अरूण शोरी पर नज़रें तरेरीं आडवाणी ने
अपने यस मेन्स को टीम गडकरी में फिट करने के बाद अब निशाने पर शौरी
कांग्रेस से पींगे बढाने में लगे हैं शौरी
(लिमटी खरे)
अपने यस मेन्स को टीम गडकरी में फिट करने के बाद अब निशाने पर शौरी
कांग्रेस से पींगे बढाने में लगे हैं शौरी
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली 21 मार्च। संघ की मंशा पर भले ही अपेक्षाकृत युवा नितिन गडकरी को भाजपा की कमान मिल गई हो, और आडवाणी को नेता प्रतिपक्ष से हटाकर पाश्र्व में ढकेलने का प्रयास चल रहा हो, पर आडवाणी तो आडवाणी हैं, उन्होंने टीम गडकरी में अपने चहेतों को स्थान दिलवा ही दिया, भले ही वे रीढ विहीन क्यों न हों। इस आपरेशन से फारिग होने के बाद अब आडवाणी के निशाने पर संपादक से राजनेता बने अरूण शोरी पूरी तरह आ चुके हैं। आडवाणी और उनके समर्थको ने अब शौरी को राज्य सभा के रास्ते संसद में प्रवेश के रास्ते बन्द करने की कवायद आरम्भ कर दी है।
टीम गडकरी के नए नवेले प्रवक्ता बने पांचजन्य के संपादक तरूण विजय और राजग के पीएम इन वेटिंग लाल कृष्ण आडवाणी के बीच अन्तरंगता किसी से छिपी नहीं है। एक ओर तरूण विजय ने खुलकर आडवाणी को बेक किया था, तो आडवाणी ने भी तरूण विजय के संक्रमण काल में उनका पूरा साथ दिया। जब पांचजन्य के संपादक के तौर पर काम करते हुए तरूण विजय पर घोटालों के आरोप लगे थे, तब तत्कालीन संघ प्रमुख सुदर्शन ने उन्हें वहां से चलता कर दिया था। आडवाणी ने उस वक्त अपना याराना निभाते हुए तरूण विजय को श्यामा प्रसाद मुखर्जी ट्रस्ट का निदेशक बनवा दिया।
आडवाणी के करीबी सूत्रों का कहना है कि वे चाहते थे कि संजय जोशी टीम गडकरी का हिस्सा न बन पाएं सो उन्होंने वह कर भी दिखाया। संजय जोशी के नाम के आते ही उनकी एक कथित सीडी की बात जोर शोर से पार्टी के अन्दर उछाल दी गई। इसी तरह शौरी से नाराज आडवाणी अब चाहते हैं कि शौरी के स्थान पर तरूण विजय को राज्य सभा के रास्ते भेजा जाए। आडवाणी भले ही तरूण विजय को उपकृत करना चाह रहे हों पर संघ और भाजपा के आला नेताओं के पास तरूण विजय के घपले घोटालों का कच्चे चिट्ठे का पुलिन्दा पहुंचाया जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि जब आडवाणी ने पाकिस्तान जाकर जिन्ना की तारीफ में मल्हार गाया था, तब भारतीय जनता पार्टी में संजय जोशी और अरूण शोरी ही थे, जिन्होंने इसका पुरजोर विरोध किया था। बताते हैं तभी से आडवाणी ने ठान लिया था कि माकूल वक्त आने पर राजनैतिक परिदृश्य से दोनों ही नेताओं को मिटा दिया जाएगा। लगता है अब आडवाणी की हसरत पूरी होने का समय आ गया है, यही कारण है कि टीम गडकरी में संजय जोशी और अरूण शौरी दोनों ही को स्थान नहीं मिल सका है।
उधर कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केन्द्र 10 जनपथ से जो खबरें छन छन कर बाहर आ रहीं हैं, उनके अनुसार अरूण शौरी इन दिनों कांग्रेस से नजदीकी बढाने के मार्ग खोजने में लगे हुए हैं। बताते हैं चूंकि शौरी को आभास हो चुका है कि उन्हें अब भाजपा द्वारा राज्य सभा में नहीं भेजा जा सकता इसीलिए वे नई संभावनाएं भी तलाश रहे हैं। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के मैनेजर शौरी के मामले में दो धडों में बट गए हैं, एक शोरी को कांग्रेस में लाने का हिमायती है, ताकि भाजपा पर वार आसानी से किया जा सके, वहीं दूसरे का मानना है कि कल तक कांग्रेस को पानी पी पी कर कोसने वाले शोरी को आखिर किस आधार पर कांग्रेस में लाया जाए। इसी बीच कांग्रेस की सुप्रीमो श्रीमति सोनिया गांधी को यह समझाने का प्रयास भी जोर शोर से जारी है कि ये वही अरूण शोरी हैं, जिन्होंने विश्वनाथ प्रताप सिंह के बोफोर्स के मुद्दे को जबर्दस्त हवा दी थी और राजीव गांधी को मुंह की खानी पडी थी।
