क्या वाकई साल भर बाद नए स्वरूप में हो सकेगी दिल्ली
(लिमटी खरे)
राष्ट्रमण्डल खेलों की उलटी गिनती आरंभ हो चुकी है। एक साल बाद दिल्ली को विदेशी मेहमानों के स्वागत के लिए सजधज कर तैयार होना है। 3 अक्टूबर 2010 से दस दिवसीय कामन वेल्थ गेम्स का आयोजन प्रस्तावित है। सूबे की निजाम शीला दीक्षित ने कुछ दिनों पूर्व नर्वसनेस बताकर सभी के हाथ पांव फुला दिए थे।
दिल्ली के बारे में जो सब्जबाग दिखाए जा रहे हैं, उसमें वर्तमान में दिल्ली में लगभग छ: सैकड़ा फ्लाई ओवर हैं, जिन पर जब तब जाम की स्थिति निर्मित हो जाती है। लोक निर्माण विभाग के प्रस्तावित और निर्माणाधीन 24 तथा एमसीडी के 17 को मिलाकर आने वाले समय में इनकी तादाद सैकड़ा पार कर सकती है।
एक जमाने मे दिल्ली की लाईफ लाईन के नाम से मशहूर यहां की डीटीसी बसें बुरी तरह कराह रहीं हैं। कामन वेल्थ गेम्स को देखकर यहां लो फ्लोर बस सड़कों का सीना रौंद रहीं हैं। वर्तमान में डीटीसी के पास कुल 3650 यात्री बस हैं। 2010 तक इस बेड़े में 2500 और बस जुड़ जाएंगी जिनमें वातानुकूलित बसों की तादाद 1025 होने की उम्मीद जताई जा रही है।
बसों को तो सड़कों पर उतरने की कवायद की जा रही है पर डीटीसी के डिपो का अता पता तक नहीं है। रोहणी के डिपो का काम अभी आरंभ ही नहीं हो सका है तो नरेला, कंझावाल 1 और दो का काम 10 फीसदी, ओखला 3 का 25 फीसदी, द्वारका सेक्टर 8 का 35 तो द्वारका सेक्टर 2 का काम 40 प्रतिशत ही पूरा हो सका है। डीटीसी बसों के रखखाव के लिए चार नए डिपो प्रस्ताति हैं। लालफीताशाही बाबूगिरी और बिगडेल अफसरशाही के बीच इनका काम समय से पूरा होने में संशय ही लगता है।
वर्तमान में लाईफ लाईन बन चुकी मेट्रो रेल में आए दिन कोई न कोई दुघZटना का घटना अशुभ संकेत से कम नहीं है। यलो लाईन, रेड लाईन और ब्लू लाईन के नाम से तीन मार्गों पर वर्तमान में मेट्रो रेल लगभग 75 किलोमीटर में लगभग साढ़े आठ लाख यात्री सफर तय कर रहे है। आने वाले दिनों में इसकी लंबाई बढ़कर 189 किलोमीटर हो सकती है, तब अनुमानित बीस लाख यात्री रोजाना इसमें सफर कर सकेंगे।
जमरूदपुर, लक्ष्मीनगर, नेहरू प्लेस के बाद शनिवार को सेंट्रल सेक्रेटरीएट से गुड़गांव मार्ग पर हुआ हादसा रोंगटे खड़े करने के लिए काफी है। जमरूदपुर हादसे के उपरांत डीएमआरसी प्रमुख श्रीधरन ने अपना त्यागपत्र दे दिया था। यद्यपि कामन वेल्थ गेम्स की तैयारियों को देखकर दिल्ली सरकार ने उनका त्यागपत्र स्वीकार नहीं किया था, तथापि मेट्रो लाईन के निर्माण में कोताही निरंतर जारी है।
मेट्रो निर्माण कर रही गेमन इंडिया लिमिटेड को काली सूची में डाल दिया है। यह एक कदम हो सकता है, पर इससे समाधान नहीं किया जा सकता है। दरअसल मेट्रो लाईन बिछाने, खंबे खड़े करने तथा उन्हें आपस में जोड़ने के लिए पाबंद की गई एजेंसीज को ही मेट्रो रेल निर्माण का अनुभव ही नहीं है। बड़ी कंपनियों ने ठेका लेकर इसे पेटी पर छोटे ठेकेदारों को दे दिया है, जिसकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है।
दिल्ली में आने वालों की बड़ी तादाद रेल मार्ग से ही होती है। कमोबेश हर ओर से आने वाले विशेषकर मथुरा के रास्ते दिल्ली में प्रवेश करने वाली रेलगाडियां अक्सर ही नियत समय से विलंब से दिल्ली पहुंचती हैं। इसका सबसे बड़ा कारण दिल्ली को मध्य, दक्षिण, मध्य पूर्व और मध्य पश्चिम से आने वाली रेल गाडियों का गेट वे मथुरा का होना है। यही कारण है कि सीमित प्लेटफार्म और रेल की पांते होने से यातायात का दबाव अधिक रहता है, परिणामस्वरूप रेल गाडियां विलंब से पहुंचती हैं।
