ये है दिल्ली मेरी जान
(लिमटी खरे)
युवराज के नौरत्न बनने के जुगाड में हैं नवीन जिंदल
कांग्रेस की नजर में देश के भावी प्रधानमंत्री एवं युवराज राहुल गांधी से समीप्य स्थापित करने के लिए वैसे तो देश भर के कांग्रेसी जतन कर रहे हैं, किन्तु उद्योगपति एवं कुरूक्षेत्र के कांग्रेसी सांसद नवीन जिंदल ने एक एसा तीर मारा है, जो निशाने पर तो लगा किन्तु कारगर साबित नहीं हुआ। सूत्रों की मानें तो नवीन ने हाल ही में श्वेत धवल चमचमाती चार लेसेक्स कार खरीदीं हैं, जो बुलेट, बम यहां तक कि मिसाईल प्रूफ भी हैं, जिनकी कीमत 85 लाख रूपए प्रतिकार है। इनमें से दो कारें उन्होंने राहुल गांधी को तोहफे में देने की हिम्मत की। बताते हैं राहुल गांधी को उन्होंने कहा कि खतरों को देखते हुए युवराज को इस सवारी में ही यात्रा करना चाहिए। युवराज राहुल गांधी ने इस आग्रह को स्वीकार करते हुए दोनों गाडियों की चाबियां रख लीं। कांग्रेस की राजमाता सोनिया गांधी को जैसे ही इस बात की भनक लगी उन्होंने राहुल को बुलवा भेजा और जनता से सीधा संपर्क रखने की नसीहत दे डाली। मितव्ययता के इस दौर में आज्ञाकारी राहुल ने दोनों गाडियों की चाबी अपनी मां को सौंप दीं। दोनों वाहन अब कांग्रेस की सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ की शोभा बढा रहीं हैं, या अन्य कहीं यह तो कहा नहीं जा सकता है, पर राहुल ने सभी को जता दिया कि उनकी चाबी किसके पास है।
अच्छा हुआ अंगूर को बेटा न हुआ . . .
मशहूर कव्वाली ``अच्छा हुआ अंगूर को बेटा न हुआ, जिसकी बेटी ने सर पर उठा रखी दुनिया`` में अंगूर की बेटी अर्थात मदिरा का जिकर जिस शिद्दत से किया गया था, वही अंगूर की बेटी अब दिल्ली की शीला सरकार के लिए तारणहार बनती दिख रही है। 30 सितम्बर को समाप्त हुई नए वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में दिल्ली सरकार को तकरीबन 130 करोड रूपयों का घाटा उठाना पडा है। मामला चाहे स्टाम्प ड्यूटी का हो या फिर वाहनों के पंजीयन अथवा विलासिता की वस्तुओं का, हर मोर्चे पर दिल्ली सरकार को घाटा ही घाटा उठाना पडा है। घाटा तकरीबन साढे इक्कीस फीसदी तक पहुंच गया है। स्वाईन फ्लू और डेंगू के प्रकोप के चलते दिल्ली आने वाले पर्यटकों की संख्या में भी गिरावट दर्ज की गई है। घाटे में चल रही दिल्ली सरकार को कामन वेल्थ गेम्स के फंड के चलते कुछ राहत अवश्य है। सरकार को सबसे बडी राहत आबकारी आय से है, बताते हैं कि दिल्ली सरकार को इस छमाही में शराब बिकने से 11 फीसदी का लाभ हुआ है। लगता है शीला दीक्षित ने कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह द्वारा इंदौर के एक पब के उदघाटन के समय कहे कथन को अंगीकार कर लिया है, जिसमें दिग्गी राजा ने कहा था कि सब टुन्न होकर पडे रहें और आपका भण्डार भरा रहे।
पंच प्यारे की महिमा
