दिल्ली में गूजेगी सिवनी के मोगली की आवाजें
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय क्षितिज पर तहलका मचाने वाले मोगली की आवाजें अब दिल्ली में अतर्राट्रीय व्यापार मेले में गूंजने जा रही हैं। मध्य प्रदेश का पेवेलियन इस बार सिवनी जिले के मोगली के नाम होगा। इसमें मोगली, बघीरा, शेरखान, का, चमेली आदि प्रमुखता के साथ दिखाई देने वाले हैं।
रूडयार्ड किपलिंग की प्रसिद्ध कथा ``जंगल बुक`` की कहानी मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के जंगलों से ही उपजी है। इस कहानी का मुख्य पात्र मोगली वास्तविकता में एक बालक था, जिसका लालन पालन भेडियों ने किया था। किपलिंग की इस किताब पर मोगली पर केंद्रित सीरियल भी बनाया गया था, जो काफी लोकप्रिय हुआ था। हर वर्ग के शख्स की जुबान पर आज भी ``जंगल जंगल पता चला है, चड्डी पहन के फूल खिला है`` गाना चढा हुआ है।
जंगल बुक की कहानी मोगली के ही इर्द गिर्द घूमती है। मागली की कर्मस्थली सिवनी जिला थी, जो कि मध्य प्रदेश का एक हिस्सा है, अत: मध्य प्रदेश के पेवेलियन में इसे विशेष महत्व दिया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में एक ओर जहां कमोबेश हर तरफ फ्लेक्स से बने होर्डिंग नजर आ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश में हाथों से की गई चित्रकारी को स्थान दिया जा रहा है।
प्रगति मैदान में 14 नवंबर से आयोजित इस मेले में मध्य प्रदेश का मण्डप ही मोगली की तर्ज पर बनाया गया है, जो लोगों को आकषिZत किए बिना नहीं रहेगा। मेले में आने वाले लोगों विशेषकर बच्चों के लिए मोगली की झांकी निश्चित तौर पर आकर्षण का केंद्र रहेगी।
इससे पहले भी गणतंत्र दिवस की परेड में एक मर्तबा मोगली की लाखों रूपए लागत की झांकी आकर्षण का केंद्र बन चुकी है। यह अलहदा बात है कि उक्त झांकी कुछ समय तक सिवनी शहर के मुख्य मार्ग का अवरोध बनने के बाद अब बबरिया के करीब शंक्राचार्य पार्क में पडी सड रही है।
1 टिप्पणी:
अच्छी जानकारी .
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