वर्तमान में दिल्ली में सराय रोहिला, सब्जी मण्डी, लाजपत नगर, आदि सहित अनेक रेल्वे स्टेशन हैं। इनमें से नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली और हजरत निजामुद्दीन का उपयोग सर्वाधिक होता है। आने वाले समय में आनन्द विहार रेल्वे स्टेशन के आरंभ होने से यातायात का दबाव कुछ हद तक कम होने की उम्मीद है।
दो टर्मिनल वाले इंदिरा गांधी हवाई अड्डे में वर्तमान में लगभग बीस लाख यात्री प्रति माह आवागमन करते हैं। 31 मार्च 2010 तक इसका तीसरा टर्मिनल भी आरंभ होने की उम्मीद है। सरकारी सूत्रों की मानें तो आने वाले साल में इसकी क्षमता बढ़कर 50 लाख यात्री प्रतिमाह होने का अनुमान है।
राजधानी से सटे नोएडा, गुड़गांव, फरीदाबाद, गाजियाबाद आदि को भी आधुनिक बनाने की कवायद चल रही है। राजधानी का हृदयस्थल कनाट प्लेस को सुंदर बनाने का काम भी युद्ध स्तर पर जारी है। रही बात स्टेडियम और खिलाडियों के रहने की जगह की तो उस मामले में काम कच्छप गति से ही संचालित हो रहा है। खेलों के लिए दिल्ली में 11 स्टेडियम प्रस्तावित हैं।
राजधानी के नेहरू सटेडियम का काम 53 फीसदी, इंदिरा गांधी स्टेडियम का 36 फीसदी, एसपी मुखर्जी 42, कणीZ सिंह 42, एमसीडी 75, सिरीफोर्ट 46, बिगबोर 40, दिल्ली विश्वविद्यालय एवं तालकटोरा का 35 फीसदी, यमुना स्पोर्टस काम्पलेक्स का महज 7 प्रतिशत काम ही पूरा हुआ है। विभागों के बीच तालमेल और सामंजस्य का अभाव इनके कार्य संपादन में प्रमुख चुनौति के तौर पर सामने आया है।
राजधानी की सबसे बड़ी समस्या यहां के बिगड़ेल आटो और टेक्सी चालक हैं, जिन पर लगाम लगाना शायद प्रशासन के बूते के बाहर की ही बात नजर आ रही है। शहर की सीवर लाईन समस्या के चलते गंदा और बदबूदार पानी सड़कों पर बहता रहता पर इस ओर न तो शीला सरकार का ध्यान है, और न ही नगर पालिका निगम का।
किसी भी दिशा से जैसे ही दिल्ली की सीमा में प्रवेश किया जाता है, वैसे ही गंदे नालों की अजीब सी सडांध मारती दुर्गंध आपको नींद में ही बता देगी कि आपने दिल्ली की सीमा में प्रवेश कर लिया है। इस बात को एयर कंडीशन्ड गाडियों में चलने वाले नेता और अफसरान शायद ही समझ सकें। इस दुर्गंध के साथ दिल्ली आपका स्वागत करती है -``मुस्कुराईये कि आप दिल्ली में हैं।``
पानी और बिजली के मामले में दिल्ली का रिकार्ड बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता है। मामला चाहे पेयजल का हो या बिजली आपूर्ति का दोनों ही मामलों में दिल्ली सरकार कब दगा दे जाए कहा नहीं जा सकता है। भीषण गर्मी या हाड गलाने वाली ठण्ड में भी दिल्ली में बिजली और पानी दोनों ही नदारत रहते हैं।
सुरक्षा की दृष्टि से भी दिल्ली पुलिस को एहतियाती कदम उठाना आवश्यक होंगे। वैसे भी आतंकवादियों और अपराधियों के लिए दिल्ली साफ्ट टारगेट रही है। दिल्ली में एक के बाद एक होने वाली दुघZटनाएं और हत्याओं के चलते यहां के लोगों का जीना दुश्वार है।
कामन वेल्थ गेम्स की तैयारियों को देखकर यह सुखद एहसास अवश्य ही होता है कि आजाद भारत की राजनैतिक राजधानी आजादी के 62 सालों बाद ही सही कम से कम दुल्हन की तरह सज तो सकेगी, किन्तु अंदर ही अंदर एक डर भी सताता है कि कहीं यह सब एक दिवा स्वप्न ना साबित होकर रह जाए।
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