहें``
कांग्रेस के सबसे शक्तिशाली महासचिव एवं मध्य प्रदेश में लगातार दस साल तक निष्कंटक राज करने वाले राजा दिग्विजय सिंह की फितरत वैसे तो विवादों से दूर रहने की है, किन्तु अनजाने ही में मध्य प्रदेश मे एक पब के उद्घाटन पर आशीZवचन बोलकर बुरी तरह विवादित हो गए। दरअसल राजा दिग्विजय सिंह अपने एक गण के मध्य प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी इंदौर में शराब खाने का उद्घाटन करने पहुंचे थे। उधर केंद्र सरकार और कांग्रेस अपने संगी साथियों को सादगी ओढ़ने की नसीहत दे रही है, वहीं दूसरी ओर राजा जी पब का उद्घाटन कर रहे हैं। सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह रही कि दिग्गी राजा ने वहां बेसख्ता एक टिप्पणी कर डाली, ``लोग खुश रहें, पीकर पड़े रहें, आपका भंडार भरा रहे``। इशारों इशारों में बात करने के मशहूर दिग्विजय सिंह की इस बात के निहितार्थ आज भी सभी खोजने में लगे हुए हैं।
सिंगापुर में सत्य की खोज
आदि अनादिकाल से यह मशहूर रहा है कि लोग सत्य की खोज के लिए हिमालय अथवा एकांत जंगलों को चुना जाता रहा है। समाजवादी पार्टी के महासचिव अमर सिंह हाल ही में विलासिता के लिए मशहूर सिंगापुर से अमर ज्ञान लेकर लौटे हैं। अमर सिंह ने लोटते ही कहा कि सिंगापुर में उन्हें सत्य का ज्ञान हो गया है। वैसे भी चकाचौंध भरा सिंगापुर आम भारतियों के लिए रंग रंगेलियों के लिए खासा विख्यात और कुख्यात है। सियासी गलियारों में इस बात के मायने खोजे जा रहे हैं कि आखिर सपा महासचिव अमर सिंह सिंगापुर जैसे विलासिता से परिपूर्ण शहर से कौन सा सत्य खोजकर वापस आए हैं
मनमोहन के निशाने पर हैं ममता, जोशी, थुरूर और आजाद
देश के वजीरे आला अपनी दूसरी पारी में कुछ ज्यादा ही कांफिडेंट नजर आ रहे हैं। इस बार वे अपने मंत्रीमण्डल के सहयोगियों पर नकेल कसने को कुछ ज्यादा ही आतुर दिखाई दे रहे हैं। सूत्रों की मानें तो उनकी नजरें सबसे पहले रेल मंत्री ममता बनर्जी, ग्रामीण विकास मंत्री सी.पी.जोशी, स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नवी आजाद और विदेश राज्य मंत्री शशि थुरूर पर हैं। सौ दिनी कामकाज की रिपोर्ट भले ही सार्वजनिक न की गई हो किन्तु प्रधानमंत्री ने इस पर गहन मनन आरंभ कर दिया है। पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि पीएम चार मंत्रियों के परफारमेंस से नाखुश दिख रहे हैं। जल्द ही इन चारों मंत्रियों के पर कतरे जा सकते हैं। एक ओर जहां थुरूर को सोनिया का तो जोशी को राहुल का वरद हस्त प्राप्त है। आजाद अल्प संख्यक हैं तो ममता संप्रग की प्रमुख घटक हैं। पीएम पशोपेश में हैं कि वे इनके खिलाफ कार्यवाही के लिए राजमाता सोनिया गांधी और युवराज राहुल गांधी को तैयार कैसे करें। सुना है पीएम ने कांग्रेस के इन दोनों ही खलीफों को सिद्ध करने के लिए इनके नांदियों, दिग्विजय सिंह, अहमद पटेल और विसेंट जार्ज को साधना आरंभ कर दिया है। अब देखना है कि प्रधानमंत्री अपने मकसद में कितना कामयाब हो पाते हैं।
काक और वृक्षों की कमी ने श्राद्धालु परेशान