सिख धर्म में पंच प्यारे का अपना अलग महत्व है एवं इनको बहुत ही सम्मान के साथ देखा जाता है। मध्य प्रदेश में भी शिवराज सिंह सरकार के पंच प्यारे खासे चर्चाओं में हैं। कहा जाता है कि इन पंच प्यारे के इशारे के बिना प्रदेश में पत्ता भी नहीं हिल सकता है। संघ या भाजपा के वरिष्ठ नेता कितना भी जोर लगा लें जब तक फैसले पर इनकी मुहर न लग जाऐ तब तक वह अमली जामा नहीं पहन सकता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उनकी अर्धांग्नी श्रीमति साधना सिंह, भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी इकबाल सिंह बैस, अनुराग जैन के अलावा मुख्यमंत्री के करीबी दिलीप सूर्यवंशी को राज्य की राजनैतिक एवं प्रशासनिक वीथिकाओं में पंच प्यारे कहा जा रहा है। राज्य के मुख्य सचिव राकेश साहनी के सक्सेसर को खोजने में भी इसी पंच प्यारे की महत्वपूर्ण भूमिका बताई जा रही है। जिस तरह पूर्व में मुख्यमंत्री कुंवर अर्जुन सिंह के जमाने में उनके निज सहायक युनूस एवं राजा दिग्विजय सिंह जमाने में भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी डॉ.अमर सिंह, आईपीएस विवेक जोहरी एवं डॉ.शैलेंद्र श्रीवास्तव, राजा के सहायक महावीर प्रसाद वशिष्ठ, राजेंद्र रघुवंशी, की मुहर के बाद ही राजा फैसला लिया करते थे, उसी राह पर अब शिवराज सिंह चौहान चल पडे हैं।
बापू की परीक्षा में अनुत्तीर्ण रहे जनसेवक
दिल्ली के एक बडे समाचार पत्र द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में पार्षद और विधायक तक महात्मा गांधी के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब न दे सके। उक्त समाचार पत्र द्वारा इन जनसेवकों से बापू के बारे में आधा दर्जन सवाल पूछे थे। इन सवालों के जवाब में अधिकतर जनसेवकों ने ``लगे रहे मुन्ना भाई`` की तर्ज पर ही जवाब दिए। किसी ने बापू के पांच पुत्र तो किसी ने बापू की सामान्य मृत्यु की बात कही। हद तो तब हो गई जब नेहरू गांधी परिवार की भक्ति में रत कांग्रेस के जनसेवकों ने बापू को राहुल का दादा या नाना बता डाला। कमोबेश यही बात बापू के पूरे नाम और जन्म स्थान के बारे में पूछे गए प्रश्नों के बारे में कही गई। सच ही है, आज के समय में आधी लंगोटी पहन ब्रितानी हुकूमत को लोहे के चने चबवाने वाले बापू को जब साल में दो ही मर्तबा याद किया जाएगा, उन पर चलचित्र न बनेंगे, बनेंगे तो ``लगे रहो मुन्ना भाई`` जैसे मजाक उडाने वाले, तब बापू को इतिहास की वस्तु बनने के मार्ग तो प्रशस्त होने ही हैं। कम ही सरकारी कार्यालयों में आज बापू के चित्र देखने को मिलते हैं। आज के समय गांधी का मतलब राहुल या सोनिया गांधी से जो लगाया जाने लगा है।
कोडा पर कांग्रेस का कोडा
झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोडा पर केंद्र में काबिज कांग्रेसनीत संप्रग सरकार द्वारा जबर्दस्त कोडे बरसाए जा रहे हैं, मधु कोडा जिस करवट मिल रहे हैं उसी करवट उनको मारा जा रहा है। सत्ता से उतरने के बाद से ही कोडा का शनि जबर्दस्त तरीके से भारी होता दिख रहा है। उनकी सम्पत्ति देश की व्यवसायिक राजधानी मुंबई से लेकर दक्षिण आफ्रीका तक फैली है। नवोदित एक सूबे का सूबेदार जब इतनी अधिक संपत्ति का मालिक रातों रात बन सकता है तो अन्य प्रदेशों के मुखिया और पूर्व मुखियाओं के बारे में अनुमान लगाने से ही रोंगटे खडे हो जाते हैं, कि जिस देश में आम जनता को खाने को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं है, वहां एसे भी राजनेता हैं जो हजारों करोड रूपयों की संपत्ति के मालिक हैं। चर्चा है कि अगर कांग्रेस और भाजपा के बीच कोई अंदरूनी समझौता नहीं होता है तो मधु कोडा मामले में अनेक हैरत अंगेज जानकारियां सामने आ सकतीं हैं, जिसके बाद अनेक राज्यों के वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्रियों की रातों की नींद में खलल पड सकता है।
