मंगलवार, 17 नवंबर 2009

उमा का ``कल्याण`` करेंगे नए भाजपाध्यक्ष


(लिमटी खरे)


नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी की अनेक राज्यों में हुई फजीहत के बाद अब भाजपा के पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा के शीर्ष नेताओं ने भाजपा को नुकसान पहुंचाने वाले फेक्टर्स पर मनन आरंभ कर दिया है। भाजपा से उडकर गए पंक्षियों की घर वापसी का अभियान अब आरंभ होने की उम्मीद है।


भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि भाजपा छोडकर एक कल्याण सिंह और उमाश्री भारती भले ही भाजपा से इतर अपना आधार तैयार न कर सके हों किन्तु उन्होंने भाजपा को नुकसान पहुंचाने में कोई कसर नहीं रख छोडी है। अब इन भूले बिसरे गीतों के बजने का समय आ गया है।


सूत्रों का कहना है कि राजनाथ िंसंह और एल.के.आडवाणी के परस्पर विरोधी विचारधाओं के चलते इन नेताओं की घर वापसी के मार्ग प्रशस्त नहीं हो सके हैं। वैसे भी उमाश्री भारती और कल्याण सिंह ने पार्टी छोडने के उपरांत भाजपा के नेतृत्व और नीतियों को पानी पी पी कर कोसा था, इसी कारण उनकी घर वापसी के मार्ग में भाजपाईयों ने ही शूल बो दिए हैं।


पार्टी के सुविज्ञ सूत्रों का कहना है कि भाजपा की भद्द पिटने के उपरांत अब पिछडा वर्ग के इन दोनों ही नेताओं को वापस लेने के लिए भाजपा नेतृत्व बेकरार है, किन्तु जेतली, सुषमा स्वराज, बाल आप्टे, नितिन गडकरी आदि ने परोक्ष तौर पर जो फच्चर फसाए हैं, उससे इनकी घर वापसी का शुभ महूर्त नहीं निकल पा रहा है।


गौरतलब होगा कि पिछले दो दशकों में भाजपा की लोकप्रियता के आसमान छूते ग्राफ में पिछडा वर्ग की अहम भूमिका रही है। इसके बाद जैसे ही इन दो नेताओं ने भाजपा से नाता तोडा था उसके बाद भाजपा शनै: शनै: रसातल की ओर अग्रसर हो गई थी। रही सही कसर 7 रेसकोर्स रोड (प्रधानमंत्री के अधिकृत आवास) को आशियाना बनाने की चाहत में ``पीएम इन वेटिंग`` बनकर लाल कृष्ण आड़वाणी ने पूरी कर दी थी।


वर्तमान में भाजपा इन दोनों को वापस लेने पर पूरी तरह बटी नजर आ रही है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने तो यहां तक कह दिया, कि भाजपा कोई धर्मशाला नहीं है, कि जब मन चाहा नाम दर्ज कराकर चले आए और जब मन चाहा बोरिया बिस्तर समेट कर बाहर चल दिए।


पार्टी में इन दोनों ही पिछडे नेताओं की घरवापसी के मामले पर मचे बवाल के बाद अब पार्टी नेतृत्व ने मौन साध लिया है। सूत्रों का कहना है कि इन दोनों ही नेताओं को वापस लेने के मामले के उलझने के चलते वर्तमान पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने अब यह स्टेंड लिया है कि इस मामले में जो भी निर्णय लिया जाए वह नए निजाम (अगले माह चुना जाने वाला पार्टी अध्यक्ष) ही ले ताकि वे विवादों से अपने आप को परे रख सकें।



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