कांक्रीट जंगलों में तब्दील होते हिन्दुस्तान के शहरों में पेड़ों की कमी साफ तौर पर परिलक्षित होने लगी है। दिखावे के लिए सभी पर्यावरण पे्रमी होने का दावा करते हैं किन्तु जहां अमली जामा पहनाने की बात आती है तो सभी पल्ला झाड़कर दूर खड़े दिखाई देते हैं। अभी हाल ही में करए दिन (पितृ पक्ष) का महीना बीता। इस पावन माह में पितरों का तर्पण करने के दौरान कौओं को भोजन कराने से माना जाता है कि पितरों की आत्मा तृप्त हो जाती है। पेड़ों की सेवा का अलग ही महत्व होता है, इसके साथ ही साथ पेड़ों पर ही इन पक्षियों का वास भी होता है। कमोबेश हर शहर में लोग कौओ और पेड़ों की कमी से दो चार हुए हैं। राजधानी दिल्ली में भी एक मर्तबा मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा था कि अब शहर में गोरैया दिखाई नहीं पड़ती। सच ही है उंची उंची इमारतों के बीच बसे शहर में गोरैया, कौए एवं अन्य पक्षियों का कलरव सुनाई नहीं पड़ता है। आधुनिकता की दौड़ में बढ़ती आबाद ही इनकी सबसे बड़ी दुश्मन के तौर पर सामने आ रही है।
शिवराज ने कसी ब्यूरोक्रेसी की लगाम
जब केंद्र सरकार मितव्ययता के ``अनूठे`` उदहारण पेश कर रही हो तो भला मध्य प्रदेश सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान उससे दूर कैसे रह सकते हैं। मध्य प्रदेश में भी फिजूलखर्ची रोकने की गरज से फर्नीचर, बंग्लों की साजसज्जा, वाहनों पर होने वाला बिना काम का व्यय आदि पर अंकुश लगाया जाएगा। सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान ने राज्य में सरकारी धन के अपव्यय पर रोक लगाने के लिए ``सीएम मानिट सिस्टम`` के नाम से निगरानी तंत्र बनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री खुद इसकी समीक्षा करेंगे, सी एम के इस कदम से ब्यूरोक्रेसी सकते में हैं। अधिकारियों की ``मेम साहबों`` के तेवर मुख्यमंत्री की इस कवायद से तीखे ही नजर आ रहे हैं। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री अपनी व्यस्त प्रशासनिक और राजनैतिक दिनचर्या की मजबूरियों से जनता के पैसे के दुरूपयोग रोकने के लिए अलग से समय कैसे निकाल सकेंगे। वैसे भी शिवराज सिंह चौहान के चाहने वालों की कमी नहीं है, संघ और भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों के बीच उनकी स्थिति बत्तीस दांतों के बीच में जीभ की ही है।
मैं तो पी के टुल्ली हो गया रे . . .
अमूमन देश के अस्सी फीसदी लोग इस वक्त नशे की गिरफ्त में हैं, भले ही वह मदिरा का सुरूर हो या किसी अन्य नशे का जलाल हो युवा वर्ग इसकी जद में तेजी से आ रहा है। चूंकि आबकारी विभाग से प्राप्त होने वाला राजस्व राज्यों के खजाने को भरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, अत: गुजरात जैसे राज्यों को छोड़कर कोई भी इसे हाथ लगाने से गुरेज ही करता है। हिमाचल प्रदेश में एक मजेदार वाक्या सामने आया। मंत्रीमण्डल की एक बैठक (केबनेट) में प्रदेश सरकार के एक मंत्री नशे में पूरी तरह टुल्ली होकर पहुंच गए। बैठक में जब मंत्री महोदय असहज नजर आए तो मुख्यमंत्री ने हस्ताक्षेप कर उन्हें बैठक से बाहर भिजवाया। मामला हाई प्रोफाईल मंत्री का था, सो वहीं के वहीं इसका पटाक्षेप कर दिया गया। कहा जाता है इश्क और मुश्क छुपाए नहीं छिपते, इसी तर्ज पर यह मामला भी उनके राजनैतिक चाहने वाले अन्य मंत्रियों और अधिकारियों के रास्ते से होकर राजनैतिक फिजां में तैरने लगा है।