टीम गडकरी के नए नवेले प्रवक्ता बने पांचजन्य के संपादक तरूण विजय और राजग के पीएम इन वेटिंग लाल कृष्ण आडवाणी के बीच अन्तरंगता किसी से छिपी नहीं है। एक ओर तरूण विजय ने खुलकर आडवाणी को बेक किया था, तो आडवाणी ने भी तरूण विजय के संक्रमण काल में उनका पूरा साथ दिया। जब पांचजन्य के संपादक के तौर पर काम करते हुए तरूण विजय पर घोटालों के आरोप लगे थे, तब तत्कालीन संघ प्रमुख सुदर्शन ने उन्हें वहां से चलता कर दिया था। आडवाणी ने उस वक्त अपना याराना निभाते हुए तरूण विजय को श्यामा प्रसाद मुखर्जी ट्रस्ट का निदेशक बनवा दिया।
आडवाणी के करीबी सूत्रों का कहना है कि वे चाहते थे कि संजय जोशी टीम गडकरी का हिस्सा न बन पाएं सो उन्होंने वह कर भी दिखाया। संजय जोशी के नाम के आते ही उनकी एक कथित सीडी की बात जोर शोर से पार्टी के अन्दर उछाल दी गई। इसी तरह शौरी से नाराज आडवाणी अब चाहते हैं कि शौरी के स्थान पर तरूण विजय को राज्य सभा के रास्ते भेजा जाए। आडवाणी भले ही तरूण विजय को उपकृत करना चाह रहे हों पर संघ और भाजपा के आला नेताओं के पास तरूण विजय के घपले घोटालों का कच्चे चिट्ठे का पुलिन्दा पहुंचाया जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि जब आडवाणी ने पाकिस्तान जाकर जिन्ना की तारीफ में मल्हार गाया था, तब भारतीय जनता पार्टी में संजय जोशी और अरूण शोरी ही थे, जिन्होंने इसका पुरजोर विरोध किया था। बताते हैं तभी से आडवाणी ने ठान लिया था कि माकूल वक्त आने पर राजनैतिक परिदृश्य से दोनों ही नेताओं को मिटा दिया जाएगा। लगता है अब आडवाणी की हसरत पूरी होने का समय आ गया है, यही कारण है कि टीम गडकरी में संजय जोशी और अरूण शौरी दोनों ही को स्थान नहीं मिल सका है।
उधर कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केन्द्र 10 जनपथ से जो खबरें छन छन कर बाहर आ रहीं हैं, उनके अनुसार अरूण शौरी इन दिनों कांग्रेस से नजदीकी बढाने के मार्ग खोजने में लगे हुए हैं। बताते हैं चूंकि शौरी को आभास हो चुका है कि उन्हें अब भाजपा द्वारा राज्य सभा में नहीं भेजा जा सकता इसीलिए वे नई संभावनाएं भी तलाश रहे हैं। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के मैनेजर शौरी के मामले में दो धडों में बट गए हैं, एक शोरी को कांग्रेस में लाने का हिमायती है, ताकि भाजपा पर वार आसानी से किया जा सके, वहीं दूसरे का मानना है कि कल तक कांग्रेस को पानी पी पी कर कोसने वाले शोरी को आखिर किस आधार पर कांग्रेस में लाया जाए। इसी बीच कांग्रेस की सुप्रीमो श्रीमति सोनिया गांधी को यह समझाने का प्रयास भी जोर शोर से जारी है कि ये वही अरूण शोरी हैं, जिन्होंने विश्वनाथ प्रताप सिंह के बोफोर्स के मुद्दे को जबर्दस्त हवा दी थी और राजीव गांधी को मुंह की खानी पडी थी।
4 टिप्पणियां:
namaskar sir ji..
aapka blog dekha bahut hi acha laga..
aur dusri baat aap to mere nanihal hal ke pass ke ho..
i love m.p
chindwara mere nanihal hai........
शोरी सरीखे आधारहीन लोग जुगाड़ के अलावा कुछ और कर भी क्या सकते हैं.
लेकिन शौरी को निकालना भी गलत होगा.
शोरी सरीखे आधारहीन लोग जुगाड़ के अलावा कुछ और कर भी क्या सकते हैं.
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