यमराज के शिकंजे में पेंच नेशनल पार्क के बाघ
13 महीने में 19 बाघ हुए काल कलवित
(लिमटी खरे)
सिवनी। एक तरफ केन्द्र सरकार द्वारा एक के बाद एक कार्यक्रम लागू कर करोडों अरबों रूपए खर्च कर वन्य जीवों के संरक्षण के लिए नित नई योजनाओं को बनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश के सिवनी जिले मेें एक के बाद एक बाघों ने दम तोडा है, जिससे यह साबित हो रहा है कि कागजों में तो योजनाएं फलफूल रहीं हैं, पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
प्रदेश के पेंच राष्ट्रीय उद्यान में पिछले चार महीने में चार बाघ मारे गए हैं। इन बाघों की मौत कैसे हुई है, यह बात अभी उजागर नहीं हो सकी है। गत 27 जनवरी को पेंच में बेयोरथडी बीट के तालाब में एक लगभग सात वषीZय जवान शेर मृत अवस्था में तैरता पाया गया। वन विभाग द्वारा इसकी सूचना मिलने पर आनन फानन में गोपनीय तरीके से इस शेर का अन्तिम संस्कार कर दिया गया था। जब यह मामला मीडिया में उछला तब जाकर वन विभाग ने इसकी आधिकारिक तौर पर जानकारी देना आरम्भ किया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त बाघ के शव परीक्षण के दौरान उसकी किडनी, लीवर एवं हृदय क्षतिग्रस्त पाया गया। आशंका व्यक्त की जा रही है कि उक्त बाघ को जहर देकर मारा गया था। उक्त बाघ बीमार भी नहीं था और वह जहां तैरता पाया गया वहां पानी महज डेढ से दो फिट ही गहरा था। यक्ष प्रश्न आज भी यह है कि अगर बाघ की मौत जहर से हुई है तो जहर बाघ के शरीर में पहुंचा कैसे।
यहां उल्लेखनीय है कि 2003 में जब बाघों की गणना की गई थी, तब पेंच में 45 बाघ थे, जो 2005 में कम होकर 42 हो गए थे। वर्तमान में यहां महज 33 बाघ ही बताए जा रहे हैं। पिछले तीन माहों में दो बाघ के शावकों सहित तीन बाघ काल कलवित हो चुके हैं।
सबसे अधिक आश्चर्य की बात तो यह है कि प्रदेश के बाघ बाघिन को सूबे के वन विभाग द्वारा सेटेलाईट कॉलर से जोड दिया गया है, जिससे इनकी उपस्थिति एवं गतिविधियों पर बराबर नज़र रखी जा सकती है। पेंच मेें भी बाघों को इससे जोडने के लिए डब्लू आई आई देहरादून के विशेषज्ञों के दल में शामिल डॉ.शंकर और डॉ.पराग निगम ने बाघों को सेटेलॉईट कॉलर से जोडा था।
मध्य प्रदेश का वन महकमा वन्य जीवों के प्रति कितना संवेदनशील है, इस बात का अन्दाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि पिछले 13 माहों में प्रदेश में 19 बाघों की मौत हुई है, जिसमें से सिवनी जिले के पेंच राष्ट्रीय उद्यान और कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में चार चार और बांघवगढ के नेशनल पार्क में तीन की मौत हुई थी।
पेंच नेशनल पार्क में जब से पार्क संचालक के.नायक, उपसंचालक ओम प्रकाश तिवारी की पदस्थापना हुई है, तबसे पेंच नेशनल पार्क में वन्य जीवों पर शामत ही आ गई है। बताया जाता है कि वन्य जीवों की तस्करी के लिए अब सिवनी जिले के जंगल ``साफ्ट टारगेट`` बनकर उभर रहा है। उधर दूसरी ओर क्षेत्रीय सांसद के.डी.देशमुख और विधायक कमल मस्कोले द्वारा भी वन्य जीवों के बारे में कोई संवेदनाएं नहीं बरती जा रहीं हैं। अब तक सिवनी में मारे गए वन्य जीवों के मामले में किसी की भी जवाबदारी निर्धारित न किया जाना आश्चर्यजनक ही है।
यहां एक और तथ्य गौरतलब है कि सिवनी से होकर गुजरने वाला शेरशाह सूरी के जमाने के मार्ग पर बनने वाले उत्तर दक्षिण गलियारे में लगभग आठ किलोमीटर के मार्ग पर अडंगा लगाया गया है। इस अडंगे का कारण यह है कि इस आठ किलोमीटर के हिस्से में वन्य जीवों के संरक्षण की बात कही गई है। यह मामला माननीय सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है।
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