मंत्री के दौरे से पीआईबी को परहेज
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री जयराम रमेश पिछले दिनों मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल दौरे पर थे। केंद्रीय मंत्रियों के कार्यक्रमों की मीडिया कवरेज आदि की जवाबदेही वैसे तो सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधीन काम करने वाले कार्यालय प्रेस इंर्फमेशन ब्यूरो (पीआईबी) की होती है, किन्तु इस बार एसा देखने को नहीं मिला। मंत्री को मीडिया से रूबरू करवाने का काम वन विभाग के मातहत करते दिखे। पीआईबी भोपाल के कार्यालय में चल रही बयार के अनुसार हम क्यों मगज मारी करें। दिल्ली के प्रेस वालों की गरज होगी तो वे आएंगे। बताते हैं कि इंफरमेशन एण्ड ब्राडकास्टिंग मिनिस्ट्री के अंतर्गत कार्यरत पीआईबी, दूरदर्शन और आकाशवाणी तीनों ही संस्थाओं का प्रभार एक बड़बोले अधिकारी के पास होने से यह हादसा हुआ। कहा जा रहा है कि आई एण्ड बी मिनिस्ट्री में गहरी दखल रखने वाले उक्त अधिकारी के हौसले इतने बुलंद हैं कि पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान केंद्र में कंाग्रेसनीत संप्रग सरकार होने के बावजूद भी उन्होंने कांग्रेस को मिनिमम कवरेज ही प्रदान कर भाजपा की शान में कशीदे गढ़े हैं।
जालसाजी में पत्रकार को जेल
न्यूज पोर्टल में कार्यरत एक पत्रकार को जालसाजी के आरोप में जेल की हवा खानी पड़ी। बताया जाता है कि उक्त पत्रकार ने चंडीगढ़ पुलिस को फर्जी फेक्स संदेश भेजकर अपने लिए जेड स्तर की सिक्यूरिटी मांगी थी। मामले की सूचना मिलते ही दिल्ली पुलिस हरकत में आई और उसने फोन के डिटेल निकलवाकर यह साबित करने का प्रयास किया कि जिस फोन का उपयोग फेक्स के लिए किया गया था वह उक्त पत्रकार के नाम पर ही है। दिल्ली पुलिस ने उस पत्रकार के खिलाफ कार्यवाही कर पत्र सूचना कार्यालय से इसकी मान्यता भी रद्द करने का आग्रह किया है। मीडिया से जुड़े लोगों द्वारा तरह तरह के हथकंडो से चर्चित होने का प्रयास किया जाता है, किन्तु इस तरह की धोखाधड़ी से निश्चित तौर पर मीडिया की छवि पर गहरा धक्का लगे बिना नहीं रहेगा।
विधायक ने उगले 12 करोड़ रूपए
झारखण्ड के झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के गिरीडीह के विधायक मुन्ना लाल ने आयकर विभाग के सामने 12 करोड़ रूपयों की अवैध अघोषित संपत्ति स्वीकार कर सभी को चौंका दिया हैं अब सियासी गलियारों के साथ ही साथ देश भर में इस बात पर बहस छिड गई है कि एक विधायक आखिर पांच सालों में कितना धन एकत्र कर सकता है। विधायक के पास से 50 लाख रूपए नकद, 50 लाख रूपयों के जेवरात, 200 एकड़ जमीन, दर्जनों बैंक एकाउंट, लाकर, एवं आवासों के कागजात मिले हैं। पैसे के बल पर राजनीति कर राजनीति के बल पर रूपया जमा करना दबंगों का प्यारा शगल रहा है। आज देश में नब्बे फीसदी से अधिक उद्योगपति राजनीति में उतरकर अपनी साख और धन संपदा को कई गुना बढ़ाने में लगे हुए हैं। लोगों को डर सता रहा है कि कहीं इस तरह के उद्योगपति राजनेता कल देश को गिरवी न रख दें।
पटेल के गढ़ में बिसेन की सेंध