संकट में मुरली देवडा
देश के पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवडा इन दिनों खासे संकट में दिखाई दे रहे हैं। एक समय मशहूर उद्योगपति धीरू भाई अंबानी से गलबहियां डालकर चलने वाले देवडा अपने भतीजों (मुकेश और अनिल अंबानी) के झगडे के चलते काफी परेशान हैं। बताते हैं कि सपा नेता अमर सिंह के जेब से निकले अलाउद्दीन के चिराग ने मुकेश और अनिल को आपस में उलझा दिया। इस झगडे को शांत कराने में देवडा अंकल की भूमिका रही है, यह बात देवडा अक्सर ही कहा करते थे, किन्तु जब होम करने के साथ ही उनके हाथ जलते दिखे तो उन्होंने अपने आप को सीमित कर लिया। मुरली देवडा के बारे में अब देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली की राजनैतिक फिजा में एक नई बात तैर रही है, कि मुरली देवडा अब योग्य चिकित्सक की तलाश कर रहे हैं। कुछ लोगों ने उन्हें ``मैं कौन हूं, मेरा सारथी (वाहन चालक) कौन है, कहते हुए भी सुना है। पता नहीं राजनीतिक बिसात में मुरली देवडा अब कौन सी चाल चलने वाले हैं।
दिन बहुरेंगे राजा की धरोहर के!
मध्य प्रदेश में दस साल राज करने वाले राजा दिग्विजय सिंह की धरोहरों के दिन बदलेंगे, यह यक्ष प्रश्न प्रदेश की सियासत में अब तक बना हुआ है। दरअसल हाल ही में संपन्न तेंदूखेडा विधानसभा के उप चुनावों के दौरान वहां चुनाव प्रचार करने सडक मार्ग से पहुंचे भाजपा विधायकों का दर्द यह था कि जर्जर सडकों से उनका पुर्जा पुर्जा पूरी तरह हिल गया था। एक बडबोले विधायक ने तो चुटकी लेते हुए यह तक कह दिया था कि लगभग छ साल बीत जाने के बाद भी भाजपा द्वारा दिग्गी राजा की धरोहर (जर्जर सडकें) क्यों सहेजकर रखी हुईं हैं। उस समय प्रदेश के मंत्रियों ने विधायकों को आश्वासन भी दिया था कि तेंदूखेडा में अगर भाजपा जीती तो प्रदेश में दिग्विजय सिंह की इस जर्जर सडक वाली धरोहर पर अवश्य ही ध्यान दिया जाएगा। पार्टी ने फतह हासिल कर ली है, सो अब लगता है कि प्रदेश की सडकों के भाग्य बदल सकते हैं।
राजनैतिक फतवा या फतवे की राजनीति
मुस्लिम धर्म में फतवे का अपना अलग महत्व है। इस्लाम को मानने वालों को नीति अनीति के बारे में जानकारी देने के लिए फतवे जारी किए जाते हैं। हाल ही में देवबंद में वंदे मातरम के खिलाफ जारी फतवे से सियासत उबल पडी है। केंद्रीय गृह मंत्री की मौजूदगी में जारी इस फतवे से संकट और गहरा गया है। भाजपा उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने तो कांग्रेस पर सीधा सीधा आरोप लगाते हुए कह दिया है कि चिदम्बरम ने इस सम्मेलन में शिरकत करके फतवे को वैधानिकता प्रदान कर दी है। इस सम्मेलन में मौजूद स्वयंभू योग गुरू बाबा रामदेव की चुप्पी को भी अनेक लोगों ने आडे हाथों लिया है। राजनैतिक विश्लेषक अब इस बात पर शोध में लगे हुए हैं कि यह फतवा राजनैतिक तौर पर जारी हुआ है या फतवे के बाद इस पर राजनैतिक रोटियां सेंकने का कुित्सत प्रयास किया जा रहा है।
