मंगलवार, 6 अक्तूबर 2009

मुंबई में हाशिए पर आ रहे हैं गुजराती

मुंबई में हाशिए पर आ रहे हैं गुजराती
40 लाख में से महज दो को मिला है टिकिट


राज के खौफ से भयभीत हैं राजनैतिक दल


(लिमटी खरे)


नई दिल्ली। कहा जाता रहा है कि देश की आर्थिक राजधानी मुंबई को गुजराती और पारसियों ने तो राजनैतिक राजधानी दिल्ली को पंजाबियों ने अपने हिसाब से चलाया है, किन्तु महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) सुप्रीमो राज ठाकरे से खौफजदा होकर राजनैतिक दलों ने अब मुंबई में 40 लाख गुजरातियों को हाशिए में ढकेलना आरंभ कर दिया है।


मराठी और उत्तर भारतियों की लड़ाई के सूत्रधार मनसे चीफ राज ठाकरे के घ्रणा फैलाने के अभियान का असर ही कहा जाएगा कि मराठी वोट बैंक के हाथ से फिसलने के डर से राजनैतिक दलों ने भी परोक्ष तोर पर राज ठाकरे के अभियान को समर्थन दे दिया है।


गौरतलब होगा मुंबई में गुजराती परिवारों की तादाद बहुतायत में है। यहां लगभग चालीस लाख गुजराती निवास करते हैं, जो मुंबई की रीढ़ कहलाते हैं। बावजूद इसके भाजपा और कांग्रेस ने एक एक प्रत्याशी को अपना उम्मीदवार बनाया जाना आश्चर्यजनक है। शेष राजनैतिक दल इस मामले में मौन ही साधे हुए हैं।


मराठियों को संरक्षण देने के नाम पर राजनीति करने वाले राज ठाकरे पिछले कुछ दिनों से उत्तर भारतीयों के खिलाफ जहर उगलते आए हैं। यही कारण है कि शेष राजनैतिक दलों की मजबूरी उत्तर भारतीय वोट बैंक को सहेजने की हो गई है। यही कारण है कि भाजपा ने मुंबई में चार उत्तर भारतियों को उम्मीदवार बनाया है।


मराठी और उत्तर भारतीयों की लड़ाई में सबसे ज्यादा घाटे में रहने वाले गुजरातियों ने अब अपने आप को लामबंद करना आरंभ कर दिया है। आने वाले समय में गुज्जियों (गुजरातियों के लिए मुंबई में सर्वाधिक प्रचलित शब्द) के कोप का भाजन कांंग्रेस और भाजपा दोनों ही को होना पड़ सकता है।


राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले समय में गुजराती और मारवाणी संप्रदाय मिलकर कांग्रेस और भाजपा पर दबाव की राजनीति कर सकते हैं। वैसे भी अब तक गुजराती समुदाय ने सदा से ही भारतीय जनता पार्टी का साथ दिया है, किन्तु इस बार महज एक टिकिट मिलने से वे भी बुरी तरह खफा ही नजर आ रहे हैं।


एक वरिष्ठ भाजपाई नेता ने नाम न उजागर न करने की शर्त पर कहा कि मुंबई सहित समूचे सूबे में ठाकरे बंधुओं (राज और बाल ठाकरे) की सुलगाई गई घ्रणा की आग में राजनैतिक दल झुलसने लगे हैं। देशहित की बात करने वाली भाजपा द्वारा भी ठाकरे ब्रदर्स का परोक्ष तौर पर अनुसरण करना आश्चर्यजनक बात है।




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