कहते हैं इतिहास अपने आप को दोहराता है। कुछ सालों पूर्व मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के युवा राजनेता प्रहलाद सिंह पटेल ने बरास्ता सिवनी संसदीय क्षेत्र, बालाघाट जाकर वहां अपना वर्चस्व स्थापित किया था। बालाघाट के वरिष्ठ राजनेता गौरी शंकर बिसेन को यह बात नागवार गुजरी कि उनकी मांद में आकर कोई अपना वर्चस्व इस तरह स्थापित करे। इसके बाद पटेल और बिसेन के बीच शीत युद्ध आरंभ हो गया था। भारतीय जनशक्ति पार्टी के आधार स्तंभ रहे प्रहलाद सिंह पटेल के भाजपा में वापसी के मार्ग में भी मध्य प्रदेश सरकार के सहकारित मंत्री बिसेन ने शूल बोए थे। हाल ही में संपन्न हुए तेंदूखेड़ा उपचुनाव में गोरी शंकर बिसेन ने प्रहलाद सिंह पटेल के गढ़ में सेंध लगाकर अपना बदला ले लिया है। नरसिंहपुर जिले के तेंदूखेड़ा में भाजपा ने परचम लहराया, जबकि पूर्व में यह सीट कांग्रेस के वर्चस्व वाली थी। तेंदूखेड़ा उपचुनाव के प्रभारी बिसेन ने यह तक कह दिया था कि अगर तेंदूखेडा से भाजपा हारती है तो वे मंत्रीमण्डल से त्यागपत्र दे देंगे।
सादगी बनी मजाक
भले ही कांग्रेस सुप्रीमो श्रीमति सोनिया गांधी सादगी के प्रहसन के लिए हवाई जहाज की इकानामी क्लास में दस सीटें बुक कराकर और उनके पुत्र तथा कांग्रेस की नजरों में भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी शताब्दी एक्सप्रेस की बोगी को रिजर्व कराने का जतन कर रहे हों पर उनकी ही पार्टी क आलम्बरदार इसमें सेंध लगाने से नहीं चूक रहे हैं। लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हुईं शीला दीक्षित सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ के जलवे ही कुछ अलग हैं। तीरथ चाहतीं हैं कि उनके मंत्रालय में एक सलाहकार की नियुक्ति की जाए वह भी 18 लाख रूपए सालाना की दर से। डेढ लाख रूपए महीना तनख्वाह पाने वाला सलाहकार भला एसा कौन सा काम कर सकेगा जो अस्सी हजार रूपए महीना पाने वाला विभागीय सचिव नहीं कर पाएगा। सच ही है सादगी का दिखावा करना अलग बात है और उसे अपने जीवन में अंगीकार करना एकदम जुदा बात है।
मंदिर मिस्जद बैर कराते, मेल कराते जेल
आज अगर सदी के सुपर स्टार अमिताभ बच्चन के पिता जीवित होते तो वे अपनी अनुपन कृति मधुशाला में एक अंश और जोड़ देते कि मंदिर मिस्जद बैर कराते, मेल कराते कारागार। जी हां दिल्ली में एसा ही कुछ देखने सुनने को मिल रहा है। मुस्लिम समुदाय के पाक रमजान माह में देश के सबसे बड़े तिहाड़ जेल में सौ से भी अधिक सनातन पंथी (हिन्दु धर्मावलंबी) कैदियों ने रोजा रखकर एक मिसाल कायम की। इतना ही नहीं मुस्लिम समुदाय को मानने वाले डेढ सौ से भी अधिक मुसलमान कैदियों ने नवरात्र के पहले दिन उपवास रखकर भाईचारे और सांप्रदायिक सौहाद्र की अनूठी मिसाल पेश की है। सच ही कहा गया है कि मजबह नहीं सिखाता आपस में बैर करना। वो तो सियासी दल हैं जो अपने निहित स्वार्थों के चलते अलग अलग धर्मों को मानने वाले लोगों के बीच दीवारें खड़ी करते जा रहे हैं।
क्या डीजीसीए का खौफ लाईन पर ला सकेगा नेताओं को
तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। दशहरे के उपरांत चुनाव प्रचार जोर पकड़ेगा, और उसके बाद हेलीकाप्टर (चौपर) की मांग तेजी से बढ़ जाएगी। सुरक्षा नियमों को ध्यान में रखकर उड्डयन विभाग के अधिकारियों ने पायलट्स की एक विशेष बैठक बुलाकर ताकीद किया है कि वे चौपर में बैठे यात्रियों (नेताओं) की इच्छा के मुताबिक नहीं वरन सुरक्षा नियमों के हिसाब से उड़ान भरें। संचालक नागर विमानन (डीजीसीए) ने दिशा निर्देश जारी कर नेताओं को सचेत करते हुए कहा है कि अगर उन्हें हेलीकाप्टर में उड़ान भरनी है तो वे पायलट की बातों को दरकिनार न करें। अमूमन नेताओं द्वारा कार्यकर्ताओं को खुश करने की गरज से क्षमता से अधिक लोगों की सवारी गांठने, सूरज ढलने के बाद कम उंचाई पर उड़ान भरवाने ताकि वे अपने गंतव्य को बेहतर तरीके से देख सकें आदि कदम उठाए जाते हैं। चुनाव में साम, दाम दण्ड भेद की नीति अपनाई जाती है, फिर भला ये नेता डीजीसीए या उड्डयन विभाग की परवाह क्यों करने चले।
एक छत के नीचे रह सकेंगे सांसद
बहुत पुरानी कहानी है कि देश से जब मेंढकों को निर्यात किया जाता था तो वे खुले वेगन में ही भेजे जाते थे, और जितनी संख्या में भेजे जाते थे, उतनी ही संख्या में गंतव्य तक पहुंचते थे। जब इसका कारण पता किया गया तो पता चला कि जब कोई मेंढ़क बाहर निकलने के लिए छलांग लगाता था तो दूसरा मेंढक बिना जतन किए ही बाहर जाने की गरज से उसका पैर पकड़ लेता था, फिर तीसरा दूसरे का। यह क्रम अनवरत तब तक चलता जब तक कि पहला मेंढ़क थककर वापस वेगन में न गिर जाए। अब दिल्ली में सांसदों को एक ही छत के नीचे बहुमंजिला फ्लेट में एक साथ निवास करवाने की तैयारियां की जा रही है। लालफीताशाही और सांसदों की अनिच्छा के चलते दिल्ली में विशम्बर दास मार्ग पर प्रस्तावित बहुमंजिला सांसद आवास के निर्माण में देरी के लिए अब प्रधानमंत्री से हस्ताक्षेप की गुहार लगाई जा रही है। यहां 52 आवास प्रस्तावित हैं, मुश्किल यह है कि जहां ये बनने हैं वहां वित्त राज्य मंत्री एस.एस.पालनिमणिकम निवासरत हैं। अब बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधकर उनसे आवास खाली करवाए।
पुच्छल तारा
केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री शशि थुरूर एक के बाद एक बयानों से विवादों में फंसते जा रहे हैं। पहले सादगी दर्शन में कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी की इकानामी क्लास में देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली से व्यवसायिक राजधानी मुंबई तक की गई इकानामी क्लास में यात्रा के तुरंत बाद हवाई जहाज की इकानामी क्लास को मवेशी क्लास की संज्ञा से वे मीडिया की सुर्खियों में रहे, फिर कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी के द्वारा नसीहत देने के चलते। अब उन्होंने काम और बैठकों के बोझ के मामले को अपने टि्वटर फ्रेंडस के बीच शेयर किया है। लोग अब कहने ही लगे हैं कि बेहतर होगा कि प्रधानमंत्री डॉ. एम.एम.सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी थुरूर के बोझ को कम करके एक नया मंत्रालय बनाएं जिसका नाम हो सायबर मंत्रालय, और नेट में विशेषकर टि्वटर प्रेमी शशि थुरूर को इस मंत्रालय का कबीना मंत्री बनाकर उपकृत कर दें, इससे थुरूर की इंटरनेट क्षुदा भी शांत होगी और देश को सायबर सेल का एक मंत्री भी मिल जाएगा।
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