जिसे जिंदा डिस्चार्ज किया उसका डेथ सर्टिफिकेट कैसे जारी करेंगे
अगर किसी मरीज को जिंदा ही अस्पताल द्वारा अपने यहां से डिस्चार्ज कर दिया गया हो, दो घंटे बाद उसका मृत्यु प्रमाणपत्र वही अस्पताल किस बिना पर जारी करेगा, यह समस्या मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के एक निजी अस्पताल के सामने आ गई है। हुआ दरअसल यूं कि सेना के सेवानिवृत एक अधिकारी की पित्न की राजधानी के पिपलानी स्थित आर.के. अस्पताल में भरती करवाया गया था। उंचे राजनैतिक रसूख रखने वाले डॉ.बिसारिया के स्वामित्व वाले इस अस्पताल से उक्त मरीज को 01 नवंबर को सुबह साढे दस बजे छुट्टी दे दी गई। परिजनों का कहना है कि इसके बाद उक्त महिला को दो इंजेक्शन लगाए गए जिससे उसकी हालत बिगडी और साढे बारह बजे उसका निधन हो गया। पुलिस द्वारा शव को अस्पताल से ही कब्जे में लिया गया। प्रथम दृष्टया मामला अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का ही नजर आ रहा है। अब मुश्किल यह सामने आ रही है कि जिस महिला को जिंदा ही अस्पताल से बाहर कर दिया गया हो उसका शव उसी अस्पताल में कैसे मिला और अब कौन चिकित्सक अथवा चिकित्सालय उसका मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करेगा।
कौन होगा भाजपाध्यक्ष
भारतीय जनता पार्टी के नए अध्यक्ष की तलाश में अब संघ और भाजपा के बीच सर फटौव्वल आरंभ हो चुकी है। संघ प्रमुख ने साफ कह दिया है कि अरूण जेतली, सुषमा स्वराज से इतर कोई अन्य नया चेहरा ही भाजपा की कमान संभालेगा। उधर भाजपा में भी इन दो नामों के साथ ही साथ अनंत कुमार और वेंकैया नायडू के नामों पर भी असहमति बनती दिख रही है। मोहन भागवत के इशारे के बाद अब भाजपा में अंदरूनी गुटबाजी बहुत ही तेज हो गई है। हिन्दुत्व का चेहरा बनकर उभरे नरेंद्र मोदी और विकास पुरूष बने शिवराज सिंह चौहान इस दौड में हैं। सुरेश सोनी, सुरेश जोशी, मदन दास देवी आदि अलग अलग रायशुमारी में लगे हुए हैं। भले ही राजनाथ सिंह का यह कहना हो कि भाजपा का स्टेयरिंग संघ के हाथों में नहीं है, फिर भी भाजपाध्यक्ष जैसे अहम फैसले पर संघ की राय अंतिम ही मानी जाएगी। अब फैसला मोदी, शिवराज और बाला साहेब आप्टे के बीच ही होने के आसार दिखाई पड रहे हैं।
कैसे हो होसला अफजाई
लश्कर ए तैयबा के एक आतंकी को मौत के घाट उतारने वाली रूखसाना ने विशेष पुलिस अधिकारी की नौकरी की पेशकश को ठुकरा दिया है। निडर साहासी कश्मीरी बाला का कहना है कि उसे जम्मू काश्मीर पुलिस में विशेष पुलिस अधिकारी की नौकरी करना गवारा नहीं होगा। दरअसल विशेष पुलिस अधिकारी के पास किसी भी तरह के अधिकार नहीं होते हैं। रूखसाना का कहना कि देश भर के स्कूलों में सैन्य शिक्षा अनिवार्य कर देना चाहिए, ताकि बच्चों के मन से खौफ मिट सके और वे समाज और देश विरोधी ताकतों से जमकर लड सकें, सराहनीय है। जम्मू काश्मीर जैसे संवेदनशील राज्य में अगर एक बीस वषीZय कमसिन बााला ने लश्कर ए तैयाबा जैसे नामी आतंकी संगठन के एक आतंकी को मार गिराया है, तो उसकी हौसला अफजाई की जानी चाहिए। सरकार को चाहिए कि नियमों को शिथिल करते हुए रूखसाना को सीआरपीएफ में नौकरी दे ताकि अन्य भारतीय बच्चों के मन में भी आतंक से लडने का जज्बा पैदा हो सके।
