जनसेवक बनने की चाह में चार्टर्ड एकाउंटेंट
कांग्रेस की नजर में भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी एक ओर जहां पढे लिखे सुसंस्कृत युवाओं को कांग्रेस से जोडने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं भाजपा पढे लिखे नौजवानों से कन्नी काट रही है। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में नगर पालिका के अध्यक्ष पद के लिए भारतीय जनता पार्टी की ओर से चार्टर्ड एकांउंटेंट अखिलेश शुक्ला ने टिकिट की मांग की है।
मध्य प्रदेश के इतिहास में संभवत: यह पहला मौका होगा जबकि किसी अर्थशास्त्र के ज्ञाता ने जनसेवा करने का मानस बनाया हो। वैसे अखिलेश शुक्ला की पृष्ठभूमि राजनैतिक मानी जा सकती है। शहर के युवा तुर्क आईकान बन चुके शुक्ला के पिता पंडित स्व.महेश प्रसाद शुक्ला, सुंदर लाल पटवा के मुख्यमंत्रित्व काल में राज्य में मंत्री रहे हैं।
संघ और भाजपा में शुक्ल परिवार का दखल इस बात से ही समझा जा सकता है कि बीते वर्ष स्व. महेश शुक्ल के निधन पर राज्य सरकार द्वारा उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया था। इस मौके पर अपने व्यस्त क्षणों में से कुछ समय निकालकर खुद सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें अश्रुपूरित नेत्रों से बिदाई दी थी।
देश की बागडोर अर्थशास्त्र के ज्ञाता प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के हाथों में है, तो वित्त मंत्री का प्रभार भी आर्थिक ज्ञाता पी.चिदम्बरम संभाल चुके हैं। माना जाता है कि अगर किसी विषय के प्रकांड विद्वान को जनसेवा का मौका दिया जाए तो राजनीति में भ्रष्टाचार के घालमेल की संभावनाएं क्षीण होने के साथ ही साथ कुछ नया निकलकर सामने आने की उम्मीद रहती है।
मध्य प्रदेश में स्थानीय निकायों की माली हालत किसी से छिपी नहीं है। निकायों में भ्रष्टाचार इस कदर व्याप्त है कि हर ओर इसकी सडांध बदबू मार रही है। इन परिस्थितियों में अगर भाजपा अखिलेश शुक्ला पर दांव लगाती है, तो निश्चित तौर पर वे सबसे भारी उम्मीदवार के तौर पर सामने आ सकते हैं।
सिवनी नगर में भाजपाध्यक्ष के लिए ढाई दर्जन उम्मीदवार मैदान में हैं, एवं शहर की राजनैतिक फिजां के अनुसार अगर आखिलेश शुक्ला निर्दलीय तौर पर भी मैदान में उतरते हैं तो उनके अंदर मैदान मारने का माद्दा साफ दिखाई दे रहा है। युवाओं का एक बडा वर्ग उनके साथ नजर आ रहा है।
विभिन्न मीडिया के स्त्रोतों द्वारा कराए गए सर्वेक्षण भी कमोबेश यही बात सामने लाते हैं कि भ्रष्ट, निकम्मे, नपुंसक जनसेवकों से जनता उब चुकी है, जनता अब पढे लिखे सुसंस्कृत युवा के हाथों में अपना भविष्य सौंपने को आतुर दिख रही है। एसी स्थिति में सूबे में कांग्रेस और भाजपा ने अपेक्षाकृत युवाओं को ज्यादा तरजीह देने का प्रयास अवश्य किया है, किन्तु इनके राजनैतिक सामाजिक जीवन को नजर अंदाज करके।
अर्थशास्त्री, इंजीनियर्स, डाक्टर्स ने राजनीति में आकर इसकी दशा और दिशा को सुधारने का सराहनीय प्रयास किया है, और अब चार्टर्ड एकाउंटेंट ने भी अपनी दस्तक दे दी है। अगर भाजपा ने अखिलेश शुक्ला पर दांव लगा दिया तो आने वाले समय में यह एक इतिहास बन जाएगा कि भाजपा द्वारा एक युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट को मैदान में उतारा है।
हो सकता है कि भाजपा के लिए यह एक टनिZंग प्वाईंट भी बन जाए जिससे भाजपा से दूर भाग कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की ओर आकषिZत होते युवाओं का पलायन रूक जाए और दिसंबर के उपरांत नए भाजपाध्यक्ष के लिए भाजपा का युवा वोट बैंक सजोने के मार्ग प्रशस्त हो जाएं।
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