मोबाईल चोर एमडी
ब्लेक बेरी मोबईल एक एसा मोबाईल है, जिसकी दीवानी सारी दुनिया यहां तक कि दुनिया के चौधरी कहे जाने वाले अमेरिका के प्रमुख बराक ओबामा भी हैं। इसी ब्लेक बेरी की चाहत में एक नामी गिरामी कंपनी के प्रबंध निदेशक को पुलिस की जलालत झेलनी पडी। पिछले दिनों जानी मानी ग्लास कंपनी के मेनेजर और ग्लास मेन्यूफेक्चरर एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके संजय सोमानमी को पुलिस ने गिरफ्तार किया। दरअसल एक अन्य व्यक्ति एन.के.पुरी जो आई सी 688 से मुंबई जा रहा था ने चेकिंग के दौरान अपना सामान स्केनर पर रख दिया था। इसी समय आई सी 439 से चेन्ने जा रहे सोमानमी ने अपना सामान भी रखा। बाद में पुरी का मोबाईल नहीं मिला। पुलिस ने सीसीटीवी की रिकार्डिंग देखकर सोमानमी को धर पकडा। बाद में वह मोबाईल जहाज के टायलेट से बरामद किया गया। कुछ हजार रूपयों के ब्लेक बेरी की चोरी के चक्कर में उलझे सोमनमी ने अपनी प्रतिष्ठा एक मिनिट में ही गंवा दी।
किसके सर होगी इसकी मौत की जिम्मेदारी
व्हीव्हीआईपीज की सुरक्षा व्यवस्था के चलते सडकों पर घंटों जाम लगना स्वाभावक है, किन्तु अगर एसे में कोई अल्लाह को प्यारा हो जाए तो उसके मौत की जिम्मेदारी किसके सर पर आयत होगी। चंडीगढ में पिछले दिनों यही हुआ। प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह की चंडीगढ यात्रा के दौरान उनका रूट लगाया (अतिविशिष्ट व्यक्तियों के लिए यातायात को पूरी तरह रोकना) गया। इसी दौरान एक मरीज की गाडी भी उस जाम में फंस गई। जब प्रधानमंत्री के कारवां के गुजरने के उपरांत जाम से निकालकर उसकी एंबूलेंस अस्पताल पहुंची। तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उस मरीज को बचाया नहीं जा सका। बाद में भले ही पीएम ने उस परिवार से माफी मांगी हो, पर पीएम की माफी से जाने वाले को लौटाया तो नहीं जा सकता। सरकार को चाहिए कि इस दिशा में पहल कर कुछ इस तरह के रास्ते निकाले जिससे व्हीआईपी मूवमेंट के दौरान आम जनता को परेशानी का सामना न करना पडे।
पुच्छल तारा
भारत माता की धरा की रक्षा में देश के जवान ही नहीं बल्कि जानवर भी जुटे हुए हैं, वह भी बिना किसी प्रशिक्षण के। पिछले दिनों जम्मू काश्मीर में सोपियां की एक गुफा से दो शव बरामद हुए हैं जिनकी पहचान हिजबुल मुजाहिद्दीन के पीर पंजाल के रेजीमेंट कमांडर सैफुल्ला और तहसील कमांडर कैसर के तौर पर की गई है। इनके पास 2 एके 56 रायफल, कुछ विस्फोटक और अन्य हथियार बरामद किए गए हैं। सूत्रों की मानें तो सुरक्षा बलों से बचते हुए ये एक गुफा की शरण में चले गए थे, जहां एक भालू ने इनका काम तमाम कर दिया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें